शरीर के जोड़ों को प्रभावित करने वाले विकार को “गठिया” कहा जाता है। गठिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। इस रोग में मुख्य रूप से जोड़ों में दर्द होने लगता है। दर्द हमेशा शरीर में किसी प्रकार की समस्या होने के संकेत देता है। कुछ मामलों में यह खराबी प्रभावित जगह में किसी प्रकार की चोट आदि का संकेत देती है, जबकि अन्य मामलों में आपका शरीर दर्द के भ्रमित करने वाले संकेत दे रहा होता है। 

गठिया में जोड़ों के दर्द के साथ कुछ अन्य लक्षण जैसे सूजन, हिलने-ढुलने की क्षमता कम होना और जोड़ों में अकड़न आ जाना आदि भी हो सकते हैं। स्थिति की जांच करने के लिए डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। परीक्षण की पुष्टि करने के लिए अल्ट्रासाउंड, एक्स रे और सीटी स्कैन जैसे टेस्ट भी किए जा सकते हैं।

गठिया के दर्द की रोकथाम करना कभी-कभी संभव हो सकता है, कुछ सावधानियां बरत कर गठिया के दर्द को कम किया जा सकता है। इनमें नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाना, शरीर का सही संतुलन बनाए रखना और यदि आपका वजन ज्यादा है, तो वजन कम करना आदि शामिल है। 

एनाल्जेसिक की टेबलेट व क्रीम आदि की मदद से गठिया के दर्द का इलाज किया जाता है। इसके अलावा गठिया के इलाज में कोर्टिकोस्टेरॉयड, साइकोथेरेपी, कुछ प्रकार की एक्सरसाइज व ऑपरेशन आदि शामिल हो सकते हैं। गठिया से ग्रस्त लोगों के जोड़ व नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और इससे हृदय रोग भी हो सकते हैं। 

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  1. गठिया के दर्द में क्या होता है? - Gathiya ka dard me kya hota hai in Hindi
  2. गठिया का दर्द क्यों होता है - Gathiya ka dard ka Karan in Hindi
  3. गठिया के दर्द का परीक्षण - Gathiya ke dard ka Parikshan in Hindi
  4. गठिया के दर्द की रोकथाम - Gathiya ke dard ki Roktham in Hindi
  5. गठिया के दर्द का इलाज - Gathiya ke dard ka ilaaj in Hindi
  6. गठिया के दर्द की जटिलताएं - Gathiya ke dard ki Jatiltayen in Hindi

गठिया का दर्द कहां होता है व इसके लक्षण क्या हैं?

गठिया का दर्द अपने आप में ही एक लक्षण होता है। हालांकि इसके साथ निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे: 

  • प्रभावित जोड़ को सामान्य रूप से हिला ना पाना
  • किसी जोड़ में बार-बार दर्द होना या टेंडरनेस (छूने पर दर्द) होना
  • एक या उससे अधिक जोड़ों में सूजन आना
  • प्रभावित जोड़ लाल हो जाना व आसपास की त्वचा गर्म हो जाना

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको जोड़ों में दर्द के कारण गठिया होने का संदेह हो रहा है, तो उसी समय डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। सामान्य डॉक्टर कुछ परीक्षण करके गठिया का पता लगा सकते हैं और उसके कारण होने वाले दर्द व अन्य लक्षणों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। यदि आपकी स्थिति गंभीर है, तो डॉक्टर आपको रूमेटोलॉजिस्ट (गठिया के विशेषज्ञ डॉक्टर) के पास भेज सकते हैं।

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गठिया के दर्द के कारण क्या है?

गठिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, ओस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस। गठिया के ये दोनो प्रकार अलग-अलग तरीके से शरीर के जोड़ों को प्रभावित करते हैं।

  • ओस्टियोआर्थराइटिस:
    यह गठिया का सबसे आम प्रकार होता है, जिसमें जोड़ों के कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। कार्टिलेज हड्डी के सिरे पर पाए जाने वाले मजबूत व लचीले ऊतक होते हैं। जोड़ों में इन्फेक्शन या किसी प्रकार की चोट लगना ही कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होने का मुख्य कारण होता है। (और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)
     
  • रूमेटाइड आर्थराइटिस:
    इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों की परत को क्षति पहुंचाने लग जाती है। जोड़ों कि इस परत को जॉयंट कैप्सूल कहा जाता है, यह जोड़ के सभी हिस्सों को चारों तरफ से घेर कर या ढक कर रखती है। यह रोग अंत में कार्टिलेज या जोड़ के अंदर की हड्डी को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर देता है। (और पढ़ें - हड्डियों को मजबूत करने के उपाय)

गठिया के दर्द का कारण:

गठिया में होने वाले दर्द के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

  • जोड़ों में इन्फ्लेमेशन:
    इसमें आपके जोड़ गर्म हो जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है।
     
  • जोड़ क्षतिग्रस्त होना:
    जोड़ों में किसी प्रकार की क्षति भी गठिया के दर्द का कारण बन सकती है।
     
  • मांसपेशियों में खिंचाव:
    यह स्थिति जोड़ों को किसी दर्दनाक स्थिति में मुड़ने से रोकने के दौरान होती है।

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गठिया के दर्द का खतरा कब बढ़ता है?

