बाल शोषण - Child abuse in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

October 28, 2020

March 29, 2022

बाल शोषण
बाल शोषण

किसी बच्चे के साथ किया गया भावनात्मक, शारीरिक अथवा यौन शोषण या उपेक्षा को बाल दुर्व्यवहार या बाल शोषण कहा जाता है। आमतौर पर 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ किया गया शोषण, बाल शोषण के अंतर्गत आता है। अब तक के अध्ययनों के अनुसार इस तरह का दुर्व्यवहार, उन वयस्कों द्वारा किया जाता है जो बच्चों की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं या फिर उनके परिवार के सदस्य होते हैं। कई मामलों में माता-पिता द्वारा भी बच्चों के शोषण के मामले सामने आए हैं।

अमेरिका स्थिति रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में हर सात में से एक बच्चा दुर्व्यवहार का शिकार होता है। हालांकि, यह संख्या और अधिक भी हो सकती है क्योंकि ऐसे ज्यादातर मामलों को रिपोर्ट नहीं किया जाता है। वहीं एक अध्ययन में यूनिसेफ ने बताया कि भारत में 6 साल तक के बच्चों पर माता-पिता द्वारा करीब 30 प्रकार के शोषण किए जाते हैं। यहां चूंकि शोषण के प्रकार का जिक्र किया गया है ऐसे में अब यह जान लेना आवश्यक है कि बाल शोषण कितने प्रकार का होता है।

इस लेख में हम बाल शोषण के लक्षण, कारण और इससे जुड़ी जानकारियां प्राप्त करेंगे।

बाल दुर्व्यवहार के प्रकार - Types of Child abuse in Hindi

बाल शोषण की स्थिति को समझने के लिए इसके प्रकारों को जान लेना आवश्यक होता है। बाल दुर्व्यवहार मुख्यरूप से चार प्रकार का होता है।

  1. भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार

बच्चों के साथ होने वाला भावनात्मक अथवा मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार आमतौर पर दूसरे लोगोंं के लिए समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन बच्चों पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यह तब होता है जब कोई व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण ढंग से बच्चे को मानसिक रूप से नीचा दिखाने का प्रयास करता है। वह बच्चे को एहसास दिलाना चाहता है कि बच्चा सामाजिक रूप से अक्षम, बेकार अथवा अप्रिय है। यह कई प्रकार से हो सकता है।

  • बच्चों को साइलेंट ट्र्रीटमेंट देना
  • बच्चों को यह बताना कि वे बुरे हैं, सामाजिक स्तर से फिट या काबिल नहीं हैं
  • बच्चे का मज़ाक उड़ाना
  • उन्हें चुप कराने के लिए चिल्लाना
  • उन्हें विचार या राय व्यक्त करने की अनुमति न देना
  • बच्चों को धमकी देना
  • भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करना

2. बाल यौन शोषण

ऐसा कोई भी कार्य जिसके चलते बच्चों को यौन गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़े, वह बाल यौन शोषण कहलाता है। यौन शोषण, बच्चों को हाथ लगाए बिना भी हो सकता है। मौखिक रूप से भी बच्चों को यौन गतिविधियों में शामिल करने की इच्छा या प्रयास भी इसी श्रेणी में आता है। बाल यौन शोषण के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हो सकते हैं -

  • बच्चों के साथ बलात्कार
  • बच्चों के साथ ओरल सेक्स करना या प्रयास करना
  • बच्चों को गलत तरीके से छूना, चुंबन करना या हस्तमैथुन करना
  • बच्चों को गंदे चुटकुले अथवा कहानियां सुनाना
  • बच्चों को जबरदस्ती यौन क्रियाओं से संबंधित वीडियो दिखाना
  • यौन संबंध बनाने की इच्छा से बच्चों को प्रलोभन देना

3. बाल शारीरिक शोषण

शारीरिक बल का प्रयोग करते हुए जानबूझकर बच्चों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश बाल शारीरिक शोषण की श्रेणी में आता है। इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हो सकते हैं -

