फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम - Fragile X Syndrome in Hindi

written_by_editorial

September 05, 2020

March 28, 2022

फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम
फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम

फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम (एफएक्सएस) एक आनुवंशिक बीमारी है जो बच्चो में बौद्धिक और विकास संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है। इसे मार्टिन-बेल सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। एफएक्सएस को लड़कों में मानसिक विकलांगता के सबसे आम वंशानुगत कारणों में से एक माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका में 4,000 में से 1 पुरुष जबकि 8,000 में एक महिला इससे प्रभावित होती है। लड़कियों की तुलना में लड़कों में इसके लक्षण भी अधिक गंभीर दिखाई देते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक एफएक्सएस से पीड़ित लोगों में आमतौर पर विकासात्मक और सीखने से संबंधित समस्याएं देखी जा सकती हैं। यह रोग क्रोनिक यानी लंबे समय तक रहने वाला अथवा आजीवन भी हो सकता है। जिन बच्चों का जन्म इस आनुवंशिक स्थिति के साथ होता है, उन्हें अन्य बच्चों की तरह सिखाने और उनके विकास में मदद करने के लिए विशेष शिक्षा और चिकित्सा की आवश्यकता होती है। दवाओं और इलाज के साथ अन्य माध्यमों के जरिए उनके व्यवहार और शारीरिक लक्षणों में सुधार किया जा सकता है।

इस लेख में हम फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।

फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम के लक्षण - Fragile X Syndrome symptoms in hindi

फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम के कारण चीजों को सीखने में परेशानी, विकास संबंधी देरी और सामाजिक तथा व्यावहारिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। एफएक्सएस वाले लड़कों में आमतौर पर बौद्धिक विकलांगता के मामले देखने को मिलते हैं। लड़कियों में भी इस तरह की समस्याएं हो सकती हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में उनका बौद्धिक स्तर सामान्य ही रहता है। यदि परिवार में किसी सदस्य को पहले इस तरह की समस्या रह चुकी है तो दूसरे लोगों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

एफएक्सएस वाले लोगों में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं।

  • बच्चों का बैठने या चलने जैसी आदतों को सीखने में परेशानी
  • भाषा को समझने और बोलने में समस्या
  • हकलाना
  • चीजों से घबराना
  • प्रकाश या ध्वनि के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता
  • किसी चीज पर ध्यान देने में कठिनाई
  • लड़कों के व्यवहार में आक्रामकता और खुद को हानि पहुंचाना।

एफएक्सएस से ग्रसित कुछ लोगों में शारीरिक असामान्यताओं से संबंधित समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

  • माथे या कानों का सामान्य से बड़ा होना।
  • चेहरे का बहुत लंबा होना।
  • कानों, माथे और ठुड्डी पर उभार होना।
  • जोड़ों का कमजोर या बहुत लचीला होना।
  • तलवों का चपटापन।
  • अंडकोषों का बड़ा होना (यौवन के बाद)

जिन लड़कियों को एफएक्सएस जैसी समस्याएं होती हैं उन्हें गर्भवती होने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा ऐसी लड़कियों में तुलनात्मक रूप से रजोनिवृत्ति भी पहले ही हो जाती है।

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फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम का कारण - Fragile X Syndrome causes in hindi

एक्स गुणसूत्र पर स्थित एफएमआर1 नामक जीन में दोष के कारण फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम की समस्या होती है। सेक्स क्रोमोसोम के दो प्रकारों में से 'एक्स क्रोमोसोम' एक है, जबकि दूसरे को वाई गुणसूत्र कहा जाता है। महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरुषों में एक एक्स क्रोमोसोम और एक वाई क्रोमोसोम होता है।

एफएमआर1 में होने वाला दोष या उत्परिवर्तन, उसे फ्रेजाइल एक्स मेंटल रेट्राडेशन 1 प्रोटीन का ठीक से निर्माण नहीं करने देता है। तंत्रिका तंत्र के कामकाज को व्यवस्थित रखने में यह प्रोटीन विशेष भूमिका निभाता है। वैसे तो इस प्रोटीन का वास्तविक कार्य स्पष्ट नहीं है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रोटीन की कमी के कारण एफएक्सएस जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

