मुंबई के स्लम एरिया धारावी में कोरोना वायरस संकट फैलने के बाद से पहली बार कोविड-19 का एक भी नया मामला दर्ज नहीं किया गया है। इस बेहद तंग जगह में रहने वाली बड़ी आबादी में एक भी केस सामने न आना एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, इसके लिए महाराष्ट्र के स्वास्थ्यकर्मियों और शोधकर्ताओं ने धारावी में कोविड-19 से जुड़े हालात नियंत्रित करने के लिए रात-दिन एक कर काम किया है। धारावी में सैकड़ों झुग्गी-झोपड़ी आपस में सटी हुई हैं और अधिकतर लोग अलग-अलग इलाकों में बने एक ही शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में यहां सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों को लागू करना भी बहुत मुश्किल है। इसके बावजूद इस इलाके में कोरोना वायरस का एक भी नया मामला दर्ज न होना अपनेआप में बड़ी उपलब्धि है। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी धारावी में कोरोना संक्रमण के ट्रांसमिशन को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा कर चुका है।

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एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, धारावी में कोविड-19 के नियंत्रण के लिए काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले स्लम में से एक माने जाने वाले इस इलाके में इंटरवेंशन, आइसोलेशन और टेस्टिंग का काम काफी अच्छे तरीके से हुआ है, जिसके चलते स्वास्थ्य अधिकारी धारावी को संक्रमण के बढ़ने के खतरे से बचा पाने में सफल रहे हैं। ताजा नियंत्रण से पहले भी धारावी में कोरोना ट्रांसमिशन को काफी बड़े लेवल पर कंट्रोल किया जा चुका है। रिपोर्टों के मुताबिक, बीती 26 जुलाई को धारावी में कोविड-19 के केवल दो मामलों की पुष्टि हुई थी। तब डब्ल्यूएचओ ने वायरस को नियंत्रित करने के लिए किए गए प्रयासों की तारीफ की थी। हालांकि उसके बाद यहां फिर से मामले बढ़ने लगे थे। लेकिन अब धारावी में पहली बार कोरोना वायरस का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है। देखना होगा कि इस उपलब्धि को बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन और सरकार कितने कामयाब रहते हैं।

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इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खतरे को देखते हुए यूनाइटेड किंगडम से आने वाले लोगों के लिए इंस्टीट्यूशनल क्वांरटीन की अवधि कम कर दी है। यह अवधि उन लोगों के लिए कम की गई है, जो हाल में यूके से लौटने के बाद कोविड-19 टेस्ट में नेगेटिव पाए गए हैं। पहले सरकार ने इन लोगों के लिए 14 दिन का संस्थागत क्वारंटीन पीरियड तय किया था, भले ही टेस्ट पॉजिटिव आए या नेगेटिव। लेकिन अब सरकार ने फैसले में संशोधन कर दिया है। इस संबंध में गुरुवार को जारी किए एक आदेश में महाराष्ट्र सरकार ने कहा, '(यूके से) लौटने पर बिना लक्षण वाले मरीजों के आरटी-पीसीआर टेस्ट किए जाएंगे। उन्हें सरकार द्वारा संस्थागत क्वारंटीन या होटल ले जाया जाएगा। इस दौरान पांचवें-सातवें दिन इन लोगों का फिर आरटी-पीसीआर टेस्ट होगा। एक बार परिणाम नेगेटिव आने के बाद (इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन खत्म कर) उन्हें कड़े होम क्वारंटीन में सात दिन के लिए भेज दिया जाएगा। अगर परिणाम पॉजिटिव आया और मरीज में लक्षण नहीं दिखे तो उसे इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन के तहत पूरे 14 दिन पूरे करने होंगे।'

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