फाइबर की कमी - Fiber Deficiency in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

December 11, 2018

February 02, 2024

फाइबर की कमी
फाइबर की कमी

परिचय

फाइबर एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट्स होता है, जिसको शरीर पचा नहीं सकता। हालांकि ज्यादातर प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स छोटे कणों में टूट कर शुगर के कणों में परिवर्तित हो जाते हैं। फाइबर शुगर में नहीं बदलता यह बिना पचे ही शरीर से बाहर निकल जाता है। 

भोजन के अन्य तत्व जैसे वसा, प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट्स को हमारा शरीर तोड़कर अवशोषित कर लेता है वहीँ फाइबर को हमारा शरीर ना तोड़ पाता है और ना  अवशोषित कर पाता है। यह पेट, छोटी व बड़ी आंत से गुजरते हुऐ भी वैसा ही रहता है।

वास्तव में हमारे शरीर में फाइबर की कमी नहीं हो सकती है, क्योंकि हमारा शरीर इसको अवशोषित ही नहीं कर पाता और शरीर में फाइबर की मात्रा मापने का भी अभी तक कोई तरीका नहीं है। लेकिन संभव है कि यही आपके भोजन में फाइबर की कमी हो तो कब्ज होना शरीर में फाइबर की कमी का सबसे मुख्य संकेत होता है। फाइबर की कमी का परीक्षण करने के लिए कोई टेस्ट मौजूद नहीं है, डॉक्टर आपके लक्षणों व स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी के आधार पर ही इस स्थिति की जांच करते हैं।

फाइबर की कमी के इलाज के लिए फाइबर से उच्च भोजन खाना और फाइबर फोर्टिफाइड (फाइबर को कृत्रिम रूप  से मिलाना) खाद्य पदार्थ खाना चाहिए।

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फाइबर की खुराक - Daily requirement of fiber in Hindi

फाइबर रोजाना कितना मात्रा में लेना चाहिए?

  • 50 साल के कम उम्र वाले पुरुषों के लिए प्रतिदिन फाइबर की मात्रा 38 ग्राम और महिलाओं के लिए 25 ग्राम होती है।
  • 50 साल से अधिक उम्र वाले पुरुषों के लिए फाइबर की मात्रा प्रतिदिन 30 ग्राम और महिलाओं के लिए 21 ग्राम होती है।

आहार में फाइबर की कमी के प्रकार - Types of Low fiber diet in Hindi

फाइबर की कमी कितने प्रकार की होती है?

फाइबर की कमी के मुख्य रूप से निम्न प्रकार हैं:

  • पानी में घुलनशील फाइबर पानी में घुल कर “जेल” के जैसा एक पदार्थ बनाता है। यह फाइबर ओट्स, जौ, मटर, सेम, सेब और खट्टे फलों आदि में पाया जाता है। इस प्रकार का फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज से स्तर को कम करने में मदद करता है। 
  • पानी में अघुलनशील फाइबर पानी में नहीं घुल पाता। यह फाइबर भोजन को पाचन प्रणाली से निकलने में मदद करने के साथ साथ अधिक मात्रा में  मल निकलने में भी मदद करता है। अघुलनशील फाइबर मुख्य रूप से साबुत अनाज, आटा, गेहूं का चोकर, नट्स (बादाम सुपारी आदि), बीन्स और फूलगोभी व आलू जैसी सब्जियां आदि में पाया जाता है।

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आहार में फाइबर की कमी के लक्षण - Low fiber diet Symptoms in Hindi

फाइबर की कमी के लक्षण क्या हैं?

कुछ संकेत व लक्षण हैं, जो ये बताते हैं कि आप भोजन में पर्याप्त मात्रा में फाइबर नहीं ले रहे हैं, इनमें निम्न शामिल हैं:

  • कब्ज:
    यदि आपका मल हफ्ते में तीन बार या उससे भी कम आता है और मल सूखा व कठोर होता है, तो आपको कब्ज हो गई है। पर्याप्त मात्रा मे फाइबर ना लेने के परिणामस्वरूप आपको कब्ज हो सकती है लेकिन एक्सरसाइज ना करना और कुछ प्रकार की दवाएं या सप्लीमेंट्स आदि लेने के कारण भी आपको कब्ज हो सकती है।
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  • वजन बढ़ना:
    यदि आप लगातार फाइबर की कमी वाले खाद्य पदार्थ खा रहे हैं, तो आपका वजन बढ़ने का खतरा भी हो सकता है। फाइबर पेट भरने (संतुष्ट होना) में मदद करता है, इसलिए यदि भोजन में फाइबर ना हो तो लोग अधिक खा लेते हैं और उनका वजन बढ़ने लगता है। फाइबर से उच्च खाद्य पदार्थों को अधिक देर तक चबाना पड़ता है और रिफाइंड शुगर या कार्बोहाइड्रेट्स के मुकाबले ये धीरे-धीरे पचते हैं इनकी मदद से पेट काफी देर तक भरा रहता है।
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  • ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव:
    यदि आपको डायबिटीज है और आपको ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में परेशानी हो रही है, तो हो सकता है कि आप आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। 
     