निम्नलिखित कुछ स्थितियां हैं, जो गठिया के दर्द का खतरा बढ़ा सकती हैं, जैसे:

  • परिवार में पहले किसी को गठिया होना
  • पुरुषों की तुलना में महिलाओं को गठिया होने का खतरा अधिक होता है
  • अधिक उम्र वाले (बूढ़े) लोग
  • पहले कभी जोड़ों में चोट लगना

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गठिया के दर्द की जांच कैसे की जाती है?

आपके डॉक्टर आपके जोड़ों का परीक्षण करेंगें और उनमें सूजन, लालिमा व त्वचा गर्म होना आदि जैसी स्थितियों का पता करेंगे। परीक्षण के दौरान डॉक्टर यह भी देख सकते हैं कि आप अपने जोड़ों को कितने अच्छे से हिला पा रहे हैं। प्रभावित जोड़ों को छूकर उनमें सूजन, द्रव जमा होने या प्रभावित त्वचा गर्म होने जैसी स्थितियों का पता लगाया जा सकता है।

इसके अलावा डॉक्टर आपके प्रभावित जोड़ को आगे और पीछे की तरफ हिला कर देख सकते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आपके जोड़ कितने हिल-ढुल पा रहे हैं। यदि आपके प्रभावित जोड़ के आस-पास या दूर कहीं टेंडरनेस (छूने पर दर्द होना) हो रही है, तो छूकर डॉक्टर उसका पता भी लगा लेते हैं। 

गठिया के जिस प्रकार पर संदेह हुआ है, उसके अनुसार डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं, जिनकी मदद से स्थिति की पुष्टि की जाती है। 

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निम्नलिखित कुछ प्रकार के टेस्ट हैं, जो आपके जोड़ों के अंदर उन सभी समस्याओं का पता लगा लेते हैं जो आपके लक्षणों का कारण बन सकती है, जैसे:

  • एक्स रे:
    यदि कार्टिलेज में किसी प्रकार की क्षति है, हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई है या फिर हड्डी बढ़ गई है तो एक्स रे स्कैन की मदद से इसका पता लगाया जा सकता है। एक्स रे की मदद से गठिया के कारण होने वाली शुरुआती क्षति का पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन रोग के लगातार बढ़ने का पता लगाने के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। (और पढ़ें - एसजीपीटी टेस्ट क्या है)
     
  • एमआरआई स्कैन:
    इसमें शक्तिशाली चुंबकिय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। एमआरआई स्कैन की मदद से नरम ऊतकों की काफी स्पष्ट तस्वीरें बनाई जा सकती हैं। नरम ऊतकों में कार्टिलेज, टेंडन और लिगामेंट्स आदि शामिल हैं। (और पढ़ें - बिलीरुबिन टेस्ट क्या है)
     
  • अल्ट्रासाउंड:
    जॉयंट एस्पिरेशन या जोड़ों में इंजेक्शन आदि लगाने के दौरान सुई की स्थिति पर नजर रखने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन की मदद ली जा सकती है। (और पढ़ें - सीआरपी ब्लड टेस्ट क्या है)
     
  • सीटी स्कैन:
    इस प्रक्रिया में भी एक्स रे किया जाता है, इसमें कई अलग-अलग जगहों से प्रभावित हिस्से की तस्वीरें ली जाती हैं। इन सभी तस्वीरों को जोड़ कर एक तस्वीर बनाई जाती है जिसे क्रॉस-सेक्शनल इमेज (Cross-sectional image) कहा जाता है। सीटी स्कैन की मदद से हड्डियों व उसके आस-पास के ऊतक दोनों की तस्वीरें प्राप्त की जा सकती हैं।

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गठिया का दर्द होने से कैसे रोकें?

