इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी (आईएनएडी) - Infantile Neuroaxonal Dystrophy in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

December 15, 2020

December 15, 2020

इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी
इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी

इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी (आईएनएडी) एक दुर्लभ वंशानुगत तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग है जो ऐक्सोन्स को प्रभावित करती है। ऐक्सोन्स, तंत्रिका कोशिका का वो भाग है जो मस्तिष्क से संदेश को लेकर शरीर के अन्य भागों तक पहुंचाने का काम करता है। आईएनएडी के चलते समय के साथ धीरे-धीरे दृष्टि की हानि होने लगती है, मांसपेशियों से नियंत्रण खत्म होने लगता है और मानसिक कौशल को भी नुकसान पहुंचता है।

वैसे तो इस बीमारी के बुनियादी आनुवांशिक और मेटाबोलिक (चयापचय) कारणों का पता नहीं चल पाया है। लेकिन अमेरिका के 'नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक' (एनआईएनडीएस) की रिपोर्ट के मुताबिक वे नसें जो मांसपेशियों, त्वचा और आंखों के आसपास मौजूद ऊत्तकों के साथ संपर्क में रहती हैं उनमें विषैले तत्व असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं जिसके परिणामस्वरूप आईएनएडी की समस्या होती है। 

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इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी के लक्षण - Infantile Neuroaxonal Dystrophy Symptoms in Hindi

एनआईएनडीएस के अनुसार इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी के लक्षण आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती 2 साल के अंदर दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। बच्चे में इस बीमारी से जुड़े निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं -

इसके अलावा जन्म के समय चेहरे से जुड़ी विकृतियां भी नजर आ सकती हैं जिसमें बाहर निकला हुआ माथा, क्रॉस्ड आई (आंखों का पंक्तिबद्ध न होना), असामान्य रूप से छोटी नाक या जबड़ा और बड़े-बड़े कान जो अपनी सामान्य जगह से नीचे स्थित हों। आईएनएडी एक ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर है, जिसका मतलब है कि माता-पिता दोनों में दोषपूर्ण जीन होते हैं जिसे वे अपने बच्चे को आगे बढ़ा देते हैं। 

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इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी के कारण - Causes of Infantile Neuroaxonal Dystrophy in Hindi

ब्रिटेन के नैशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) फाउंडेशन ट्रस्ट के अनुसार इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी की समस्या तब होती है जब पूरे मस्तिष्क और शरीर की नसों में पदार्थों की असामान्य बढ़ोतरी होने लगती है जो शरीर के अंगों को ठीक से काम करने से रोकता है। पदार्थों का ये जमाव (जिन्हें अंडाकार आकृति के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि माइक्रोस्कोप के नीचे उनका आकार वैसा दिखता है) विशेष रूप से नसों के उन आखिरी छोर में देखने को मिलता है जो मांसपेशियों, त्वचा और कंजंक्टिवा (आंखों के आसपास) में जा रही होती हैं।

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लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पदार्थों का ये जमाव नसों में कैसे या क्यों बनता है। हालांकि, इस बात की संभावना अधिक है कि शरीर की वह सामान्य प्रक्रिया जिसमें शरीर अनचाहे केमिकल्स को बाहर निकालता है वह प्रक्रिया सही तरीके से काम न कर रही हो और इसके लिए दोषपूर्ण जीन जिम्मेदार है।

इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी का निदान - Diagnosis of Infantile Neuroaxonal Dystrophy in Hindi

हाल के समय तक इस बीमारी को डायग्नोज करने के लिए त्वचा या कंजंक्टिवा के एक टुकड़े को माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर परीक्षण किया जाता था कि क्या नर्व ऐक्सॉन में अंडाकार आकृति (स्फेरॉयड बॉडीज) की उपस्थिति मौजूद है या नहीं। लेकिन अब सामान्य तौर पर सबसे पहले ब्लड सैंपल में पीएलए2जी6 जीन को टेस्ट किया जाता है और इस तरह से बायोप्सी की जरूरत नहीं पड़ती और उसके बिना ही निदान की पुष्टि हो जाती है।

इन्फेंटाइल न्यूरोएक्सोनल डिस्ट्रोफी का इलाज - Infantile Neuroaxonal Dystrophy Treatment in Hindi

आईएनएडी बीमारी की कोई दवा या उपचार मौजूद नहीं है। साथ ही ऐसा कोई इलाज भी नहीं है जो बीमारी को बढ़ने से रोक सके। हालांकि, डॉक्टर दर्द से राहत पाने और मरीज को शांत करने की दवा दे ​​सकते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट माता-पिता और मरीज का ध्यान रखने वालों को यह सिखा सकते हैं कि उन्हें बच्चे को किस पोजिशन में रखना है, कैसे बैठाना है। साथ ही हाथों और पैरों की एक्सरसाइज कैसे करानी है ताकि बच्चे का कंफर्ट लेवल बना रहे।

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आईएनएडी से पीड़ित बच्चे का अनुमानित जीवनकाल - Life Expectancy of Child with INAD in Hindi

आईएनएडी एक प्रगतिशील (लगातार बढ़ने वाली) बीमारी है। एक बार जब बीमारी के लक्षण शुरू हो जाते हैं, तो वक्त के साथ मरीज की स्थिति बिगड़ती चली जाती है। आमतौर पर, 6 महीने से 3 साल की उम्र के बीच के बच्चे का विकास धीमा होने लगता है। शुरुआती लक्षणों में सबसे पहले मोटर स्किल्स (गतिविधि से जुड़ी क्षमता) और मानसिक विकास का धीमा होना है जिसके बाद मरीज द्वारा पहले से सीखे कौशल की भी हानि होने लगती है।

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आईएनएडी से पीड़ित बच्चा शारीरिक रूप से दुर्बल होने के बावजूद शुरुआत के कुछ सालों तक अलर्ट और प्रतिक्रियाशील रहता है। लेकिन जैसे-जैसे उसकी दृष्टि, बोलने की योग्यता और मानसिक कौशल में खराबी आने लगती है, बच्चा अपने आसपास मौजूद परिवेश की अनुभूतियों को भी खोने लगता है। इस तरह 5 से 10 साल की उम्र के बीच आईएनए़डी से पीड़ित बच्चे की मृत्यु हो जाती है।



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