हाथ, पैर और मुंह की बीमारी - Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

Dr. Suvansh Raj NirulaMBBS

January 18, 2021

January 18, 2021

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी
हाथ, पैर और मुंह की बीमारी

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी जिसे हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज कहते हैं सामान्यतः बचपन में होने वाली हल्की बीमारी है, लेकिन यह वयस्कों में भी हो सकती है। ज्यादातर मरीज 2 सप्ताह के अंदर पूरी तरह से रिकवर हो जाते हैं, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में कुछ बच्चों में जटिलताएं भी नजर आ सकती हैं। कई बार इस बीमारी ने महामारी का भी रूप लिया है, जिसकी वजह से कई लोगों की जान भी गई है। लेकिन ये जानना जरूरी है कि इस बीमारी का उस बीमारी से कोई संबंध नहीं है जो इसी नाम से जानवरों में होती है।
 
हाथ, पैर और मुंह की बीमारी एक वायरल इंफेक्शन है, जिसका संबंध मुंह, हाथ और पैर में होने वाले जख्म या घाव से है। कई बार, ये घाव शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे- नितंब या जननांग के हिस्सों में भी हो सकता है। हैंड, फुट और माउथ डिजीज के 2 सबसे कॉमन कारण हैं- कॉक्ससैकीवायरस ए 16 (सीए 16) और एंटेरोवायरस 71 (ईवी 71)। कुछ दुर्लभ मामलों में यह बीमारी एक दूसरे कॉक्ससैकीवायरस के कारण भी हो सकती है।
 

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के लक्षण - Symptoms of Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी 3 फेज में नजर आ सकती है -
  • बीमारी की शुरुआत पूर्वलक्षण (प्रोड्रोमल) फेज से होती है। वायरल इंफेक्शन आमतौर पर थकान से शुरू होता है और मरीज को कुछ दिनों तक बीमार महसूस होता है। पूर्वलक्षण फेज का संबंध हल्का बुखार, थकान, अस्वस्थ महसूस होना और भूख न लगने से है। इसके अलावा मरीजों को गले में दर्द, खांसी और पेट के आसपास के हिस्से में दर्द भी महसूस हो सकता है।
  • पूर्वलक्षण फेज खत्म होने के बाद मरीज के मुंह में अनगिनत घाव विकसित हो जाते हैं। इसके अलावा ये घाव बकल म्यूकोसा (मुंह की श्लेष्म झिल्ली), जीभ और तालु में भी देखने को मिलते हैं। कई बार मसूड़े, होंठ, यूव्यूला (अलिजिह्वा) और मुंह के आसपास मौजूद त्वचा भी प्रभावित हो सकती है। शुरुआत में ये घाव मैक्युलर (धब्बेदार) होते हैं, मतलब ये समतल और साइज में 1 सेंटीमीटर से कम होता है। ये चित्ती या चकत्ते कुछ दिन बाद फफोले बन जाते हैं जो त्वचा में मौजूद तरल पदार्थों से भरे छोटे पुट होते हैं। मुंह में मौजूद ये घाव पीले रंग के अल्सर जैसे हो जाते हैं जिसके ईर्द-गिर्द त्वचा का रंग लाल हो जाता है। इसकी वजह से मरीज को मुंह में दर्द और असहजता महसूस होती है। जिन बच्चों की उम्र 5 साल से कम होती है उनमें यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है।
  • कुछ समय बाद त्वचा पर भी घाव विकसित होने लगते हैं। सबसे कॉमन जगह है हथेली, तलवा और हाथ व पैर की उंगलियों के बीच की खाली जगह। शुरुआत में ये घाव 2 से 5 मिलिमीटर के लाल रंग के चकत्ते होते हैं जो बाद में बढ़कर तरल पदार्थों से भरे फफोले बन जाते हैं, जिसके ईर्द-गिर्द त्वचा में लालिमा हो जाती है। शरीर के बाकी हिस्से जहां पर घाव हो सकते हैं वे हैं धड़ का हिस्सा, नितंब और जननांग का हिस्सा। ये चकत्ते एक सप्ताह तक रह सकते हैं और मुख्य रूप से असिम्प्टोमैटिक यानी अलक्षणी होते हैं। कई बार इनकी वजह से खुजली और दर्द भी हो सकता है। (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू उपाय)
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी का कारण - Causes of Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

