तिल्ली बढ़ना - Enlarged Spleen in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

July 07, 2018

April 17, 2023

तिल्ली बढ़ना
तिल्ली बढ़ना

प्लीहा को हिंदी में “तिल्ली” भी कहा जाता है, और अंग्रेजी में “स्प्लीन” (spleen) कहा जाता है। यह एक आतंरिक अंग है जो बाईं ओर पसलियों के नीचे होता है।

इन्फेक्शन, लिवर की बीमारी और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं से स्प्लीन बढ़ने की समस्या हो सकती है जिसे "स्प्लेनोमेगली" (splenomegaly) भी कहा जाता है।

(और पढ़ें - कैंसर के प्रकार)

अधिकतर लोगों को बढ़े हुए स्प्लीन के कारण कोई लक्षण नज़र नहीं आते। ज़्यादातर इस समस्या का पता शारीरिक जाँच के दौरान चलता है। डॉक्टर को वयस्क लोगों (यदि वे बहुत पतले नहीं हैं) में हाथ लगाने पर एक सामान्य आकार की स्वस्थ तिल्ली महसूस नहीं होती, मगर बढ़ी हुई तिल्ली बढ़ी हुई तिल्ली महसूस हो जाती है। यदि डॉक्टर को लगता है की आपकी प्लीहा बढ़ा हुई है, तो वह आपको इमेजिंग व रक्त जाँच कराने के लिए कहेंगे जिससे उसके बढ़ने का कारण का पता लगाया जा सके।

बढ़ी हुई तिल्ली के उपचार का मुख्य उद्देश्य इसके होने के कारण को ठीक करना होता है। सर्जरी साधारण तौर पर इसका पहला उपचार नहीं है मगर कुछ परिस्थितियों में की जा सकती है।

तिल्ली बढ़ने के लक्षण - Enlarged Spleen Symptoms in Hindi

स्प्लीन बढ़ने के लक्षण क्या होते हैं?

  • कुछ मामलों में कोई लक्षण नहीं होते
  • पेट के बाएं हिस्से में ऊपर की ओर दर्द होना या भारीपन महसूस होना (और पढ़ें - पेट दर्द का इलाज)
  • बिना खाए या थोड़ा खाने पर ही पेट भरा लगना (यह बढ़ी हुई तिल्ली से पेट पर पड़ने वाले दबाव के कारण होता है)
  • खून की कमी (एनीमिया)
  • थकान (और पढ़ें - थकान दूर करने के उपाय)
  • बार बार संक्रमण होना
  • आसानी से रक्तस्राव होना

अपने डॉक्टर को कब दिखाएं

पेट के बाईं तरफ़ ऊपरी हिस्से में दर्द हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं, ख़ास कर तब जब ये दर्द तेज़ हो या सांस लेने पर बढ़ता हो।

(और पढ़ें - पेट दर्द का उपाय)

तिल्ली बढ़ने के कारण और जोख़िम कारक - Enlarged Spleen Causes in Hindi

कई संक्रमण व बीमारियाँ बढ़े हुए प्लीहा की कारक हो सकती हैं। इसका प्रभाव आपके प्लीहा पर हो सकता है सिर्फ़ कुछ समय के लिए हो अगर आपका उपचार अच्छे से होता है। कारक निम्नलिखित हैं:  

  • वायरल इन्फेक्शन्स जैसे "मोनोनुक्लेओसिस" (Mononucleosis)
  • बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसे सिफलिस या हृदय के अंदर की परत का इन्फेक्शन (एंडोकार्डिटिस)
  • परजीवी इन्फ़ेक्शन जैसे मलेरिया
  • सिरोसिस व अन्य लिवर की बीमारियाँ
  • कई प्रकार के हेमोलिटिक एनीमिया जो कि लाल रक्त कोशिकाओं के असामयिक नष्ट हो जाने से होते हैं ।
  • ब्लड कैंसर जैसे ल्यूकेमिया लिंफोमा जैसे हॉजकिन
  • चयपाचय विकार जैसे गौचर रोग और नीमान-पिक (niemann-pick) रोग
  • तिल्ली या लिवर की नसों पर दबाव या इन नसों में ख़ून के थक्के जमना