गठिया से बचाव करने का कोई निश्चित तरीका मौजूद नहीं है। लेकिन कुछ उपाय इसकी रोकथाम करने या इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। कुछ सावधानियां ऐसी संभावनाओं को कम कर देती हैं, जो गठिया के दर्द का कारण बनती हैं, जैसे:

  • शरीर को ऐसी पॉजिशन में ना रखें जिससे आपके जोड़ों पर तनाव या दबाव बढ़ता है।
  • आपके शरीर के कमजोर जोड़ों व मांसपेशियों का इस्तेमाल कम करें और जो मजबूत हैं उनका इस्तेमाल ज्यादा करें।
  • अपनी सुविधा के अनुसार छड़ी या वॉकर का इस्तेमाल करें और अपने दरवाजे की कुंडी भी बदल लें।
  • जार खोलने, मोजे पहनने व उतारने आदि जैसे काम करने के लिए सहायक उपकरणों का उपयोग करें।
  • शरीर का जो जोड़ अधिक कमजोर है, उसके लिए ब्रेसिज (सहायक उपकरण) का इस्तेमाल करें।
  • बाथरूम में हैंडल को पकड़ कर रखें। 

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गठिया के दर्द का इलाज कैसे किया जाता है?

दवाएं:

डॉक्टर आपकी स्थिति की गंभीरता और आपको गठिया का दर्द कितने समय से हो रहा है, इसके आधार पर उचित दवाएं देते हैं। गठिया के दर्द में दी जाने वाली दवाओं में अक्सर निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • एनएसएआइडी:
    इन दवाओं को नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं भी कहा जाता है। ये दवाएं दर्द, सूजन व लालिमा आदि को कम करने का काम करती है। इन दवाओं में इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सेन आदि शामिल हैं। कुछ शक्तिशाली नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं डॉक्टर द्वारा पर्ची लिखने पर मिल जाती हैं। (और पढ़ें - दवाओं की जानकारी)
     
  • स्टेरॉयड्स:
    कुछ कोर्टिकोस्टेरॉड दवाएं जैसे प्रेडनिसोन, ये दवाएं सूजन, लालिमा और दर्द को कम कर देती है। डॉक्टर आमतौर पर तीव्र लक्षणों को कम करने के लिए कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं देते हैं और फिर धीरे-धीरे इसकी खुराक कम करके बंद कर देते हैं।
     
  • डीएमएआरडी (DMARDs):
    इन दवाओं को डिजीज मोडिफाइंग एंटीरूमेटिक दवाएं भी कहा जाता है। ये दवाएं लगातार बढ़ रहे रूमेटाइड आर्थराइटिस को कम कर देती हैं और जोड़ों व ऊतकों में स्थायी रूप से क्षति होने से रोक देती हैं। (और पढ़ें - गठिया का आयुर्वेदिक इलाज)
     
  • मछली का तेल:
    रूमेटाइड गठिया से होने वाले दर्द व अकड़न को दूर करने के लिए मछली के तेल का उपयोग भी किया जा सकता है। (और पढ़ें - मछली के फायदे)

गठिया के दर्द से राहत पाने के लिए इन निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें: 

  • दवाओं को समझदारी से लें:
    ऐसी काफी दवाएं हैं, जो गठिया के दर्द को नियंत्रित या कम करने में मदद करती हैं। आपके लिए कौन सी दवाएं सबसे अच्छी हैं और उनका उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका कौन सा है, इन सभी बातों को समझने के लिए आप अपने डॉक्टर से मदद ले सकते हैं।
     
  • एक्सरसाइज:
    नियमित रूप से उचित शारीरिक गतिविधि करने से दर्द कम हो जाता है। इसके अलावा इससे आपके जोड़ चलते रहते हैं, मांसपेशियां मजबूत होकर जोड़ों को सहारा प्रदान करती हैं, तनाव कम हो जाता है और अच्छी नींद आती है। डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट आपके स्वास्थ्य व शरीर के अनुसार सही एक्सरसाइज बता सकते हैं। (और पढ़ें - स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने के तरीके)
     
  • ठंडी व गर्म सिकाई करना:
    यदि इलाज को ध्यानपूर्वक और ठीक तरीके से किया जाए तो यह सुरक्षित व शांति प्रदान करने वाला होता है। गर्म सिकाई से आपकी मांसपेशियां शांत हो जाती हैं और रक्त परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) को उत्तेजित कर देती है। गर्म सिकाई करने के लिए आप गर्म पानी से नहा सकते हैं या फिर गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड अपनी प्रभावित जगह पर 15 मिनट तक लगाकर रख सकते हैं।

    ठंडी सिकाई से दर्द वाली जगह सुन्न हो जाती है और सूजन भी कम हो जाती है। प्रभावित जगह की 15 मिनट तक ठंडी सिकाई करें। ठंडी सिकाई आमतौर पर उन जोड़ों के लिए बेहतर होती है, जिनमें सूजन आ गई हो और त्वचा गर्म हो गई हो। ठंडी या गर्म सिकाई करने बाद फिर से सिकाई करने से पहले आपकी त्वचा का तापमान सामान्य होने दे। ऐसा ना होने पर त्वचा के ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। आपके लिए गर्म सिकाई ठीक है या ठंडी, इसका पता लगाने के लिए आप डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
     
