सिस्टसरकोसिस (टेनिया सोलियम से फैलने वाला संक्रमण) - Cysticercosis in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

December 31, 2019

March 06, 2020

सिस्टसरकोसिस
सिस्टसरकोसिस

सिस्टसरकोसिस क्या है?
सिस्टसरकोसिस एक संक्रमण है, जो टेनिया सोलियम (टी सोलियम) नामक परजीवी के कारण होता है। ये परजीवी पोर्क टेपवर्म के नाम से भी जाना जाता है। ये शरीर के विभिन्न हिस्सों में सिस्ट बनाता है। इसकी वजह से मस्तिष्क सहित शरीर के विभिन्न हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। इस बीमारी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग होते हैं। यदि यह समस्या मस्तिष्क में हो, तो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में असामान्यता पैदा हो सकती है, जिस कारण अक्सर दौरेसिरदर्द जैसी समस्या हो सकती है। सिस्टसरकोसिस आंखों, रीढ़ की हड्डी, त्वचा और हृदय को भी प्रभावित कर सकता है।

सिस्टसरकोसिस के लक्षण
ज्यादातर ये परजीवी मांसपेशियों में रहते हैं और कोई लक्षण पैदा नहीं करते हैं। शरीर के किस हिस्से में संक्रमण हुआ है, इस बात पर लक्षण निर्भर करते हैं, इसके लक्षण हैं:

जब आंतों में टेपवर्म पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं, उसके बाद छह से आठ सप्ताह में लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। ये लक्षण तब तक प्रभावित कर सकते हैं जब तक कि इलाज के दौरान इन परजीवियों की मृत्यु न हो जाए। यदि इनका इलाज नहीं किया गया तो यह वर्षों तक जीवित रह सकते हैं।

सिस्टसरकोसिस के कारण
सिस्टसरकोसिस अक्सर तब होता है जब हम टी सोलियम नामक परजीवी द्वारा दूषित खाद्य पदार्थ का सेवन कर लेते हैं। ऑटो-इन्फेक्शन तब होता है जब कोई व्यक्ति टी सोलियम से ग्रस्त होता है और वह इस परजीवी के दूषित तत्व को दोबारा से निगल लेता है। जब कोई व्यक्ति मल त्याग करने के बाद अच्छी तरह से हाथ नहीं धोता है, तो उसे भी यह संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा संक्रमित मल के संपर्क में आने से भी ये बीमारी फैल सकती है।

सिस्टसरकोसिस के लिए टेस्ट
इस बीमारी में निम्न टेस्ट करवाने की सलाह दी जा सकती है:

  • शरीर में परजीवियों से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट
  • प्रभावित हिस्से की बायोप्सी
  • घाव का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन या एक्स-रे
  • स्पाइनल टैप (रीढ़ की हड्डी में सुई डालकर की जाने वाली चिकित्सा प्रक्रिया)
  • चूंकि इस बीमारी में आंखें प्रभावित हो सकती हैं इसलिए नेत्र विशेषज्ञ आंखों के अंदरूनी हिस्से की जांच कर सकते हैं।

सिस्टसरकोसिस का इलाज
इस बीमारी का निम्न तरीके से इलाज किया जा सकता है:

  • परजीवियों को मारने के लिए दवाएं जैसे एल्बेंडाजोल या प्राजिकांटल
  • सूजन को कम करने के लिए सूजन-रोधी दवाएं (स्टेरॉयड)
  • यदि सिस्ट आंख या मस्तिष्क में है, तो एंटी-पैरासिटिक (परजीवी मारने के लिए) उपचार के दौरान सूजन के कारण होने वाली समस्याओं से बचने के लिए अन्य दवाओं से कुछ दिन पहले स्टेरॉयड शुरू कर देना चाहिए। हालांकि एंटी-पैरासिटिक उपचार से सभी मरीजों को लाभ नहीं होता है। 
  • कभी-कभी संक्रमित हिस्से को निकालने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

सिस्टसरकोसिस का निदान पूरी तरह से क्लीनिकल टेस्ट पर निर्भर है। इसमें मरीज की फैमिली हिस्ट्री व कुछ और टेस्ट के आधार पर निदान किया जा सकता है। हो सकता है कि इस दौरान डॉक्टर एमआरआई और सीटी स्कैन का उपयोग कर सकते हैं।