गर्मी और शरद ऋतु में इस बीमारी के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। यह नवजात शिशु और 10 साल से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। वयस्क जिनमें यह बीमारी होती है उनमें बच्चों में होने वाली बीमारी की तुलना में बेहद हल्के लक्षण देखने को मिलते हैं। इस बीमारी को मध्यम रूप से संक्रामक माना जाता है। इसलिए इस बीमारी ने पहले भी कई मौकों पर महामारी का रूप लिया है और इसमें बीमारी के ट्रांसमिशन का खतरा 10 से 30 प्रतिशत के आसपास होता है। हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के महामारी का रूप एशिया के दक्षिण पूर्व हिस्सों में देखने को मिला था। साल 2009 में आखिरी बार इस बीमारी का प्रकोप चीन में देखने को मिला था। बीमारी का प्रकोप मुख्य रूप से नर्सरी स्कूल, स्कूल और बच्चों को रखने वाले डेकेयर सेंटर्स में देखने को मिलता है।
 
हाथ, पैर और मुंह की बीमारी आमतौर पर ग्रुप ए कॉक्ससैकीवायरस ए 16 (सीए 16) या एंटेरोवायरस 71 (ईवी 71) के कारण होने वाले संक्रमण की वजह से होती है। ये वायरस पिकोर्नाविराडे परिवार और जीनस एंटेरोवायरस का हिस्सा माने जाते हैं। इस वायरस का ट्रांसमिशन आमतौर पर फीकल-ओरल रूट (संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से स्वस्थ व्यक्ति का बीमार पड़ना) के माध्यम से होता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर मौजूद घाव के संपर्क में आने से या संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाली बूंदों के संपर्क में आने से भी यह बीमारी फैलती है।
 
संक्रमित मरीज के मल में कई हफ्तों तक वायरस मौजूद रहता है। वायरस के संपर्क में आने के बाद बीमारी के लक्षण दिखने में 3 से 5 दिन का वक्त लगता है। इस समय को इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है।

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी का निदान - Diagnosis of Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

मरीज की प्रोफाइल, मेडिकल हिस्ट्री और क्लिनिकल जांच के आधार पर डॉक्टर हाथ, पैर और मुंह की बीमारी को डायग्नोज कर सकते हैं। इसके लिए आमतौर पर किसी तरह की जांच-पड़ताल की जरूरत नहीं होती। वायरस को अलग करके उसकी पहचान करने के लिए गला, स्किन के घाव या रेक्टम से स्वैब के जरिए सैंपल लिए जाते हैं। इसके अलावा संक्रमित मरीज के फीकल यानी मल की भी जांच करवायी जाती है। (कई बार एक से ज्यादा सैंपल की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि हो सकता है कभी मलत्याग के दौरान उसमें वायरस मौजूद न हो)। पॉलिमर्स चेन रिऐक्शन (पीसीआर) की मदद से डॉक्टर को एंटेरोवायरस के सबटाइप की पहचान करने में मदद मिलती है और यह बीमारी फैलाने वाले वायरस की जांच करने का सबसे बेस्ट तरीका है। हालांकि, पीसीआर को केवल दुर्लभ मामलों में ही इस्तेमाल किया जाता है।

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी का अंतर संबंधी निदान - Differential Diagnosis of Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

