इन दिनों खराब खान-पान और प्रदूषित वातावरण से बाल गिरने लगते हैं और ठीक से बढ़ते नहीं हैं. ऐसे में जरूरत महसूस होती है कुछ ऐसे उपायों की जिससे बाल बढ़ने लगें. इस स्थिति में आयुर्वेद से बेहतर और कोई विकल्प नहीं हो सकता. इसके जरिए समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है और हमेशा के लिए लंबे व घने बाल पाए जा सकते हैं.

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आज इस लेख में हम बाल बढ़ाने के आयुर्वेदिक इलाज, जड़ी-बूटियों व दवा के बारे में चर्चा करेंगे -

(और पढ़ें - बाल बढ़ाने के उपाय)

  1. बाल बढ़ाने का आयुर्वेदिक उपाय
  2. बाल बढ़ाने की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां
  3. बाल बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा
  4. सारांश
बाल बढ़ाने और लंबे करने के आयुर्वेदिक उपाय और दवा के डॉक्टर

बाल बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक में विभिन्न तरह के इलाज का वर्णन किया गया है. इनमें से कुछ खास इलाज के बारे में हम यहां बता रहे हैं -

शिरोधारा

शिरोधारा में गर्म तेल या किसी अन्य तरल पदार्थ को आयुर्वेदिक हर्बल इंग्रेडिएंट्स के साथ फार्मूलेट करके ऊपर लटके किसी कंटेनर से माथे पर डाला जाता है. जैसे ही ये तेल माथे से स्कैल्प पर पहुंचता है, तो थेरेपिस्ट स्कैल्प पर हल्के से मालिश करता है. इस तरह से व्यक्ति के नर्वस सिस्टम पर सूदिंग और क्लींजिंग इफेक्ट पड़ता है. शिरोधारा थेरेपी से न केवल बालों के बढ़ने में तेजी आती है, बल्कि यह दिमाग को भी तनाव ग्रस्त करने में मददगार होता है.

(और पढ़ें - बाल बढ़ाने के लिए डाइट)

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शिरो अभ्यंग

बालों के विकास के लिहाज से भृंगमलाका तैलम, नारियल तेल या फिर तिल के तेल से सिर की मालिश की जाती है. इससे बालों की जड़ों व स्कैल्प को पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं. साथ ही स्कैल्प में गर्मी होने की समस्या से बचा जा सकता है और बालों के सफेद होने की परेशानी को दूर किया जा सकता है. शिरो अभ्यंग से बालों के फॉलिकल्स की कार्यप्रणाली बेहतर होती है. ये आयुर्वेदिक थेरेपी नर्व्स एंड पर ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर कर बालों के झड़ने की समस्या से छुटकारा दिला सकता है.

शिरो लेप

शिरो लेप में कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के पाउडर से पेस्ट बनाकर उपचार किया जाता है. इस पेस्ट को अच्छी तरह से लगाने के बाद स्कैल्प को केले के पत्ते से ढक दिया जाता है, लेकिन स्कैल्प के ऊपरी हिस्से को खुला छोड़ दिया जाता है. यहां पर आयुर्वेदिक तेल को डाला जाता है.

शिरो लेप पित्त दोष को शांत करने के लिए बढ़िया है और बाल गिरने के साथ ही समय से पहले सफेद होते बाल व डैंड्रफ की समस्या के इलाज में भी लाभदायक है. शिरो लेप से सिर दर्द व स्ट्रेस से भी राहत मिलती है.

(और पढ़ें - बाल बढ़ाने के तेल)

नस्य

त्रिदोष में हुए असंतुलन से बाल गिरने की समस्या बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में नस्य इलाज के जरिए आयुर्वेदिक हर्बल तेलों को नाक के छेदों में डाला जाता है. इस प्रक्रिया में देसी घीअणु तेल का इस्तेमाल किया जाता है. नस्य प्रक्रिया में व्यक्ति को समतल जगह पर लिटा दिया जाता है और सिर को थोड़ा पीछे कर दिया जाता है.

अब नाक के छेद में तेल की कुछ बूंदें डाली जाती हैं, जो अंदर ही अंदर गले तक पहुंच जाता है. नस्य इलाज से कफ संबंधित समस्याएं दूर होती हैं और पित्त व वात डिसऑर्डर से राहत मिलती है, जिससे बालों के झड़ने की समस्या कम हो सकती है.

