मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी (नसों में होने वाला विकार) - Multiple System Atrophy in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

January 21, 2020

March 06, 2020

मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी
मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी

मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी क्या है?

मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी (एमएसए) एक दुर्लभ व धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाने वाला न्यूरोलॉजिकल विकार (नसों से संबंधित) है। यह बीमारी शरीर के ऐसे कार्यों को प्रभावित करती है, जो शरीर में स्वाभाविक रूप से होते हैं, इसमें ब्लड प्रेशर, सांस लेना, मूत्राशय संबंधित और मांसपेशियों का नियंत्रण शामिल है।

पहले इसे शाय-ड्रेगर सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता था। एमएसए रोग के ज्यादातर लक्षण पार्किंसंस रोग के लक्षणों की तरह ही दिखते हैं जैसे शारीरिक गतिविधियां धीमी पड़ना, मांसपेशियों का कठोर होना और संतुलन में कमी आना। यह स्थिति धीरे-धीरे बढ़ती है और अंत में मृत्यु का कारण बन सकती है।

मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी के लक्षण 

एमएसए के शुरुआती लक्षण अक्सर पार्किंसंस रोग के प्रारंभिक लक्षणों से मिलते हैं। इसमें शामिल हैं:

  • धीमी मूवमेंट करना, हाथ कांपना या जकड़न
  • तालमेल बैठाने में कठिनाई
  • बोलने में दिक्कत होना जैसे कर्कश आवाज या आवाज का कांपना
  • ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन के कारण बेहोशी या चक्कर आना (ऐसी स्थिति जिसमें बैठने या लेटने की पोजीशन से खड़े होने पर लो बीपी हो जाता है)
  • मूत्राशय को नियंत्रित करने की समस्या जैसे कि अचानक पेशाब करने की इच्छा होना या मूत्राशय को खाली करने में दिक्कत आना
  • मांसपेशियां कठोर होना
  • हाथ और पैर मोड़ने में कठिनाई

मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी के कारण

एमएसए में मस्तिष्क के कुछ ऐसे हिस्से बिगड़ने व सिकुड़ने लगते हैं, जो शरीर के आंतरिक कार्यों, पाचन और मोटर कंट्रोल (जैसे दोनों हाथों के बीच तालमेल) को नियंत्रित करते हैं। कुछ शोधकर्ता इस बात पर अध्ययन कर रहे हैं कि इस रोग के पीछे जेनेटिक कारण है या पर्यावरणीय, लेकिन इन सिद्धांतों की पुष्टि के लिए अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया है।

फिलहाल डॉक्टरों को इस बीमारी का सटीक कारण पता नहीं चल पाया है, लेकिन इसके ज्यादातर मामले गंभीर नहीं होते हैं। 

डॉक्टरों का मानना है कि एमएसए में मस्तिष्क के वही कुछ हिस्से प्रभावित होते हैं जो पार्किंसंस रोग में होते हैं। इसी वजह से मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी के इस उप-प्रकार को पार्किंसोनियन कहा जाता है। ज्यादातर 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में इस बमीारी का निदान किया जाता है।

मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी का इलाज

इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है लेकिन इसके उपचार में लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवाएं और जीवनशैली में बदलाव शामिल है।

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड फ्लूड्रोकोर्टिसोन और अन्य दवाएं शरीर को अधिक नमक और पानी की मात्रा बनाए रखने में मदद कर लो बीपी को ठीक कर सकती हैं।
  • इस बीमारी में नपुंसकता का इलाज सिल्डेनाफिल से किया जा सकता है।  
  • यदि निगलने में कठिनाई हो रही है, तो नरम चीजें खाएं। यदि निगलने या सांस लेने में समस्या बढ़ती जा रही है, तो सर्जरी द्वारा फीडिंग या ब्रीदिंग ट्यूब लगाई जा सकती है जिससे शरीर में पोषक तत्व पहुंच सकें।
  • यदि मूत्राशय पर नियंत्रण से जुड़ी समस्या हो रही है, तो इस स्थिति के शुरुआती चरणों में दवाएं मदद कर सकती हैं, लेकिन स्थिति के गंभीर होने पर पेशाब को निकालने के लिए स्थायी रूप से कैथेटर (पेशाब को शरीर से बाहर निकालने वाली पतली ट्यूब) की आवश्यकता पड़ सकती है।

इस बीमारी में स्थिति धीरे-धीरे खराब होती है जिस कारण रोजमर्रा के काम करने में भी कठिनाई आने लगती है। भले ही यह बीमारी शुरुआती चरणों में खतरनाक नहीं होती हो लेकिन कुछ समय बाद यह गंभीर रूप ले सकती है इसलिए लक्षणों को नजरअंदाज न करें और न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें।



मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी (नसों में होने वाला विकार) के डॉक्टर

Dr. Vinayak Jatale Dr. Vinayak Jatale न्यूरोलॉजी
3 वर्षों का अनुभव
Dr. Sameer Arora Dr. Sameer Arora न्यूरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
Dr. Khursheed Kazmi Dr. Khursheed Kazmi न्यूरोलॉजी
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Dr. Muthukani S Dr. Muthukani S न्यूरोलॉजी
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