बढ़ी हुई तिल्ली की समस्या किसी को भी हो सकती है मगर निम्नलिखित लोगों को ये समस्या होने की संभावना अधिक रहती है :

  • बच्चे व युवा वयस्क जिन्हें मोनोनुक्लेओसिस (mononucleosis) जैसे इंफेक्शन है
  • जिन लोगों को गौचर रोग नीमान-पिक रोग व विभिन्न प्रकार के लिवर और तिल्ली पर असर डालने वाले चयपाचय विकार हैं
  • जो ऐसे स्थानों पर रहते हैं या यात्रा करते हैं जहाँ मलेरिया स्थानिक हो

बढ़ा हुआ स्पलीन विकसित होने  के जोखिम कारक निम्नानुसार हैं

कई संक्रमण व बीमारियाँ बढ़े हुए प्लीहा की कारक हो सकती हैं। इसके प्रभाव आपके प्लीहा पर हो सकता है सिर्फ़ कुछ समय के लिए हो अगर आपका उपचार अच्छे से हो। कारक निम्नलिखित हैं: 

तिल्ली बढ़ने से बचाव - Prevention of Enlarged Spleen in Hindi

तिल्ली को बढ़ने से कैसे रोकें?

बढ़ा हुआ प्लीहा कई अंतर्निहित बीमारियों का परिणाम है, जिनमें से कई को अनुमानित या रोका नहीं जा सकता है।

  • ज़्यादा शराब पीने की वजह से लिवर की बीमारी हो सकती हैं, जिनके कारण सिरोसिस और पोर्टल हाई बीपी (portal hypertension: पोर्टल नसों में रक्त का दबाव बढ़ना) हो सकता है। इन बिमारियों को शराब पीना कम करके या छोड़ के होने से रोका जा सकता है। 
  • वायरल हेपेटाइटिस के कुछ कारण (उदाहरण के लिए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी), जो सिरोसिस का कारण बन सकते हैं, उनसे भी बचा जा सकता है। ऐसा करने के लिए आपको संक्रमित व्यक्तियों के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से बचना चाहिए। हेपेटाइटिस बी को टीकाकरण के माध्यम से भी रोका जा सकता है।

उचित उपाय किए जाने पर एचआईवी, मलेरिया, टीबी, और ऐनाप्लाज़्मोसिस जैसी कुछ संक्रामक बीमारियों से भी बचा जा सकता है।

तिल्ली बढ़ने का परीक्षण- Diagnosis of Enlarged Spleen in Hindi

तिल्ली बढ़ने की जांच कैसे की जाती है?

आम तौर पर इस समस्या का पता शारीरिक जाँच के दौरान चलता है। डॉक्टर को पेट के ऊपरी भाग में बाईं तरफ़ पसलियों के ठीक नीचे धीरे से जांच से बढ़े हुए स्प्लीन का पता चल जाता है। पतले लोगों में एक स्वस्थ व सामान्य आकार की तिल्ली को भी महसूस किया जा सकता है।

डॉक्टर निम्नलिखित जांच द्वारा बढ़े हुए प्लीहा की पुष्टि कर सकते हैं :

  • रक्त की संपूर्ण जाँच, जिससे लाल व सफ़ेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की संख्या का पता चल सके (और पढ़ें - खून की जांच)
  • अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन जिससे तिल्ली के आकार का पता चल सके और क्या वह दूसरे आतंरिक अंगों को ढ़क रहा है
  • एमआरआई - तिल्ली में रक्त प्रवाह का पता लगाने हेतु

बढ़ी हुई तिल्ली का पता लगाने हेतु इमेजिंग टेस्ट हमेशा आवश्यक नहीं होते। परन्तु यदि डॉक्टर इन टेस्ट को करवाने को कहे तो इनके लिए किसी ख़ास तैयारी की आवश्यकता भी नहीं है। हाँ सीटी स्कैन से पहले पेट खाली रहना चाहिए। डॉक्टर टेस्ट के पूर्व आपको इस सम्बन्ध में सूचित भी करेंगे।