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बाल बढ़ाने व उन्हें खूबसूरत बनाने के लिए निम्न प्रकार की जड़ी-बूटियों को इस्तेमाल किया जा सकता है -

आंवला

बाल बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में आंवला पहले नंबर पर है. इसमें कई एसेंशियल फैटी एसिड होते हैं, जो बाल के रोमछिद्रों को मजबूती प्रदान करते हैं. इसमें विटामिन-सी, एंटीऑक्सीडेंट, गैलिक एसिड और कैरोटीन समृद्ध मात्रा में होता है, जो स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है और फिर बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं.

आंवला पाउडर में नींबू के जूस को मिलाकर स्कैल्प व बालों में लगाया जा सकता है. एक घंटा रखने के बाद सादे पानी से धो लेना है. इसे तुलसी की पत्तियों के साथ मिलाकर लगाने से यह बढ़िया स्कैल्प मास्क का काम करता है.

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शिकाकाई

शिकाकाई में विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन-डीविटामिन-के पाया जाता है, जो बालों की सेहत को बनाए रखने में मददगार है. इससे बालों की ग्रोथ भी होती है. शिकाकाई पाउडर को नारियल तेल में मिलाकर एक जार में रख लेना है. इस तेल से सप्ताह में कम से कम दो बार बालों की मालिश करने से बाल बढ़ने में मदद मिलती है.

रीठा

रीठा में सैपोनिन पाया जाता है, जो बालों को सॉफ्ट और हेल्दी रखने के साथ बढ़ाने में भी योगदान देता है. रीठा के साथ शिकाकाई को आधे लीटर पानी में उबाल लेना है. रात भर इसी पानी में छोड़ देने के बाद सुबह छानकर इसका इस्तेमाल बालों पर शैम्पू की तरह करने की सलाह आयुर्वेद में दी जाती है.

(और पढ़ें - बाल लंबे करने की दवा)

भृंगराज

भृंगराज में एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन, प्रोटीन, मैग्नीशियमआयरन समृद्ध मात्रा में होता है. यही कारण है कि इसके तेल को बालों पर लगाने से बालों को पोषण मिलता है और बाल बढ़ते हैं. इस तेल को जब बालों पर लगाकर मालिश की जाती है, तो इससे स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और ब्लड वेसल्स भी चौड़े होते हैं. इसके रिजल्ट में बालों की ग्रोथ में बढ़ोत्तरी होती है.

ब्राह्मी

ब्राह्मी पित्त दोष को ठीक करके बालों के बढ़ने में मदद करता है. इसमें डैंड्रफ को दूर करने का बढ़िया गुण है, जिसकी वजह से बाल बढ़ते नहीं, बल्कि झड़ते हैं. ब्राह्मी तेल से बालों पर मालिश करने से बाल बढ़ाने में सहायता मिलती है.

(और पढ़ें - लंबे बालों के लिए जड़ी-बूटियां)

बालों के विकास के लिए निम्न आयुर्वेदिक दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है -

  • नरसिंह रसायनम: इस आयुर्वेदिक दवा में भृंगराज, त्रिफलाशतावरी शामिल है, जो बाल बढ़ाने में मददगार हैं.
  • थिकथकम कश्यम: इस दवा में ब्राह्मी, चंदन, दारुहरिद्र, नीम, पिप्पलीकुटकी मुख्य इंग्रेडिएंट्स हैं, जो बाल बढ़ाने में मदद करते हैं. 
  • थिकथकम घृतम: पटोला, नीम, कटुकी, मुस्ता व कलिंगा घृत जैसे इंग्रेडिएंट्स थिकथकम घृतम में हैं, जो बालों की ग्रोथ में सहायक हैं. 
  • च्यवनप्राश: इसमें मौजूद दशमूला, बाला, मुस्ता, जीवन्ती, जीवका, उत्पला, पिप्पली, द्राक्ष, चंदन जैसी सामग्रियां बालों को झड़ने से रोकने और बालों के बढ़ने में अहम भूमिका निभाती हैं.

(और पढ़ें - बाल लंबे करने के लिए योगासन)

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बाल बढ़ाने के लिए इस लेख में बताए गए आयुर्वेदिक उपाय अपनाए जा सकते हैं. इन आयुर्वेदिक उपायों को बालों पर लगाने से पहले पैच टेस्ट जरूर कर लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को कुछ सामग्रियों से एलर्जी हो सकती है. अन्य दवाइयों या इलाज के साथ बाल बढ़ाने के इन आयुर्वेदिक उपायों के के बारे में सही तौर पर विशेषज्ञ ही बता सकते हैं.

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