  • बच्चे को मारना-पीटना
  • सजा के रूप में बच्चों को दौड़ने अथवा ऐसे कार्यों के लिए मजबूर ​करना जो कष्टकारक हों
  • त्वचा का जला देना
  • गला घोटना या सांस न लेने देना
  • जहर देना
  • बच्चों को बांध देना
  • बच्चों को नींद, भोजन या दवा से वंचित रखना

4. बच्चों की उपेक्षा

अभिभावक अथवा देखभाल करने वाले लोगोंं द्वारा बच्चे की बुनियादी भौतिक और भावनात्मक जरूरतों को न पूरा कर पाना या न करना, उपेक्षा कहलाता है। इन जरूरतों में शामिल हैं -

  • रोटी, कपड़ा और मकान
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य देखभाल
  • बच्चों पर नजर रखना

उपेक्षा के संकेतों को पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसा भी होता है कि सीमित संसाधानों वाले परिवार वास्तव में अपने बच्चों की उपेक्षा नहीं कर रहे होते हैं पर उनके लिए उपरोक्त आवश्यकताओं को पूरा कर पाना संभव नहीं होता है। उपेक्षा को इस तरह से दूसरे शब्दों में समझा जा सकता है -

  • बच्चे की तबीयत ठीक न होने पर आवश्यक चिकित्सा के लिए जानबूझ कर डॉक्टर के पास न ले जाना
  • बच्चे का लंबे समय तक घर पर न तो ध्यान रखना न ही उनसे बात करना
  • बच्चों के लिए मौसम के हिसाब से कपड़े न उपलब्ध कराना। (जैसे सर्दियों में कोई जैकेट न देना)
  • बच्चों के कपड़े, शरीर और बालों की साफ-सफाई न करना
  • भोजन जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए पैसा न होना
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बाल दुर्व्यवहार के लक्षण - Child abuse symptoms in Hindi

जिस बच्चे के साथ दुर्व्यवहार हो रहा होता है वह स्वयं को दोषी, शर्मिंदा या भ्रमित महसूस कर सकता है। सामान्य रूप से वह दुर्व्यवहार के बारे में किसी को बताने से डरता है, खासकर अगर ऐसा उसके माता-पिता, अन्य रिश्तेदार या परिवार के लोगों के द्वारा किया जा रहा हो। यही कारण है कि बच्चों में निम्न लक्षणों को देखना काफी महत्वपूर्ण होता है।

  • मित्रों या सामान्य पारिवारिक गतिविधियों से दूर रहना
  • व्यवहार में परिवर्तन जैसे कि बच्चों में पहले की तुलना में अधिक आक्रामकता, क्रोध, शत्रुता या अति सक्रियता दिखाई देना
  • अवसाद, चिंता, भय या आत्मविश्वास में अचानक से गिरावट आना
  • स्कूल जाने की इच्छा न होना
  • लोगों से भागने का प्रयास करते रहना
  • उद्दंड व्यवहार
  • आत्महत्या की कोशिश करना

यह सामान्य लक्षण हैं इसके अलावा बाल शोषण के विभिन्न प्रकारों के आधार पर उसके लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं।

शारीरिक शोषण के लक्षण

  • अप्रत्याशित रूप से चोट लगना, जैसे कि फ्रैक्चर या जलन
  • बच्चों द्वारा चोट के बताए गए कारणों से वास्तविकता का मेल न होना

बच्चों के साथ यौन शोषण के लक्षण

भावनात्मक शोषण के संकेत और लक्षण

  • बच्चों का ठीक तरीके से भावनात्मक विकास न होना
  • आत्मविश्वास या आत्मसम्मान की कमी
  • सामाजिक दूरी बनाना
  • स्कूल जाने से मना करना
  • स्कूल के कार्यों में कमी

उपेक्षा के लक्षण और संकेत

  • आवश्यकतानुरूप बच्चों की वृद्धि न होना
  • बच्चों में स्वच्छता की कमी
  • शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कपड़ों का न होना
  • बिना अनुमति के किसी से भी भोजन या पैसा ले लेना
  • लंबे समय तक खाने को छिपाकर रखना
  • स्कूल में उपस्थिति की कमी

बाल शोषण के कारण - Child abuse causes in Hindi

बच्चों के साथ होने वाला शोषण कई परिस्थितियों के कारण हो सकता है। इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं।