  • अपने जोड़ों की देखभाल करें और अपनी ऊर्जा बचाएं:
    रोजाना के सामान्य काम करने के दौरान अपने जोड़ों की विशेष रूप से देखभाल करें। ऐसा करने से आपके जोड़ों में दर्द, तनाव और टेंडरनेस आदि जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं। इसके लिए कुछ सामान्य आदतें जैसे, ऐसी कोई गतिविधि ना करना जिस में दर्द होता हो, जरूरत पड़ने पर अन्य किसी व्यक्ति की मदद लेना और अपने कामों को सरल बनाने के लिए विशेष उपकरणों का इस्तेमाल करना आदि अपना सकते हैं। (और पढ़ें - हड्डियों में दर्द का इलाज)
     
  • एक्यूपंक्चर:
    यह चीन की एक काफी पुरानी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज की त्वचा के किसी विशेष भाग में पतली सुइयां लगाई जाती है, जिससे मस्तिष्क को दर्द का सिग्नल मिलना बंद हो जाता है और दर्द महसूस नहीं होता। (और पढ़ें - एक्यूपंक्चर क्या है)
     
  • ट्रांसक्युटेनस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टीमुलेशन (TENS):
    इस प्रक्रिया को टेन्स भी कहा जाता है। इसमें एक मशीन लगाई जाती है, जो विद्युत की बहुत ही हल्की-हल्की कंपन छोड़ती हैं, जिससे दर्द का सिग्नल मस्तिष्क तक नहीं जा पाता है। टेन्स दीर्घकालिक दर्द के लिए काफी सहायक हो सकती है, लेकिन यह सभी लोगों में काम नहीं कर पाती है।
     
  • मस्तिष्क तकनीक:
    इस प्रक्रिया में साइकोलॉजिस्ट या कोई प्रशिक्षित डॉक्टर आपको शांत रहने व दर्द का मुकाबला करने की तकनीक सिखाता है, जिसकी मदद से आप अपने लक्षणों को नियंत्रित कर पाते हैं। इसमें कुछ तकनीकें शामिल हैं, जैसे:
     
    • रिलेक्शेसन (Relaxation):
      यह जोड़ों व मांसपेशियों को आराम पहुंचाने वाली प्रक्रिया होती है, इसमें गहरी सांस लेना, काल्पनिक तस्वीरें (guided imagery) और प्रोग्रेसिव मसल रिलेक्सेशन (Progressive muscle relaxation) आदि प्रक्रियाएं मांसपेशियों में खिंचाव व तनाव को कम करने में मदद करती हैं। इन सभी तकनीकों को करने के लिए अभ्यास करना पड़ता है और आपको अपने लिए सही काम करने वाले तरीके का पता करने के लिए कई तरीके अपनाने पड़ सकते हैं।
       
    • योग:
      योग करने से भी शरीर की मांसपेशियों व जोड़ों को आराम मिलता है।

(और पढ़ें - गठिया के लिए योग)

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गठिया के दर्द से क्या समस्याएं होती हैं?

गठिया से होने वाला दर्द काफी परेशान कर देने वाला होता है और मरीज को काफी कमजोर व दुर्बल बना देता है। गठिया के दर्द में मरीज को चिंताडिप्रेशन की समस्याएं भी होने लग जाती हैं। (और पढ़ें - चिंता दूर करने के घरेलू उपाय)

गठिया के दर्द से होने वाली अन्य दीर्घकालिक समस्याएं जैसे:

  • नींद बाधित होना:
    यदि रात के समय आपके जोड़ में किसी प्रकार का दर्द या टेंडरनेस हो रही है, तो उसके कारण बार-बार आपकी नींद खुल जाती है। रात के समय पर्याप्त नींद ना लेने के कारण भी आपके गठिया का दर्द तीव्र हो सकता है। (और पढ़ें - नींद ना आने का कारण)
     
  • वजन बढ़ना:
    जोड़ों में दर्द या अकड़न होने के कारण आपकी लगातार एक्टिव रहने की इच्छा कम हो जाती है। जब आप किसी शारीरिक गतिविधि में हिस्सा लेना बंद कर देते हैं, जिससे आपको खुशी मिलती है। गतिविधियों में हिस्सा ना लेने के कारण आपकी कम गतिशील हो जाते हैं और आपका वजन बढ़ने लग जाता है। (और पढ़ें - वजन कम करने के उपाय)
     
  • रोजाना के काम ना कर पाना:
    गठिया के दर्द के कारण आप अपने रोजाना के काम करने में भी असमर्थ हो जाते हैं।

(और पढ़ें - फिट रहने के घरेलू उपाय)

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