डिफरेंशियल डायग्नोसिस का अर्थ है दो या इससे अधिक बीमारियों के बीच अंतर करने की प्रक्रिया जिनके संकेत या लक्षण एक समान हों। ऐसे में हाथ, पैर और मुंह की बीमारी को डायग्नोज करते वक्त जिन बीमारियों का ध्यान रखने की जरूरत है, वे हैं -
  • हर्पैनजिना- यह बीमारी भी मिलते-जुलते वायरस से ही होती है और इसमें भी मुंह में घाव होते हैं। लेकिन हर्पैनजिना में अंतर ये है कि इसमें होने वाले घाव ओरल कैविटी के पीछे वाले हिस्से में ही होते हैं और इसमें त्वचा पर भी कोई घाव नहीं होता है।
  • कावासाकी डिजीज- कावासाकी रोग एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रक्त वाहिकाओं की दीवार में इन्फ्लेमेशन यानी सूजन और जलन की समस्या हो जाती है। यह बीमारी मुख्य रूप से नवजात शिशुओं और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में होती है। इसमें चकत्ते के साथ ही बुखार भी होता है। साथ ही मरीज त्वचा के छिलने की भी शिकायत करता है।
  • एरिथीमा मल्टीफॉर्म- एरिथीमा मल्टीफॉर्म एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर पर कई सारे चकत्ते हो जाते हैं। किसी तरह के संक्रमण या दवा के खिलाफ यह शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया होती है।
  • वायरल फैरिनजाइटिस- इसमें कंठ के पीछे वाले हिस्से में इन्फ्लेमेशन होने लगता है।
  • जिंजिवाइटिस- जिंजिवाइटिस में मसूड़ों में सूजन होने लगती है।
  • हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस
  • हर्पीस जॉस्टर वायरस या शिंगल्स
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹599  ₹850  29% छूट
खरीदें

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी का इलाज - Treatment of Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

जिस वायरस की वजह से यह बीमारी होती है उसे समाप्त करने का कोई निश्चित उपचार अब तक मौजूद नहीं है। इलाज का मकसद लक्षणों को मैनेज करना या कम करना है, ताकि बच्चे को आराम महसूस करवाया जा सके। सभी उम्र के बच्चों के लिए इलाज का प्रोटोकॉल एक समान ही है। इलाज के प्रोटोकॉल में निम्नलिखित चीजें शामिल हैं-
  • बुखार का इलाज- बुखार की वजह से बच्चे काफी परेशान हो जाते हैं, इसलिए डॉक्टर उन्हें पैरासिटामॉल या आइबूप्रोफेन दे सकते हैं। इन दोनों दवाइयों से बुखार कम हो जाता है और ये पेनकिलर का भी काम करते हैं, जो मुंह में मौजूद घाव और तकलीफ को भी कम करते हैं। बच्चों को ये दवाइयां सिरप या फ्लेवर्ड टैबलेट के रूप में दी जाती हैं। अगर मरीज को बुखार या दर्द न हो तो ये दवाइयां नहीं देनी चाहिए। बच्चे का तापमान कम करने का एक और तरीका है शरीर से गर्म कपड़े कम करना और गर्म बिस्तर से बच्चे को हटा देना। अगर जरूरत हो तो कमरे की खिड़की खोल दें या पंखा चला लें। अगर बच्चे को बुखार हो तो उसे ठंडी पट्टी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अगर पानी ज्यादा ठंडा हुआ तो इससे बच्चे की त्वचा के नीचे मौजूद रक्तवाहिकाएं सिकुड़ सकती हैं (वैसोकॉन्स्ट्रिक्शन)। साथ ही ठंडी पट्टी करने से बच्चे को असहज भी महसूस हो सकता है।
  • हाइड्रेशन (जलयोजन)- किसी भी वायरल इंफेक्शन के इलाज का मुख्य हिस्सा होता है तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना। हाइड्रेशन या जलयोजन के जरिए शरीर में तरल पदार्थों की कमी नहीं होती, जिससे डिहाईड्रेशन की समस्या से मरीज बच जाता है। अगर मुंह में सूजन और दर्द हो तो मुंह से तरल पदार्थों का सेवन करना मुश्किल हो सकता है। लिहाजा मरीज को पैरासिटामॉल या आइबूप्रोफेन दिया जाना चाहिए, अगर मरीज को दर्द की वजह से तरल पदार्थ का सेवन करने में दिक्कत हो रही है। जब दर्द थोड़ा कम हो जाए तो मरीज को अधिक पानी पिलाएं। अगर आप बच्चे को स्तनपान करवा रही हों तो इसे जारी रखें क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए हाइड्रेशन का सबसे अच्छा तरीका है। आप चाहें तो बच्चे को फीड कराने की संख्या बढ़ा सकती हैं, ताकि उसके शरीर में ज्यादा तरल पदार्थ पहुंच सके। (और पढ़ें - बच्चों में पानी की कमी)
  • बच्चे के मुंह में मौजूद सूजन और दर्द का इलाज- अपने बच्चे को ठोस भोजन करवाने की बजाए उबला और मसला हुआ आलू, सूप, आइसक्रीम जैसी चीजें खिलाएं ताकि बच्चे की मुंह की तकलीफ ज्यादा न बढ़े। मुंह के छाले के लिए कुछ इलाज मौजूद हैं, लेकिन वे कितने फायदेमंद हैं ये अब तक साबित नहीं हो पाया है। इलाज के इन तरीकों में शामिल हैं-
    • लिडोकेन जेल- लिडोकेन एक लोकल एनेस्थेटिक (चेतना शून्य करने वाली दवा) है जो प्रभावित हिस्से को सुन्न कर देती है। यह दवा बच्चों के लिए उपयुक्त है।
    • बेंजिडामिन माउथवॉश या स्प्रे- 5 साल से अधिक उम्र के बच्चों में इसे स्प्रे के तौर पर इस्तेमाल करना सुरक्षित माना जाता है। 12 साल से अधिक उम्र के बच्चे माउथवॉश के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • कोलाइन सलिसलेट जेल- यह जेल गर्भवती महिलाओं और 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए उचित नहीं माना जाता।
    • सलाइन से कुल्ला करना- गर्म पानी में नमक डालकर सलाइन सॉल्यूशन तैयार किया जाता है और इससे आप बच्चे को कुल्ला करवा सकते हैं। लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ तभी करें जब आपका बच्चा इतना बड़ा हो कि वह इसे मुंह में लेकर बाहर थूक सके और अंदर निगल न ले।
    • पेनकिलर- पैरासिटामॉल और आइबूप्रोफेन जैसी दवाइयों का इस्तेमाल करके मुंह में घाव की वजह से बच्चे को जो तकलीफ हो रही है, उसे कम किया जा सकता है।

