हृदय रोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं. प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग हृदय रोगों से परेशान हो सकता है. डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल हृदय रोगों को ट्रिगर कर सकते हैं. इसके अलावा, अनहेल्दी डाइट, तनाव व इनएक्टिव लाइफस्टाइल के चलते हृदय रोग के लक्षण बढ़ सकते हैं.

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इतना ही नहीं ठंड का मौसम भी हृदय रोग को बढ़ा सकता है, क्योंकि सर्दी के मौसम में रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं. इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और रक्त का प्रवाह कम हो सकता है. इस स्थिति में हृदय पर दबाव पड़ सकता है. इसलिए, हृदय रोगियों को ठंड के मौसम में अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. हृदय रोगी ठंड के मौसम में कुछ सावधानियों को अपनाकर इसे ट्रिगर होने से बचा सकते हैं.

आज इस लेख में आप हृदय रोगियों को ठंड के मौसम में क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए, इस बारे में जानेंगे -

(और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)

  1. ठंडा मौसम हृदय रोग को कैसे प्रभावित करता है?
  2. ठंड के मौसम में हृदय रोगियों को होने वाली समस्याएं
  3. हृदय रोग के लिए ठंड के मौसम में सावधानियां
  4. सारांश
हृदय रोगियों के लिए ठंड के मौसम में सावधानियां के डॉक्टर

ठंडा मौसम हृदय रोगियों की समस्याओं को बढ़ा सकता है. दरअसल, जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जाती है, रक्त वाहिकाएं सिकड़ने लगती हैं. रक्त वाहिकाओं के संकीर्ण होने से ब्लड प्रेशर का लेवल काफी बढ़ जाता है. इस स्थिति में हृदय को ब्लड पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है. वहीं, अगर किसी व्यक्ति को कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, तो इस स्थिति में धमनी में रुकावट आ सकती है. ठंड का मौसम इसके लक्षणों को बढ़ा सकता है, इससे दिल का दौरा पड़ सकता है. वहीं, अगर किसी व्यक्ति को हृदय रोग नहीं है, तो इस स्थिति में रक्त वाहिकाओं के सिकड़ने पर उसे कोई समस्या नहीं होती है. गर्मी आने पर रक्त वाहिकाएं फिर से सामान्य हो जाती हैं.

(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा)

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सर्दियों का मौसम आते ही हृदय रोग से ग्रस्त मरीज को निम्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है -

  • अगर किसी व्यक्ति को कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, तो ठंड के मौसम में उनमें कार्डियक इस्किमिया ट्रिगर हो सकता है. यह वह स्थिति होती है, जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है.
  • ठंड का मौसम एनजाइना के लक्षणों को भी बढ़ा सकता है. इस स्थिति में सीने में तेज दर्द हो सकता है. 
  • ठंड के मौसम में हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है. ऐसे में दिल का दौरा पड़ने की आशंका बढ़ जाती है.
  • जिन लोगों को हार्ट फेलियर की समस्या है, ठंड बढ़ने पर उनकी समस्याएं बढ़ सकती हैं. इस स्थिति में इन लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है. इतना ही नहीं ठंड का मौसम हार्ट फेलियर वाले लोगों में मृत्यु का जोखिम भी बढ़ा सकता है.

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ठंड के मौसम यानी कम तापमान में हृदय रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, हृदय रोगियों को ठंड में अपनी सेहत का अधिक ख्याल रखने की जरूरत होती है. अगर कोई हृदय रोगी है, तो कुछ सावधानियां जरूर अपनाएं -

ठंड से बचने की कोशिश करें

ठंड के मौसम में हृदय रोगियों को सर्द हवाओं से बचना जरूरी होता है. इसके लिए ठंडे तापमान में कम से कम समय बिताएं. अपने पूरे शरीर को ढकें. सर्दी में शरीर में गर्मी बनाए रखने के लिए कपड़ों को लेयरिंग में पहनें. साथ ही अपने सिर और हाथों को भी पूरी तरह से ढकें. इसके लिए मोजे और जूते पहनें. इससे शरीर का तापमान सामान्य बना रह सकता है.

