शरीर छिदवाने से होने वाली समस्या - Body Piercing Problems in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

November 10, 2020

January 18, 2021

शरीर छिदवाने से होने वाली समस्या
शरीर छिदवाने से होने वाली समस्या

भारत में भी पुरुष और महिला दोनों लोग पियर्सिंग कराना पसंद करते हैं। वैसे तो यहां सबसे पसंदीदा हिस्सा कान है, लेकिन शरीर के कई हिस्सों में भी पियर्सिंग कराई जा सकती है। पियर्सिंग कराने वाले ज्यादातर लोगों में कोई समस्या नहीं होती है, लेकिन कुछ मामलों में संक्रमण होने का खतरा रहता है।

पियर्सिंग का मतलब छिदवाना होता है। आपने ईयर पियर्सिंग या नोज पियर्सिंग के बारे में सुना होगा, जिसमें कान या नाक छिदवाए जाते हैं। उसी तरह बॉडी पियर्सिंग (शरीर में कहीं भी छिदवाना) भी करवाते हैं। ​यदि आप भी बॉडी पियर्सिंग के बारे में सोच रहे हैं, तो यहां कुछ ऐसी बातें बताई जा रही हैं, जिनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी हो सकता है।

  • यदि आप स्कूल लाइफ में हैं तो क्या आपका स्कूल इसकी अनुमति देगा? क्योंकि भारत जैसे देश में स्कूलों में छात्रों को पियर्सिंग की अनुमति नहीं होती है।
  • क्या आप नौकरी की तलाश में हैं? कुछ ऐसी जॉब्स होती हैं जहां कर्मचारियों को पियर्सिंग की अनुमति नहीं होती है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपको जिस सेक्टर में करियर बनाना है, उसमें पियर्सिंग से दिक्कत तो नहीं होगी।
  • क्या आप रक्तदान करने की सोच रहे हैं? कुछ संगठन उन लोगों द्वारा खून नहीं लेते, जिन्होंने एक साल के अंदर पियर्सिंग कराया हो।
  • क्या आपका वैक्सीनेशन समय-समय पर होता रहता है? यह सुनिश्चित करने की जरूरत होती है कि पीयर्सिंग से पहले हेपेटाइटिस बी और टेटनस जैसी बीमारियों से बचने के लिए जरूरी वैक्सीनेशन किया गया हो।

(और पढ़ें - नाक छिदवाने के फायदे और नुकसान)

क्या पियर्सिंग सुरक्षित है? - Is Piercing Safe in Hindi

पियर्सिंग यदि स्वच्छ वातावरण में किसी पेशेवर की मदद से कराई जाए, तो आमतौर पर यह सुरक्षित है, लेकिन यदि पियर्सिंग वाले उपकरण अच्छे से साफ नहीं हैं, तो ब्लड ट्रांसमिटेड डिजीज यानी रक्त-संचारित बीमारियां होने का खतरा हो सकता है। इन बीमारियों में शामिल है :

रोगाणु मुक्त वातावरण में, पियर्सिंग के सामान्य जोखिमों में शामिल हैं :

जिन लोगों को निम्नलिखित समस्याएं हैं, उन्हें पियर्सिंग से पहले डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए :

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पियर्सिंग कराते समय सावधानियां - Precautions before Body Piercing in Hindi

कभी भी खुद किसी दोस्त के हाथों पियर्सिंग न कराएं

  • जहां से पियर्सिंग कराने जा रहे हैं वहां का माहौल और उपकरण स्वच्छ होने चाहिए
  • पियर्स करने वाले के हाथ कीटाणु रहित होने चाहिए
  • पियर्स करने वाले को मेडिकल प्रोसीजर में इस्तेमाल किए जाने वाले दस्ताने पहनने चाहिए
  • नई सुई का प्रयोग होना चाहिए

(और पढ़ें - कान के छेद में संक्रमण)

पियर्सिंग संक्रमित होने पर क्या करना चाहिए? - What happens if my Piercing becomes Infected in Hindi

पियर्सिंग के बाद अस्थायी रूप से दर्द या सूजन की समस्या सामान्य है, लेकिन अगर दर्द लंबे समय तक बना रहता है, तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है।

यदि आपने ओरल पियर्सिंग कराई है, तो अतिरिक्त सावधानी की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि मुंह में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से यह संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है। इसके अलावा कई बार दांतों या मसूड़ों को भी नुकसान पहुंच सकता है।

संक्रमण के संकेतों में शामिल हो सकते हैं :

  • दर्द, जो एक या दो दिन से ज्यादा समय के लिए प्रभावित करता है
  • तेज दर्द या सूजन
  • पीला, बदबूदार डिस्चार्ज
  • लंबे समय तक ब्लीडिंग
  • लालिमा

यदि आपको लगता है कि आपका छेद संक्रमित हो सकता है तो छेद में पहने हुए गहने को बाहर मत निकालिए, इससे छेद बंद हो सकता है और संक्रमण फैल सकता है। यदि एक दो दिन में समस्या ठीक नहीं हो रही है तो डॉक्टर के पास जाएं, क्योंकि ऐसे में संक्रमण गंभीर भी हो सकता है।

संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है? - How to Prevent Body Piercing Infection in Hindi

ओरल क्लीनिंग : यदि आप अपनी जीभ, होंठ या गाल छिदवा चुके हैं, तो हर बार भोजन के बाद और बिस्तर पर जाने से पहले एंटीसेप्टिक माउथवॉश से कुल्ला करें। पियर्सिंग के बाद आपको मुंह से बैक्टीरिया खत्म करने के लिए नरम-ब्रिसल वाले टूथब्रश की जरूरत पड़ सकती है।

  • स्किन क्लीनिंग : यदि पियर्सिंग के दौरान त्वचा छिल गई है, तो दिन में दो बार साबुन और पानी से प्रभावित हिस्से को साफ करें। ध्यान रहे छेद वाले हिस्से को साफ करने से पहले अपने हाथ को भी अच्छी तरह से धोएं।
  • तैरने से बचें : यदि आपकी पियर्सिंग अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है, तो इसके ठीक होने तक पूल, हॉट टब, नदी, झीलें या क​हीं भी तैराकी न करें।
  • पियर्सिंग वाले हिस्से को ज्यादा न छुएं : अक्सर इसमें कोई कपड़ा फसने का जोखिम रहता है, जिसकी वजह से तेज खिचाव हो सकता है। इसके अलावा अत्यधिक रगड़ या घर्षण से भी बचें, क्योंकि इससे हीलिंग प्रोसेस (ठीक होने की प्रक्रिया) में देरी हो सकती है।

(और पढ़ें - कान के छेद में संक्रमण)

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