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी की जटिलताएं - Complications of Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी को लेकर अब तक बहुत सारे रिसर्च हो चुके हैं, जिसके मुताबिक, यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है। बुखार (मध्यम से उच्च तापमान का बुखार) और घाव की समस्या 7 से 10 दिन में ठीक हो जाती है। ये तकलीफदेह मुंह के छाले भी करीब सप्ताह भर तक रह सकते हैं। हालांकि, बीमार बच्चे इस दौरान असहज और चिड़चिड़ापन महसूस कर सकते हैं। बेहद दुर्लभ मामलों में ही यह वायरस शरीर के अन्य अंगों जैसे- हृदय, फेफड़े और ब्रेन को नुकसान पहुंचाता है। कुछ मामलों में हैंड, फुट और माउथ डिजीज से पीड़ित मरीज में कुछ जटिलताएं भी देखने को मिल सकती हैं। वे हैं -

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी का रोगनिदान - Prognosis of Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

वैसे तो ज्यादातर मरीज इस बीमारी से पूरी तरह से रिकवर हो जाते हैं। बीमारी के क्लिनिकल लक्षण 3 से 4 दिन में बेहतर होने लगते हैं, तो वहीं त्वचा और मुंह में होने वाले घाव एक से 2 हफ्ते के अंदर पूरी तरह से गायब हो जाते हैं।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Power Capsule For Men
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

विशेषज्ञ के पास जाने की जरूरत कब होती है? - When will you be referred to a specialist for Hand Foot and Mouth Disease in Hindi

जनरल प्रैक्टिशनर निम्नलिखित परिस्थितियों में आपको स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास भेज सकते हैं-
  • अगर आपके बच्चे में गंभीर डिहाइड्रेशन के संकेत नजर आते हैं जैसे- बहुत अधिक सुस्ती महसूस होना, ओरल म्यूकोसा का सूख जाना और आंखों का अंदर धंसना। ऐसी स्थिति में आपके बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।
  • अगर बच्चे में तंत्रिका तंत्र संबंधी कोई संकेत दिखते हैं जैसे- झटके या दौरे आना और बहुत अधिक सिरदर्द होना या क्लिनिल लक्षण दिखना जैसे- इंसेफेलाइटिस या चेतना की कमी।
  • अगर मुंह में मौजूद घाव लंबे समय तक बने रहें और इलाज के बाद भी ठीक न हो रहे हों।