  • जी मिचलाना या थकान (आहार से संबंधित):
    यदि आप ज्यादातर कैलोरी वाले ऐसे खाद्य पदार्थों से ले रहे हैं, जिनमें प्रोटीन अधिक मात्रा में हो या कार्बोहाइड्रेट्स कम मात्रा में हो जैसे मीट, अंडे या पनीर आदि। ऐसी स्थिति में आपका सिर्फ कोलेस्ट्रॉल ही नहीं बढ़ता बल्कि आपको थकान, कमजोरी और जी मिचलाना आदि जैसी समस्या होने लग जाती है।

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डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको एक हफ्ते में तीन बार से भी कम मल आता है, तो यह संकेत हो सकता कि आप भोजन में पर्याप्त मात्रा में फाइबर नहीं ले रहे हैं। इसलिए आपको अच्छे से जांच करवाने के लिए डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। 

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आहार में फाइबर की कमी के कारण - Low fiber diet Causes in Hindi

फाइबर की कमी क्यों होती है?

वास्तव शरीर के अंदर फाइबर की कमी नहीं हो सकती क्योंकि आपका शरीर फाइबर को अवशोषित नहीं करता है। शरीर के अंदर फाइबर की मात्रा को मापने का कोई तरीका भी उपलब्ध नहीं है। लेकिन भोजन जो आप खा रहे हैं उसमें फाइबर की कमी हो सकती है।

यदि आप नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों को पर्याप्त मात्रा में अपने आहार में शामिल नहीं कर रहे हैं, तो आपको फाइबर की कमी हो सकती है:

  • साबुत अनाज से बने उत्पाद
  • फल
  • सब्जियां
  • बीन्स, मटर व अन्य फलियां
  • नट्स (काजू बादाम आदि) व बीज

 

आहार में फाइबर की कमी से बचाव - Prevention of Low fiber diet in Hindi

फाइबर की कमी की रोकथाम कैसे करें?

कुछ उपाय हैं जिनकी मदद से फाइबर की कमी होने से बचाव किया जा सकता है:

  • फलों का जूस पीने की बजाए साबुत फल खाएं
  • सफेद चावल, ब्रैड और पास्ता की जगह पर ब्राउन राइस और साबुत अनाज से बने उत्पाद खाएं
  • सुबह के भोजन में साबुत अनाज वाले सेरियल (भुने हुऐ अनाज) के उपयोग करें
  • मीट व चिकन आदि की जगह पर बिना नमक वाले नट्स व बीज खाएं
  • स्नैक्स में चिप्स, बिस्किट या चॉकलेट आदि  खाने की बजाए कच्ची खाई जाने वाली सब्जियां खाएं
  • हफ्ते में दो या तीन बार मीट की जगह पर बीन्स या अन्य फलियों का उपयोग करें या उनसे बने सूप पिएं।

कुछ ऐसे भोजन जिनमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है:

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आहार में फाइबर की कमी का परीक्षण - Diagnosis of Low fiber diet in Hindi

फाइबर की कमी का परीक्षण कैसे किया जाता है?

आपके लक्षणों की गंभीरता व समय के बारे में जानकर और आपके खाने की आदतों संबंधी जानकारी लेकर डॉक्टर फाइबर की कमी का परीक्षण कर सकते हैं। ऐसा कोई टेस्ट नहीं है, जिनकी मदद से यह पता लगाया जा सके की आपको फाइबर की कमी है या नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि फाइबर कभी शरीर के अंदर जमा होता ही नहीं है। 

हालांकि डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं, ताकि आपको महसूस हो रहे लक्षणों के अन्य कारणों का पता लगाया जा सके।

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आहार में फाइबर की कमी का इलाज - Low fiber diet Treatment in Hindi

फाइबर की कमी का इलाज कैसे करें?

