ड्रैकुनकुलाइसिस - Dracunculosis in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

December 12, 2019

May 19, 2021

ड्रैकुनकुलाइसिस
ड्रैकुनकुलाइसिस

ड्रैकुनकुलाइसिस को गिनी-वॉर्म डिजीज (जीडब्लूडी) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक परजीवी संक्रमण है, जो कि कीड़े की वजह से होता है। यह कीड़ा लंबे धागे की तरह दिखता है। ड्रैकुनकुलाइसिस बीमारी विशेष रूप से तब होती है, जब कोई व्यक्ति ऐसा पानी पीता है, जो इस परजीवी द्वारा दूषित होता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में ड्रैकुनकुलाइसिस घातक नहीं होता है, लेकिन कुछ मामलों में संक्रमित व्यक्ति हफ्तों तक अपंग और सामान्य कार्य करने में असमर्थ हो सकता है। यह स्थिति ज्यादातर गांव और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को प्रभावित करती है, जो मुख्य रूप से पीने के पानी के लिए तालाब जैसे खुली सतह के जल स्रोतों पर निर्भर रहते हैं।

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ड्रैकुनकुलाइसिस के लक्षण क्या हैं? - Dracunculiasis symptoms in Hindi

ड्रैकुनकुलाइसिस से ग्रस्त लोगों में लगभग 1 वर्ष तक कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। इसके बाद व्यक्ति बीमार होना शुरू हो जाता है। ड्रैकुनकुलाइसिस के लक्षण नीचे दिए गए हैं :

90 प्रतिशत से अधिक मामलों में यह कीड़े टांगों और पैरों से बाहर निकलते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह शरीर के अन्य हिस्सों पर भी दिखाई दे सकते हैं।

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ड्रैकुनकुलाइसिस का कारण क्या है? - Dracunculiasis causes in Hindi

ड्रैकुनकुलाइसिस का कारण एक परजीवी संक्रमण है। यह ड्रैकन्कुलस मेडिनेन्सिस नामक कीड़े की वजह से होता है। परजीवी ऐसे जीव होते हैं, जिन्हें जीवित रहने के लिए दूसरे जीवों पर आश्रित रहना होता है। यह बीमारी 'गिनी वॉर्म लार्वा' युक्त पानी पीने से फैलती है। बता दें, लार्वा किसी कीड़े का अपरिपक्व रूप होता है। इस बीमारी से बचना ही बेहतर उपाय है, क्योंकि इसे रोकने के लिए न तो कोई दवा है और न ही कोई वैक्सीन उपलब्ध है।

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ड्रैकुनकुलाइसिस का इलाज क्या है? - Dracunculiasis treatment in Hindi

जब गिनी कीड़ा शरीर से बाहर आने वाला होता है, तब यह प्रभावित हिस्से या त्वचा पर दर्दनाक जलन वाला फफोला पैदा करता है। जीडब्लूडी को नियंत्रित करने में कीड़े को हटाने और सामान्य रूप से घाव की देखभाल करना शामिल है। जब कीट का एक हिस्सा घाव से बाहर निकलने लगता है, तभी घाव के अंदर से कीड़े के बाकी हिस्से को धीरे-धीरे बाहर निकाला जा सकता है। इस प्रक्रिया में हर दिन केवल कुछ सेंटीमीटर ही कीड़े को बाहर निकाला जाता है। आमतौर पर इसमें कई सप्ताह लग सकते हैं। जीडब्लूडी को नियंत्रित करने में निम्नलिखित चरण शामिल हैं : 

  • सबसे पहले, संक्रमित व्यक्ति को पीने के पानी के स्रोतों का इस्तेमाल करने से रोका जाना चाहिए। घाव व इसके आसपास के हिस्से को साफ रखें। प्रभावित अंग को पानी में डुबोया या भिगोया जा सकता है ताकि कीड़ा अपने लार्वा को बाहर निकालने की कोशिश करें। (और पढ़ें - घाव सुखाने के घरेलू उपाय)
  • इसके बाद कीड़े को पतली छड़ी (जैसे माचिस की तीली) के चारों ओर लपेटकर छोड़ दिया जाता है, ताकि खिंचाव बना रहे और इसे वापस अंदर जाने से रोका जा सके।
  • कीड़े को बेहद सावधानी से धीरे-धीरे बाहर खींचा जाता है। इस दौरान अत्यधिक खिंचाव न बनने दें, वरना कीड़े के दो भाग हो सकते हैं और फिर बचे हुए कीड़े को निकालना मुश्किल हो सकता है।
  • इसके बाद, बैक्टीरियल संक्रमण को रोकने के लिए घाव पर एंटीबायोटिक दवाएं लगाई जाती हैं।
  • प्रभावित अंग पर पट्टी बांधी जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान दर्द और सूजन को कम करने के लिए एस्पिरिन या आइबुप्रोफेन जैसी दवाइयां डॉक्टर की सलाह के बाद ली जा सकती हैं।
  • इन चरणों को तब तक हर दिन दोहराया जाता है, जब तक कि कीड़ा पूरी तरह से बाहर नहीं निकल आता।

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