मां में एफएमआर1 जीन के परिवर्तन के कारण उनके बच्चों में एफएक्सएस का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। वहीं अगर इस जीन में परिवर्तन की समस्या पिता में है तो एफएक्सएस का खतरा सिर्फ बेटियों को होता है। इसके अलावा लड़कियों की तुलना में लड़कों को एफएक्सएस होने का खतरा अधिक होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे का कारण लड़कियों में दो एक्स गुणसूत्रों का होना होता है। यही कारण है यदि उनके एक एक्स गुणसूत्र में जीन परिवर्तन होता है फिर भी दूसरा एक्स गुणसूत्र सुरक्षित रहता है।

फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं- Health issues due to Fragile X Syndrome in hindi

यदि किसी को फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम की समस्या है तो उसे कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। जिन महिलाओं को यह समस्या होती है उनमें समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है। आमतौर पर ऐसी महिलाएं 40 वर्ष की आयु से पहले ही मेनोपॉज का शिकार हो जाती हैं।

वहीं जिन पुरुषों को फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम की शिकायत होती है उनमें फ्रेजाइल एक्स ट्रेमर एटॉक्सिया सिंड्रोम (एफएक्सटीएएक्स) का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में झटके आने की समस्या होती है जो समय के साथ गंभीर होती जाती है। इतना ही नहीं इससे चलने और शारीरिक संतुलन को बनाने में भी कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा पुरुषों को डेमेंशिया का भी खतरा होता है।

फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम का निदान- Diagnosis of Fragile x syndrome in hindi

जिन बच्चों में विकास संबंधी देरी या एफएक्सएस के अन्य लक्षण जैसे सिर का बड़ा होना या चेहरे में विकृति आदि नजर आती है, उनमें एफएक्सएस के निदान के लिए परीक्षण किया जाता है। यदि परिवार में किसी को पहले से एफएक्सएस के लक्षणों की शिकायत रही तो तब भी बच्चे में इसका परीक्षण कराना चाहिए। लड़कों में एफएक्सएस के निदान की औसत आयु 35 से 37 महीने है जबकि लड़कियों में 41.6 माह तक इसका निदान करा लेना चाहिए। एफएक्सएस के निदान के लिए डीएनए ब्लड टेस्ट कराया जाता है। इस परीक्षण को एफएमआर1 डीएनए टेस्ट भी कहा जाता है। परीक्षण के आधार पर स्थिति की गंभीरता की पुष्टि के लिए आवश्यकतानुसार डॉक्टर कुछ और परीक्षणों की सलाह दे सकते हैं।

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान कुछ परीक्षण करके भी यह जानने की ​कोशिश की जाती है कि कहीं बच्चे में एफएक्सएस से संबंधित कोई लक्षण उत्पन्न तो नहीं हो रहे हैं?

एमिनोसेंटेसिस : इस परीक्षण के लिए डॉक्टर एमनियोटिक फ्ल्यूड के सैंपल की जांच करके यह जानने की ​कोशिश करते हैं कि एफएमआर 1 जीन में किसी प्रकार का परिवर्तन तो नहीं है।

कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) : इसके लिए डॉक्टर प्लेसेंटा से कोशिकाओं के एक सैंपल को लेकर एफएमआर 1 जीन की स्थिति की जांच करते हैं।

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फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम का इलाज- Treatment of Fragile x syndrome in hindi

एफएक्सएस का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। इलाज का उद्देश्य लक्षणों को ठीक करने के साथ भाषा और सामाजिक कौशल सिखाने में मदद करना होता है।

  • बच्चों को सीखने में मदद करने के लिए विशेष शिक्षा की व्यवस्था कराना।
  • बोलने और भाषा को समझने के लिए थेरपी।
  • दैनिक कार्यों को ठीक से करने में मदद करने के लिए ऑक्यूपेशनल थेरपी दी जाती है।
  • बिहेवियर थेरपी।
  • कई तरह की व्यवहार संबंधी और दौरे पड़ने की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ दवाइयों को भी प्रयोग में लाया जाता है।

लक्षणों के दिखते ही जितनी जल्दी इसका उपचार शुरू कर दिया जाए, उससे उतना ही अधिक फायदा होता है। एफएक्सएस आजीवन रहने वाली स्थिति है और यह जीवन के तमाम पहलुओं को  प्रभावित कर सकती है। ऐसे में समय रहते इसका निदान और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए इलाज आवश्यक है।