घरेलू हिंसा

जो बच्चे घरेलू हिंसा के परिवेश में बड़े हो रहे होते हैं, उनको तमाम प्रकार के शोषण का खतरा होता है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि जो पुरुष अपनी पत्नी के साथ मारपीट और गाली गलौज करते हैं वही बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।

शराब और नशीली दवाओं का सेवन

माता-पिता का शराब और नशीली दवाओं का सेवन करना भी बच्चों के कई प्रकार के शोषण का कारण बन सकता है। इस स्थिति में बच्चे शारीरिक शोषण और उपेक्षा के शिकार हो सकते हैं।

मानसिक रोग

माता-पिता का किसी मानसिक बीमारी का शिकार होना बाल शोषण का एक सामान्य कारण होता है। लंबे समय से रहने वाला अवसाद या कोई मानसिक बीमारी माता-पिता को बच्चों से दूर करने लगता है।

मातृत्व कौशल की कमी

माता-पिता में अपने बच्चों की देखभाल करने का कौ​शल स्वाभाविक रूप से मौजूद होता है, लेकिन कई माता-पिता ऐसे भी होते हैं जो ऐसा करने में स्वयं को अक्षम अनुभव करते हैं। ऐसे में भी उनके बच्चों के अनजाने में ही सही, शोषण का खतरा अधिक र​हता है।

तनाव और सहायता का अभाव

जिन बच्चों के माता-पिता अक्सर तनाव में रहते हैं, उन बच्चों में मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार का खतरा अधिक रहता है। तनाव के कारण माता-पिता अपने बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं। तलाक, पारिवारिक रिश्ते की समस्या और नौकरी से संबंधित समस्याओं के कारण माता-पिता अपने बच्चों से दुर्व्यवहार कर सकते हैं।

बाल शोषण के दुष्प्रभाव - Complications of Child abuse in Hindi

बाल दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों को अगर सामाजिक समर्थन मिले तो उनमें शोषण के भौतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। हालांकि, सभी बच्चे उस मनोदशा से बाहर नहीं आ पाते हैं। शोषण का बच्चे के शारीरिक, व्यवहारिक या मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं।

शारीरिक समस्याएं

  • अकाल मृत्यु
  • शारीरिक विकलांगता
  • सीखने की क्षमता में कमी
  • मादक द्रव्यों के सेवन की लत
  • स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हृदय रोग, प्रतिरक्षा विकार, फेफड़ों की बीमारी और कैंसर

व्यवहारिक समस्याएं

  • हिंसक व्यवहार
  • दूसरों से सही से पेश न आना
  • लोगों से दूरी बनाना
  • आत्महत्या का प्रयास करना या स्वयं को चोट पहुंचाना
  • उच्च जोखिम वाली यौन गतिविधियां या किशोरवस्था में गर्भावस्था
  • पढ़ाई पूरी न करना
  • काम करने में समस्याएं

भावनात्मक समस्याएं

  • आत्म सम्मान की कमी
  • संबंधों को स्थापित करने या बनाए रखने में कठिनाई
  • माता-पिता के बारे में सम्मान की भावना न होना
  • तनाव और कुंठा

मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं

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बाल शोषण का निदान - Diagnosis of Child abuse in Hindi

बच्चों में दुर्व्यवहार या उपेक्षा की समस्या को पहचानना काफी मुश्किल होता है। इसके लिए शारीरिक और व्यवहार संबंधी लक्षणों की जांच के साथ स्थिति के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। बाल दुर्व्यवहार की समस्या के निदान के लिए निम्न परीक्षणों को करने की आवश्यकता हो सकती है।

  • बच्चों के शरीर पर चोट के लक्षणों का पता करने के लिए शारीरिक परीक्षण
  • लैब टेस्ट, एक्स-रे और अन्य परीक्षण
  • बच्चे के मेडिकल और डवेलपमेंटल हिस्ट्री की जानकारी
  • बच्चे के व्यवहार का अवलोकन करना
  • बच्चों का अपने माता-पिता और देखभाल करने वाले लोगों के साथ बातचीत का अवलोकन
  • बच्चों के साथ बातचीत कर स्थिति को जानने का प्रयास करना

