क्लाइन लेविन सिंड्रोम - Kleine Levin Syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 02, 2020

December 18, 2023

क्लाइन लेविन सिंड्रोम
क्लाइन लेविन सिंड्रोम

क्लाइन लेविन सिंड्रोम (केएलएस) ​एक दुर्लभ निद्रा रोग है, जिसमें सामान्य से ज्यादा नींद आती है। कुछ मामलों में, पीड़ित व्यक्ति 20 घंटे तक नींद ले सकता है। आमतौर पर इस स्थिति को 'स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम' कहा जाता है।

केएलएस में व्यवहार में बदलाव और भ्रम की स्थिति भी हो सकती है। यह विकार किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन ज्यादातर पुरुषों को (किशोरावस्था के दौरान) प्रभावित करता है।

इस बीमारी के एपिसोड बार-बार ट्रिगर हो सकते हैं और पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन होने लगता है। प्रत्येक एपिसोड के दौरान स्कूल जाना, काम करना या अन्य गतिविधियों में भाग लेना मुश्किल हो सकता है।

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क्लाइन लेविन सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? - Kleine-Levin Syndrome Symptoms in Hindi

केएलएस से ग्रस्त लोग हर दिन लक्षणों का अनुभव नहीं करते हैं, लेकिन जब लक्षण दिखाई देते हैं, तो वे कुछ दिनों, सप्ताह या महीनों तक रह सकते हैं।

केएलएस के सबसे सामान्य लक्षणों में शामिल हैं -

  • ज्यादा नींद
  • बिस्तर पर जाने की तेज इच्छा
  • सुबह उठने पर बिस्तर छोड़ने का मन नहीं करना

इसमें एक एपिसोड के दौरान, इंसान 20 घंटे तक सो सकता है। हालांकि, केएलएस से ग्रस्त व्यक्ति बाथरूम का उपयोग करने और खाने के लिए उठ सकते हैं, फिर सोने के लिए वापस जा सकते हैं।

केएलएस के एपिसोड अन्य लक्षणों को भी ट्रिगर कर सकते हैं, जैसे :

क्लाइन लेविन सिंड्रोम का कारण क्या है? - Kleine-Levin Syndrome Causes in Hindi

केएलएस का सटीक कारण पता नहीं चला है, लेकिन कुछ डॉक्टरों का मानना है कि कुछ कारक इस स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, केएलएस हाइपोथैलेमस में चोट की वजह से ट्रिगर हो सकती है। यह मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो नींद, भूख और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।

कुछ लोगों में फ्लू जैसे संक्रमण के बाद केएलएस विकसित हो सकता है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि केएलएस एक प्रकार का ऑटोइम्यून विकार हो सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगती है।

केएलएस आनुवंशिक भी हो सकता है, क्योंकि कई ऐसे मामलों का पता चला है, जिनमें परिवार में एक से अधिक व्यक्तियों में यह परेशानी पाई गई है।

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क्लाइन लेविन सिंड्रोम का निदान कैसे होता है? - Kleine-Levin Syndrome Diagnosis in Hindi

केएलएस का निदान करना मु​श्किल हो सकता है, क्योंकि यह मनोरोग लक्षणों के साथ हो विकसित हो सकता है। कई मामलों में गलत निदान हो जाता है और इसे साइकियाट्रिक डिसऑर्डर समझ लिया जाता है।

केएलएस के निदान के लिए सटीक टेस्ट नहीं है, लेकिन डॉक्टर अन्य संभावित बीमारियों का पता लगाने के लिए कई टेस्ट कर सकते हैं।

केएलएस के लक्षण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से मिलते-जुलते हो सकते हैं। डॉक्टर ऐसे में शारीरिक जांच और नैदानिक परीक्षण कर सकते हैं। इसके अलावा सिर का सीटी स्कैन या एमआरआई करवाने की भी जरूरत पड़ सकती है।

डॉक्टर निम्न स्थितियों की जांच करने के लिए इमेजिंग टेस्ट की मदद ले सकते हैं :

क्लाइन लेविन सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है? - Kleine-Levin Syndrome Treatment in Hindi

क्लाइन लेविन सिंड्रोम के लिए कोई निश्चित उपचार नहीं है। ​एम्फैटेमिन्स, मिथिलफेनिडेट और मोडफिनिल सहित कई ऐसी दवाइयां हैं तो 'स्लीपनेस' (सोने की बहुत तेज इच्छा होना और उंघाई की भावना) के इलाज में मदद कर सकती हैं। लेकिन यह दवाइयां चिड़चिड़ापन बढ़ा सकती हैं। इस विकार के एपिसोड सामाजिक, पेशेवर और पारिवारिक जीवन को बाधित कर सकते हैं।

केएलएस के कुछ मामलों में शरीर में सक्रियता को बढ़ाने के लिए एंटी एपिलेप्टिक, एंटीडिप्रेसेंट और एंटीसाइकोटिक दवाओं का प्रयोग किया गया था, इन दवाइयों के सेवन से मरीज में सुधार पाया गया, लेकिन दुर्लभ स्थिति होने के कारण लंबे समय तक मरीज को मॉनिटर करना मुश्किल हो सकता है। कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें।

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