कारण ढूँढना

कभी-कभी बढ़े हुए प्लीहा का कारण जानने के लिए और परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है, जिसमें लिवर फंक्शन टेस्ट और बोन मैरो परीक्षण शामिल हैं, जो कि आपकी रक्त कोशिकाओं के बारे में  ब्लड टेस्ट से अधिक विस्तृत जानकारी दे सकते हैं।

कुछ मामलों में, बोन मैरो बायोप्सी नामक प्रक्रिया में ठोस बोन मैरो का नमूना लिया जाता है। या आप बोन मैरो एस्पिरशन (bone marrow aspiration) करवा सकते हैं, जो आपके बोन मेरो के तरल पदार्थ का नमूना लेने के लिए की जाती है। कई मामलों में, दोनों प्रक्रियाओं को एक ही समय पर किया जाता है।

(और पढ़ें बोन मैरो ट्रांसप्लांट

तरल और ठोस बोन मैरो के नमूनों को बार-बार आपके एक हिपबोन के पीछे से एक ही स्थान से लिया जाता है। एक चीरे के माध्यम से हड्डी में एक सुई डाली जाती है। चूंकि बोन मैरो परीक्षण असुविधाजनक होते हैं, इसलिए आपको परीक्षण से पहले सामान्य या लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है।

तिल्ली बढ़ने का इलाज - Enlarged Spleen Treatment in Hindi

बढ़ी हुई तिल्ली (प्लीहा) का इलाज कैसे किया जाता है?

यदि बढ़े हुए स्प्लीन के कारण का पता चल जाता है तो उपचार मूल समस्या पर केंद्रित रहता है। उदाहरण के लिए यदि किसी को बैक्टीरियल इन्फेक्शन है तो उपचार में एंटीबायोटिक दवा शामिल होगी।

अगर किसी का प्लीहा बढ़ा हुआ है मगर कोई लक्षण नहीं है तो डॉक्टर उसे प्रतीक्षा करने को कह सकते हैं। 6-12 महीनों में डॉक्टर फिर से दिखाने की सलाह देंगे। अगर उससे पहले कोई लक्षण नज़र आते हैं, तो तुरंत जांच करवानी चाहिए।

अगर बढ़ा हुआ स्प्लीन गंभीर जटिलताओं को जन्म देता है या मूल समस्या की पहचान या उसका निदान नहीं होता है तो सर्जरी से प्लीहा को हटाना एक विकल्प हो सकता है। इस सर्जरी को स्प्लेनेक्टोमी (splenectomy) कहा जाता है। बल्कि कई गंभीर मामलों में यह सर्जरी आख़िरी व सबसे बेहतर उम्मीद होती है।

लेकिन वैकल्पिक स्प्लीन सर्जरी करवाने से पहले उसके बारे में सावधानीपूर्वक विचार करें। आप बिना किसी स्प्लीन के सक्रिय जीवन जी सकते हैं, लेकिन आपके स्प्लीन को हटाए जाने के बाद आपको गंभीर या यहां तक ​​कि जानलेवा बीमारियाँ होने की अधिक संभावना रहती है। कभी-कभी रेडिएशन आपके स्पलीन को कम कर सकती है ताकि आप सर्जरी से बच सकें।

सर्जरी के बाद संक्रमण के जोखिम को कम करना

यदि आपके स्प्लीन को निकाल लिया गया है, तो कुछ कदम संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • स्प्लेनेक्टोमी के पहले और बाद में टीकाकरण - इनमें न्यूमोकोकल (न्यूमोवैक्स 23), मेनिंगोकोकल और हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा प्रकार बी (HiB) टीके शामिल हैं, जो निमोनिया, दिमागी बुखार (मेनिनजाइटिस) और रक्त, हड्डियों और जोड़ों के संक्रमण से बचाव करती हैं। इसके अलावा, आपको सर्जरी के बाद हर पांच साल में न्यूमोकोकल टीका लगवाना होगा।
  • पेनिसिलिन या अन्य एंटीबायोटिक्स - अपने ऑपरेशन के बाद पेनिसिलिन या अन्य एंटीबायोटिक्स लेने की ज़रुरत पड़ेगी। इसके अलावा जब भी आप या आपके डॉक्टर को संक्रमण का संदेह हो, तब भी।
  • जैसे ही आप को पता लगता है कि आपको बुखार है, अपने डॉक्टर को बताएं क्योंकि इससे संक्रमण हो सकता है।
  • दुनिया के कुछ ऐसे हिस्सों में यात्रा से बचें जहां मलेरिया जैसी कुछ बीमारियां स्थानिक हैं।

