एंजेलमैन सिंड्रोम - Angelman Syndrome in Hindi

written_by_editorial

September 09, 2020

September 10, 2020

एंजेलमैन सिंड्रोम
एंजेलमैन सिंड्रोम

एंजेलमैन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है, जो मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। इसके कारण विकास में देरी, बोलने और संतुलन बनाने में समस्या, इंट्लेक्चुअल डिसएबिलिटी (जैसे सीखने, प्रॉब्लम को सॉल्व करने या निर्णय लेने में कठिनाई) और कभी-कभी दौरे की समस्या हो सकती है। इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोग अक्सर मुस्कुराते हैं, बार-बार हंसते हैं, खुशमिजाज रहते हैं और उत्तेजक व्यक्तित्व वाले होते हैं। इस विकार से प्रभावित बच्चों में बार बार दौरे पड़ने की समस्या हो सकती है, इसके अलावा कई बच्चों में सिर का आकार छोटा रह जाता है।

आमतौर पर एंजेलमैन सिंड्रोम का शुरुआती लक्षण विकास में देरी है, जो कि लगभग 6 से 12 महीने की उम्र के बीच शुरू होती है जबकि दौरे पड़ने की समस्या 2 से 3 साल की उम्र के बीच शुरू हो सकती है।

एंजेलमैन सिंड्रोम वाले लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन इस विकार को ठीक नहीं किया जा सकता है।

(और पढ़ें - बच्चे के देरी से बोलने के कारण)

एंजेलमैन सिंड्रोम के लक्षण

एंजेलमैन सिंड्रोम के संकेत और लक्षणों में शामिल हैं :

  • विकास में देरी, जिसमें बच्चा 6 से 12 महीनों के दौरान घिसलना भी शुरू नहीं कर पाता
  • इंट्लेक्चुअल डिसएबिलिटी
  • बिल्कुल नहीं बोलना या कम से कम बोलना
  • चलने, हिलने या अच्छी तरह से संतुलन बनाने में कठिनाई
  • बार-बार मुस्कुराना और हंसना
  • खुशमिजाज रहना और आकर्षक व्यक्तित्व
  • नींद में परेशानी

एंजेलमैन सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों में निम्न विशेषताएं भी देखी जा सकती हैं।

  • दौरे, आमतौर पर 2 से 3 साल की उम्र के बीच
  • अकड़न
  • सिर का पिछला हिस्सा सपाट होने के साथ सिर का छोटा आकार
  • निगलते समय जीभ को ऊपरी और निचले दांतों के बीच से आगे बढ़ाने की आदत
  • हल्के रंग के बाल, त्वचा और आंखें
  • असामान्य व्यवहार, जैसे हाथ फड़फड़ाना और चलते समय हाथ ऊपर उठना
  • नींद की संबंधित समस्या

एंजेलमैन सिंड्रोम का कारण

एंजेलमैन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है। यह आमतौर पर क्रोमोसोम 15 पर स्थित जीन में गड़बड़ी के कारण होता है, इस जीन को यूबिकिटिन प्रोटीन लिगेज ई3ए (यूबीई3ए) कहा जाता है।

यूबीई3ए नामक जीन की अनुपस्थिति या दोषपूर्ण होना

आमतौर पर प्रत्येक व्यक्ति के अंदर उसके माता-पिता से यूबीई3ए नामक जीन की एक-एक प्रति पारित होती है यानी व्यक्ति को यूबीई3ए जीन की एक प्रति मां (मातृ प्रति) से मिलती है जबकि दूसरी प्रति पिता (पितृ प्रति) से मिलती है। शरीर की कोशिकाएं आमतौर पर जीन की दोनों प्रतियों का उपयोग करती हैं, लेकिन कुछ जीन में केवल एक ही प्रति एक्टिव रहती है। आमतौर पर, मस्तिष्क में यूबीई3ए जीन की केवल मातृ प्रति ही सक्रिय होती है। 

एंजेलमैन सिंड्रोम के अधिकांश मामले तब होते हैं जब यूबीई3ए जीन की मातृ प्रति गायब या प्रभावित हो जाती है। कुछ मामलों में, एंजेलमैन सिंड्रोम तब होता है जब यूबीई3ए जीन की दो पैतृक प्रतियां वंशानुगत रूप से मिल गई हों।

(और पढ़ें - केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी)

एंजेलमैन सिंड्रोम का निदान

यदि आपके बच्चे में विकासात्मक देरी और विकार के अन्य संकेत व लक्षण हैं जैसे मूवमेंट और संतुलन बनाने में कठिनाई, सिर का आकार छोटा होना, सिर का पिछला हिस्सा सपाट होना और लगातार हंसी, तो यह एंजेलमैन सिंड्रोम की पहचान हो सकती है।

टेस्ट

सटीक निदान के लिए ब्लड टेस्ट की मदद ली जा सकती है। इस आनुवंशिक परीक्षण के जरिये बच्चे के क्रोमोसोम में असामान्यताओं की पहचान की जाती है।

इसके अलावा आनुवांशिक परीक्षणों के संयोजन के जरिये उस क्रोमोसोम का पता लगाया जा सकता है, जिसमें गड़बड़ी है। इन परीक्षणों की मदद से निम्नलिखित समीक्षा की जा सकती है :

  • माता-पिता का डीएनए पैटर्न : इस परीक्षण को डीएनए मिथाइलेशन टेस्ट के रूप में जाना जाता है, इसमें एंजेलमैन सिंड्रोम का कारण बनने वाले चार ज्ञात आनुवंशिक असामान्यताओं में से तीन की पहचान की जाती है।
  • क्रोमासोम की अनुपस्थिति : क्रोमोसोमल माइक्रोएरे टेस्ट (सीएमए) के जरिये यह पता किया जा सकता है कि क्या क्रोमोसोम के हिस्से गायब हैं।
  • जीन में गड़गड़ी : दुर्भल मामलों में, एंजेलमैन सिंड्रोम तब हो सकता है जब किसी व्यक्ति में यूबीई3ए जीन की मातृ प्रति सक्रिय हो, लेकिन उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी हो। यदि डीएनए मिथाइलेशन टेस्ट के परिणाम सामान्य आते हैं, तो ऐसे में डॉक्टर 'यूबीई3ए जीन सिक्वेंसिंग टेस्ट' करवाने की सलाह दे सकते हैं।

एंजेलमैन सिंड्रोम का उपचार

एंजेलमैन सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। वर्तमान में मौजूद उपचार का लक्ष्य विकासात्मक मामलों का प्रबंधन करना है।

  • एंजेलमैन सिंड्रोम की स्थिति में 'स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों' की एक टीम संभवतः पीड़ित बच्चे के साथ रहती है। चूंकि इसका इलाज नहीं है इसलिए संकेतों और लक्षणों का उपचार किया जाता है।
  • दौरे पड़ने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए एंटी-सीजर मेडिसिन दी जाती हैं।
  • चलने और मूवमेंट में मदद के लिए फिजिकल थेरेपी की मदद ली जाती है।
  • कम्यूनिकेशन थेरेपी, जिसमें सांकेतिक भाषा और चित्र संचार शामिल हो सकता है।