स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए सुझाव - Advice for school going kids in Hindi

हाथ, पैर और मुंह की बीमारी एक संक्रामक रोग है। बीमारी का इन्क्यूबेशन पीरियड (लक्षण दिखने का समय) 3 से 5 दिन तक होता है। जब कोई बीमार मरीज खांसता या छींकता है तो वायरस हवा में फैल जाते हैं। इसके अलावा प्रभावित त्वचा, जहां पर घाव हो वहां से निकलने वाले तरल पदार्थ को छूने से भी बीमारी फैल सकती है। इसलिए अपने बच्चे को साफ-सफाई का ध्यान रखने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि वह वायरस की चपेट में न आए और ना ही दूसरों तक बीमारी फैलाए। इसके लिए आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं-
  • बच्चे में यह आदत डालें कि वह टॉइलेट का इस्तेमाल करने के बाद अच्छी तरह से अपने हाथ धोए। (और पढ़ें- हाथ धोने का सही तरीका)
  • खांसते और छींकते वक्त बच्चे को अपने मुंह और नाक को अच्छी तरह से ढक कर रखना चाहिए।
  • अपने नाक और मुंह को साफ टीशू पेपर से पोंछना चाहिए।
  • बच्चे के डायपर, नैपी, वाइप्स या गंदे टीशू छूने के बाद आपको भी अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
  • संक्रमित बच्चे द्वारा इस्तेमाल की गई गंदी चादर, तौलिया और कपड़ों को गर्म पानी से या फिर वॉशिंग मशीन में धोना चाहिए।
  • बच्चे से कहें कि अगर कोई बीमारी हो तो वे उनके कप, बर्तन, कपड़े या तौलिये को शेयर न करें।
  • अगर बच्चे को स्किन पर घाव हो जाता है तो उससे कहें कि वे अपने घाव या फफोले को न फोड़े, क्योंकि उसके अंदर मौजूद तरल पदार्थ संक्रामक होता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए सुझाव - Advice for Pregnant Women in Hindi

अगर कोई गर्भवती महिला हैंड, फुट और माउथ डिजीज से पीड़ित किसी मरीज के संपर्क में आती है तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे में इस बीमारी की वजह से कोई जटिलता उत्पन्न नहीं होती है। हालांकि, अगर डिलिवरी डेट से 3 सप्ताह पहले किसी गर्भवती महिला को हाथ, पैर और मुंह की बीमारी हो जाती है तो उन्हें तुरंत किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि इस दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे में वायरस पहुंचने का खतरा हो सकता है। वैसे तो ज्यादातर नवजात बच्चों में इस बीमारी के हल्के लक्षण ही दिखते हैं, लेकिन कई बार गंभीर इंफेक्शन भी हो सकता है।



संदर्भ

  1. Nassef Christopher, Ziemer Carolyn, Morrell Dean S. Hand-foot-and-mouth disease: a new look at a classic viral rash Curr Opin Pediatr. 2015 Aug;27(4):486-91. PMID: 26087425.
  2. Chan Kwai Peng et al. Epidemic Hand, Foot and Mouth Disease Caused by Human Enterovirus 71, Singapore Emerg Infect Dis. 2003 Jan; 9(1): 78–85. PMID: 12533285.
  3. Meadow S. R. Hand, foot, and mouth diseases. Arch Dis Child. 1965 Oct; 40(213): 560–564. PMID: 5830002.
  4. Cai Kang et al. Clinical characteristics and managements of severe hand, foot and mouth disease caused by enterovirus A71 and coxsackievirus A16 in Shanghai, China. BMC Infect Dis. 2019; 19: 285. PMID: 30917800.
  5. Mao Qunying et al. Coxsackievirus A16 Epidemiology, diagnosis, and vaccine. Hum Vaccin Immunother. 2014 Feb 1; 10(2): 360–367. PMID: 24231751.
  6. World Health Organisation [Internet]. Geneva. Switzerland; A guide to clinical management and public health response for hand, foot and mouth disease (HFMD)