अपने देखभाल कैसे करें

यदि आपका स्प्लीन बढ़ा हुआ है, तो फुटबॉल और हॉकी जैसे खेल से बचें। और अपने डॉक्टर द्वारा अनुशंसित अन्य गतिविधियों को सीमित करें। अपनी गतिविधियों को संशोधित करने से स्प्लीन टूटने का खतरा कम हो सकता है।

सीट बेल्ट पहनना भी महत्वपूर्ण है। यदि आप दुर्घटनाग्रस्त होते हैं, तो सीट बेल्ट आपके स्पलीन को चोट पहुँचने से बचा सकती है।

अंत में, अपने टीकाकरण को अप-टू-डेट रखें क्योंकि आपको संक्रमण का जोखिम ज़्यादा होता है। इसका मतलब है कि कम से कम हर वर्ष फ्लू, टेटनस, डिप्थीरिया का टीका लगवाएं और हर 10 साल में काली खांसी का। अगर आपको किसी अतिरिक्त टीके की आवश्यकता है तो अपने डॉक्टर से पूछें।

तिल्ली बढ़ने की जटिलताएं - Enlarged Spleen Complications in Hindi

एक बढ़े हुए स्प्लीन की जटिलताएं हैं:

  • संक्रमण -
    चूंकि एक बढ़ी हुई स्प्लीन आपके रक्त प्रवाह में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स और सफेद कोशिकाओं की संख्या को कम कर सकती है, संक्रमण लगातार बढ़ सकता है। एनीमिया और रक्तस्राव में भी वृद्धि संभव है।
     
  • क्षतिग्रस्त स्पलीन -
    स्वस्थ स्प्लीन भी नरम और आसानी से क्षतिग्रस्त होते हैं, खासकर कार दुर्घटनाओं में। जब आपका प्लीहा बढ़ जाता है, तो उसके क्षतिग्रस्त होने की संभावना बहुत अधिक होती है। क्षतिग्रस्त प्लीहा आपके पेट की कैविटी में जानलेवा रक्तस्त्राव का कारण बन सकता है।

क्या बढ़ी हुई तिल्ली गंभीर बीमारी है? - Is an Enlarged Spleen Serious in Hindi?

बढ़ी हुई तिल्ली के चलते रक्त में मौजूद स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स और सफेद कोशिकाओं की संख्या कम हो सकती है, जिससे और संक्रमण फैल सकता है. इस अवस्था में एनीमिया और रक्तस्राव का बढ़ना भी संभव है.

तिल्ली के बढ़ने पर कैसा महसूस होता है? - What Does an Enlarged Spleen Feel Like in Hindi?

आमतौर पर तिल्ली के बढ़ने पर अधिकतर लोगों को कोई लक्षण महसूस नहीं होते. सिर्फ फिजिकल चेकअप करने पर ही इसका पता चलता है. वहीं, अगर कोई बहुत दुबला-पतला होता है, तो त्वचा के जरिए ही बढ़ी हुए तिल्ली को महसूस किया जा सकता है.

तिल्ली के बढ़ने पर मुख्य लक्षण पेट के बाईं ओर ऊपरी तरफ दर्द या बेचैनी महसूस हो सकती है, क्योंकि तिल्ली यहीं पर स्थिति होती है. साथ ही थोड़ा-सा खाने के बाद भी पेट भरा हुआ महसूस होता है. यह आमतौर पर तब होता है, जब बढ़ी हुई तिल्ली पेट पर दबाव डालती है.



तिल्ली बढ़ना की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Enlarged Spleen in Hindi

तिल्ली बढ़ना के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।