बाल शोषण के लक्षणों की प्रारंभिक पहचान कर लेने से भविष्य में होने वाली समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

बाल शोषण का इलाज - Treatment of Child abuse in Hindi

बाल शोषण के शिकार बच्चों की स्थिति का निदान कर उन्हें चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक होता है। इलाज की सबसे पहली प्राथमिकता बच्चों को सुरक्षित महसूस कराना होता है।इलाज की तमाम विधियों के द्वारा बच्चों में दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लक्षणों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। शोषण के शिकार बच्चों की स्थि​ति के आधार पर इलाज की निम्न प्रक्रियाओं को प्रयोग में लाया जा सकता है।

चिकित्सकीय देखभाल

शोषण के शिकार बच्चों को उचित देखभाल प्रदान करने की आवश्यकता होती है। यदि बच्चे में किसी प्रकार के चोट के निशान दिखें या उसकी चेतना में कोई बदलाव नजर आए तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं। बच्चे की स्थिति का आकलन करके डॉक्टर उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हैं।

साइकोथेरपी

शोषण का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। ऐसे में साइकोथेरपी काफी महत्वपूर्ण चिकित्सकीय विधि हो सकती है। साइकोथेरपिस्ट से बात करने से -

  • शोषण के शिकार बच्चों में दूसरे लोगों के प्रति दोबारा से विश्वास बढ़ाया जा सकता है
  • थेरपिस्ट बच्चे को सामान्य व्यवहार और रिश्तों के बारे में बताते हैं
  • बच्चे का आत्म-सम्मान बढ़ाने और समस्याओं का सामना करना सिखाया जाता है

साइकोथेरपी माता-पिता के लिए भी मददगार हो सकती है। इससे उन्हें -

  • शोषण की जड़ों को समझने में आसानी होती है
  • जीवन से संबंधित समस्याओं से निपटने के प्रभावी तरीकों की जानकारी होती है
  • शोषित बच्चों की सही देखभाल के तरीकों के बारे में जान सकते हैं

दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों की किस प्रकार से मदद की जा सकती है? - How to help Child abuse survivor in Hindi

जिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो उनके लिए सुरक्षित माहौल बनाने के साथ पोषण संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करना बहुत आवश्यक होता है। इसके पहले चरण में बच्चों को विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता होती है।

शारीरिक समस्याओं का इलाज

यदि बच्चे का शारीरिक शोषण किया गया है, तो उसे अस्पताल ले जाने की आवश्यकता होती है। चिकित्सक बच्चे की टूटी हुई हड्डियों, जलने या चोटों से संबंधित समस्याओं का इलाज करते हैं। वहीं यदि बच्चा यौन शोषण का शिकार है, तो उसे अतिरिक्त परीक्षण और इलाज की आवश्यकता हो सकती है।

सुरक्षा का एहसास कराना

यदि कोई बच्चा अपने घर में सुरक्षित महसूस नहीं करता है तो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखने वाली संस्थाएं उसे अस्थायी रूप से घर से दूर कर सकती हैं। इस समय के दौरान माता-पिता को काउंसलर के निगरानी में रखा जाता है। बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के निगरानी में रखा जाता है।

बच्चे को प्यार दें

शोषण के शिकार बच्चों को विशेष रूप से प्यार और पालन-पोषण की आवश्यकता होती है। बच्चों की बातों को सुनना और उनके जीवन में खुद को सकारात्मक रूप से शामिल करना काफी लाभदायक हो सकता है। ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चे अपनी समस्याओं को आपसे बेहिचक शेयर कर सकें। इसके अलावा सुखद पारिवारिक और सामाजिक वातावरण बनाने से भी तेजी से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

गुस्से में जवाब दें

यदि आप किसी बात को लेकर परेशान हैं तो थोड़ा ब्रेक लें। अपना गुस्सा बच्चों पर न निकालें। अपने चिकित्सक से उन तरीकों के बारे में बात करें, जिनसे आप तनाव का आसानी से सामना कर सकें। बच्चों को ऐसा माहौल दें, जिससे उनके लिए मानसिक समस्याओं से बाहर निकल पाना आसान हो।

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