तुतलाना - Lisping in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

December 07, 2020

December 09, 2020

तुतलाना
तुतलाना

तुतलाना (लिस्पिंग) बोलने से जुड़ा एक विकार है, जिसमें कोई बच्चा या व्यक्ति कुछ अक्षरों या शब्दों का उच्चारण सही से नहीं कर पाता है। उदाहरण के लिए वह जरूर को 'जलूल', कूकर की जगह 'तूतर' और क्या की जगह 'त्या' का उच्चारण करेगा।

भारत में जिन लोगों को तुतलाने की समस्या है, वे कुछ अक्षरों की जगह 'त या ल' अक्षर का इस्तेमाल करते हैं यही वजह है कि इसे हिंदी में तुतलाना कहा जाता है। वैसे तो यह दुर्लभ और लालइलाज नहीं है, लेकिन यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो यह चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि अक्सर ऐसे बच्चों के सहयोगी उन्हें चिढ़ा सकते हैं, इससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है।

यह स्थिति 'स्पीच डिसऑर्डर' के अंतर्गत आती है, जिसमें बच्चा या कोई व्यक्ति सही से कुछ शब्दों या अक्षरों का उच्चारण नहीं कर पाता है। खैर, अच्छी बात यह है कि उचित या जल्दी ट्रीटमेंट शुरू कर देने से इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है।

कुछ लोग इसे 'लैंग्वेज डिसऑर्डर' समझने की भूल कर सकते हैं, लेकिन बता दें लैंग्वेज डिसऑर्डर में बोलने में कठिनाई के साथ साथ दूसरों द्वारा कहे गए शब्दों को समझने में भी दिक्कत आती है।

तुतलाना (लिस्पिंग) के प्रकार क्या हैं? - Lisping Types in Hindi

तुतलाना (लिस्पिंग) को चार भागों में बाटा जा सकता है:

  • लेटेरल : इसमें शब्द इसलिए स्पष्ट नहीं होते, क्योंकि बच्चे के मुंह में अधिक लार बनती है। ऐसे में जब वह बोलने की कोशिश करता है तो मुंह से शब्दों के साथ हवा भी निकलती है।
  • डेंटलाइज्ड : यह तब होता है जब बोलने के लिए जुबान से सामने के दांतों पर जोर दिया जाता है।
  • इंटरडेंटल या फ्रंटल : इसमें 'एस' और 'जी' जैसे साउंड स्पष्ट नहीं बनते हैं, ऐसा तब होता है जब सामने ऊपर और नीचे के दांतों के बीच जुबान को धकेला या बाहर निकालकर बोला जाता है। यह छोटे बच्चों में ज्यादा आम है खासकर उनमें जिनके सामने के दांत गिर गए हैं।
  • पैलेटल : इसमें 'एस' साउंड स्पष्ट नहीं होता है। ऐसा तब होता है जब जीभ के बीच वाला हिस्सा ऊपर तालू को छूता है।

एक स्पीच थेरेपिस्ट आर्टिकुलेशन एक्सरसाइज के साथ एक लिस्प का इलाज करेगा, जिसका उद्देश्य कुछ ध्वनियों का सही उच्चारण करने में मदद करना है।

(और पढ़ें - वॉइस डिसऑर्डर क्या है)

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तुतलाने (लिस्पिंग) के संकेत और लक्षण क्या हैं? - What are the Sign and Symptoms of Lisping in Hindi?

तुतलाना के संकेतों में शामिल हो सकते हैं :

तुतलाना के लक्षण आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में देखे जा सकते हैं। इसमें कुछ ऐसे अक्षरों (अंग्रेजी में S और Z) को बोलने में दिक्कत आती है, जिनके उच्चारण के लिए जीभ के पीछे से हवा को मुंह से बाहर की तरफ ढकेला जाता है। इन अक्षरों को 'सिबिलेंट कन्सोनेंट्स' कहा जाता है। इनके अलावा कुछ और भी ऐसे अक्षर हैं जिन्हें बोलने में दिक्कत होती है जैसे क, र, च, श आदि।

इस स्थिति से ग्रस्त व्यक्ति या बच्चा इन अक्षरों की जगह 'त या ल' का प्रयोग करता है, जिससे शब्द की ध्वनि बदल जाती है और यही तुतलाने का सबसे मुख्य लक्षण भी है। फिलहाल इसके कुछ अन्य संकेत भी हैं जैसे :

  • अन्य बच्चों की तुलना में शब्दावली कम होना
  • वाक्य बनाने की क्षमता में कमी
  • शब्दों का उपयोग करने और कुछ समझाने के लिए वाक्यों को सही से न जोड़ पाना
  • बातचीत करने की क्षमता में कमी
  • कई शब्दों का प्रयोग न करना
  • गलत क्रम में शब्द कहना
  • लोगों के हंसने के डर से कम बात करना
  • बातों को ठीक से न समझने की वजह से सही उच्चारण न करना
  • धीमा बोलना
  • शब्द उच्चारण में समय लगाना
  • आत्मविश्वास की कमी आदि

(और पढ़ें - आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं)

तुतलाना (लिस्पिंग) का कारण क्या है? - What are the Causes of Lisping in Hindi?