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ठंडे पानी या बर्फ से बचें

ठंड के मौसम में कई लोग स्नो फॉल देखने जाते हैं. वहीं, बर्फ और ठंडे पानी से खेलते हैं. अगर किसी को हृदय रोग है, तो उसे बर्फ या ठंडे पानी में खेलने से बचना चाहिए. बर्फ में रहने से एनजाइना, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर का जोखिम बढ़ सकता है. नहाने के लिए भी ठंडे पानी का उपयोग करने से बचना चाहिए. हृदय रोगियों को हमेशा गुनगुने पानी से ही नहाना चाहिए.

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खुद को ज्यादा गरम न होने दें

कई लोग ठंड से बचने के चक्कर में कपड़ों की कई लेयरिंग पहन लेते हैं. साथ ही अपने रूम को ओवरहीट कर देते हैं. ओवरहीटिंग की वजह से भी हृदय रोग ट्रिगर हो सकते हैं. दरअसल, अधिक गर्मी होने पर रक्त वाहिकाएं अचानक फैल जाती हैं या फिर चौड़ी हो जाती हैं. इस स्थिति में व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लो हो सकता है. इसलिए, ठंड के मौसम में कम तापमान के साथ ही अधिक तापमान से भी बचने की कोशिश करनी चाहिए.

(और पढ़ें - हृदय रोग में क्या खाएं)

फ्लू के लक्षणों से बचने का प्रयास

ठंड के मौसम में अधिकतर लोगों को फ्लू के लक्षणों का सामना करना ही पड़ता है. अगर किसी को हृदय रोग है, तो ठंड में फ्लू के लक्षणों से बचने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. अगर हृदय रोगों के साथ ही फ्लू भी होता है, तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए हृदय रोगी फ्लू वैक्सीन ले सकता है या फिर दवाइयां का भी सेवन कर सकता है.

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शराब का सेवन न करें

कई लोग ठंड से बचने के चक्कर में और शरीर को गर्म करने के लिए शराब का सेवन करते हैं, लेकिन हृदय रोग को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. शराब पीने से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है. इस स्थिति में हृदय रोग के लक्षणों में वृद्धि हो सकती है.

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एक्सरसाइज करें

ठंड में अपने शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज का सहारा लेना भी जरूरी होता है. इसके लिए सुबह-शाम एक्सरसाइज कर सकते हैं. योगमेडिटेशन या प्राणायाम का भी सहारा ले सकते हैं. रोजाना एक्सरसाइज करने से हृदय रोगों के लक्षणों को भी कम करने में मदद मिल सकती है.

(और पढ़ें - हाइपरटेंशन हार्ट डिजीज का इलाज)

गर्म भोजन का सेवन

हृदय रोगियों को हमेशा गर्म और ताजा ही भोजन खाना चाहिए. खासकर, ठंड के मौसम में बासी या ठंडा खाना खाने से बचना चाहिए.

(और पढ़ें - हृदय के कौन-कौन से टेस्ट होते हैं)

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हृदय रोग के लिए ठंड का मौसम समस्याओं को बढ़ा सकता है. ठंड का मौसम हृदय रोगियों में हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकता है. ठंडे मौसम में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं. इस स्थिति में हृदय को रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है. इसलिए, जिन लोगों को हृदय रोग है, उन्हें ठंडे के मौसम में अपना अधिक ख्याल रखने की जरूरत होती है. इस स्थिति में ठंडे पानी या बर्फ से बचें. साथ ही गर्म खाना खाएं, रेगुलर एक्सरसाइज करें और शराब से दूरी बनाएं. अगर इसके बावजूद ठंड के मौसम में हृदय रोग ट्रिगर होते हैं, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.

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