बच्चों को स्वस्थ व एक्टिव रखने के लिए उनके आहार में फाइबर होना बहुत जरूरी है। 

यदि आपको कब्ज हो रही है, तो अपने आहार में रोजाना साबुत अनाज, फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ाने से कब्ज कम हो सकती है।

फाइबर से भरपूर आहार खाने से बढ़ते वजन को भी रोका जा सकता है। फाइबर से उच्च खाद्य पदार्थों को अधिक चबाना पड़ता है और यह आपके पेट के अधिक देर तक भर कर रखता है जिसकी मदद से आप अधिक नहीं खा पाते।

अपने आहार में फाइबर की मात्रा कैसे बढ़ाएं?

  • सुबह के भोजन के समय फाइबर से उच्च सेरियल का उपयोग करें और एक बार के भोजन में कम से कम 5 या उससे अधिक फाइबर लें। साबुत अनाज या गेहूं के चोकर आदि से युक्त सेरियल का उपयोग करें जिसमें कृत्रिम रूप से फाइबर मिलाया गया हो। इसके अलावा आप अपने पसंदीदा सेरियल में कुछ चम्मच गेहूं मिले सकते हैं।
  • फल और सब्जियों में विटामिनमिनरल के साथ-साथ फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। दिन में कम से कम पांच या उससे ज्यादा बार फल व सब्जियां खाने की कोशिश करें। 
  • एक मुट्ठी नट्स या ड्राई फ्रूट्स खाना भी स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा हो सकता है और इनमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। हालांकि ड्राई फ्रूट्स में कैलोरी भी अधिक मात्रा में होती है। 
  • केक व कुकीज के लिए क्रश्ड ब्रान सेरियल, बिना भुनी गेहूं का चोकर या बिना पके ओटमील का उपयोग करें
  • बीन्स, मटर व दालें आदि फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं। सलाद या सूप में राजमा को भी शामिल करें। 
  • खूब मात्रा में पानी पिएं। फाइबर पानी में घुल कर और अच्छे से काम करता है और आपके मल को नरम बना देता है। 

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फाइबर के सप्लीमेंट्स और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ:

फाइबर सप्लीमेंट्स की बजाए साबुत अनाज से बने उत्पाद खाना बेहतर होता है। फाइबर के सप्लीमेंट्स विभिन्न प्रकार के फाइबर, विटामिन, मिनरल और अन्य कई अच्छे पोषक तत्व प्रदान नहीं करते वहीँ साबुत अनाज करते हैं। 

पर्याप्त मात्रा में सेरियल, दही और आइस क्रीम खाने (खासकर जो फाइबर युक्त हों) से भी अधिक मात्रा में फाइबर प्राप्त किया जा सकता है। भोजन में अतिरिक्त रूप से शामिल किए गए फाइबर को इन्यूलिन (inulin) के नाम से जाना जाता है। कुछ लोगों को ये खाद्य पदार्थ खाने से गैस की समस्या भी हो जाती है। 

हालांकि यदि आहार में बदलाव से फाइबर की कमी पूरी ना हो पाए या फिर यदि कब्ज, दस्त या इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी कोई समस्या है, तो उन मरीजों को फाइबर के सप्लीमेंट्स लेने की आवश्यकता पड़ सकती है।

(और पढ़ें - पेट में गैस का कारण)

फाइबर की कमी से होने वाली बीमारी और रोग - Fiber Deficiency diseases in Hindi

फाइबर की कमी से होने वाले रोग?

खून में टोटल व लो डेन्सिटी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से धमनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कोरोनरी अर्टरी डिजीज और स्ट्रोक आदि। जीवनशैली से जुड़ी आदतें जैसे कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ आदि से भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। 

फाइबर के उचित सेवन से कई समस्याएं विकसित होने का खतरा कम हो जाता है, जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, डाइवर्टिक्युलाइटिस और कब्ज आदि। 

यदि फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों की बजाए ऐसे आहार खा रहे हैं, जो अचानक से ब्लड शुगर को बढ़ा देते हैं। ऐसे भोजन खाने से टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। 

डाइवर्टिक्युलाइटिस में आंत में सूजन आ जाती है। यह उम्र से जुड़ा एक काफी सामान्य आंत संबंधी विकार है, जो अक्सर फाइबर की कमी होने के साथ होता है। 

फाइबर से युक्त भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन बहुत अधिक मात्रा में फाइबर युक्त भोजन खाने से पेट में गैस, पेट फूलना और पेट में मरोड़ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। आहार में फाइबर की मात्रा को लगभग एक हफ्ते तक धीरे-धीरे बढ़ाएं, ऐसा करने से आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भोजन में हुऐ बदलाव की आदत डाल लेते हैं। 

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)
 



फाइबर की कमी की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Fiber Deficiency in Hindi

फाइबर की कमी के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

दवा का नाम

कीमत

₹2700.0

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