वैसे तो किसी स्पीच डिसऑर्डर की तरह तुतलाने का कारण भी स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन ज्यादातर यह समस्या छोटे बच्चों में पाई जाती है, खासकर जिनके सामने के दांत टूट जाते हैं। कुछ मामलों में य​ह जीभ, तालू या दांतों की संरचना ठीक से न होने की वजह से भी हो सकता है, लेकिन वे आमतौर पर मुख्य कारण नहीं होते हैं। कुछ मामले ऐसे भी देखे गए हैं, जिनमें बच्चे को शारीरिक असामान्यता नहीं होती है, लेकिन उन्हें तुतलाने की समस्या होती है। माना जाता है कि कुछ बच्चे लिस्प से ग्रसित दूसरे बच्चों या बड़ों की नकल कर सकते हैं। (और पढ़ें - बच्चों के दूध के दांत गिरना)

एक थ्योरी यह कहती है कि तुतलाने की समस्या 'टंग थ्रस्टिंग' की वजह से हो सकती है। टंग थ्रस्टिंग एक शारीरिक व्यवहार है, जिसमें निगलने और बोलने के दौरान जीभ को दोनों दांतों के बीच से बाहर धकेलने की कोशिश की जाती है।

तुतलाना (लिस्पिंग) के अन्य कारणों में शामिल हो सकते हैं :

  • किसी तरह का मानसिक रोग
  • मुंह के अंदर (खासकर जीभ) की संरचना या बनावट सही से न होना

तुतलाना (लिस्पिंग) का निदान कैसे किया जा सकता है? - Lisp Diagnosis in Hindi

डॉक्टर सबसे पहले यह चेक कर सकते हैं कि मुंह के अंदर की संरचना में कोई असामान्यता तो नहीं है। इसके अलावा वे बच्चे की सुनने की क्षमता की भी जांच कर सकते हैं, क्योंकि कई मामलों में सही से शब्दों को ना सुनने की वजह से सही उच्चारण नहीं हो पाता है। हालांकि, इस स्थिति में स्पीच लैंग्वेज पैथालॉजिस्ट के पास जाना चाहिए। वे बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री चेक करने के साथ-साथ मुंह की शारीरिक रचना और गतिविधियों की जांच करेंगे। इसके बाद, बच्चे का बोलना व जोर से पढ़ने का विश्लेषण किया जा सकता है। इसे स्पीच सैंपल लेना कह सकते हैं, जिसमें बच्चे की आवाज की गुणवत्ता, धाराप्रवाह में बोलना (फ्लूएंट स्पीच) और बच्चे के शब्दार्थ के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाती है। (और पढ़ें - सुनने में परेशानी के घरेलू उपाय)

आमतौर पर तुतलाने का निदान तब होता है जब बच्चा बोलने की उम्र में आ जाता है। इस अवस्था में जब कोई बच्चा बोलने की कोशिश करता है तो वह क, र, च, श जैसे अक्षरों के लिए सटीक उच्चारण नहीं कर पाता है।

बता दें कि तुतलाना कोई अनोखी समस्या नहीं है, बल्कि करीबन 23 प्रतिशत लोग अपने जीवनकाल में इस समस्या से कभी न कभी प्रभावित होते हैं।

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तुतलाना (लिस्पिंग) का इलाज कैसे किया जा सकता है? - What is the Treatment of Lisping in Hindi?

जिन बच्चों में यह समस्या उनके सामने के दांत गिर जाने की वजह से होती है उनमें दांत आने पर यह स्थिति ठीक हो जाती है। लेकिन अन्य मामलों में स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट (एसएलपी) की मदद ली जा सकती है। इन्हें स्पीच थेरेपिस्ट भी कहा जाता है। स्पीच थेरेपी में विशेष प्रकार की एक्सरसाइज होती हैं, जिसे आर्टिकुलेशन एक्सरसाइज कहते हैं। यह कुछ निश्चित शब्दों को सही से बोलने में मदद करती है, ऐसे में आपकी तुतलाने की समस्या ठीक हो सकती है। जल्दी उपचार शुरू कर देने से बच्चे जल्दी इस स्थिति से निजात पा सकते हैं, इसलिए कोशिश करें कि बच्चा जिस उम्र में बोलना शुरू करता है तभी से उसके बोलचाल पर ध्यान दें। (और पढ़ें - स्पीच थैरेपी क्या, कैसे होती है और फायदे)

जो लोग वयस्क हैं और अब भी तुतलाने की समस्या से ग्रस्त हैं, उन्हें भी लंबे समय तक इस स्थिति से परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि किसी भी उम्र में स्पीच थेरेपिस्ट से मिलकर ट्रीटमेंट लिया जा सकता है। ऐसा पाया गया है कि जो लोग बड़े समर्पित भाव से स्पीच थेरेपी में बताई गई चीजों का अभ्यास करते हैं उनमें महज कुछ महीनों में ही स्थिति ठीक हो सकती है। हालांकि, अंतर्निहित कारणों के आधार पर कुछ मामलों में उपचार में थोड़ा अधिक समय लग सकता है।

तुतलाने और हकलाने के इलाज के लिए आमतौर पर दवाएं नहीं दी जाती हैं। ऐसे में थेरेपी के जरिये ही स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। हालांकि, यदि मुं​ह के अंदर की संरचना सही से नहीं हुई है तो ऐसे में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।



तुतलाना की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Lisping in Hindi

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