प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम - Peutz Jeghers Syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

October 16, 2020

January 21, 2021

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम
प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (विशेष रूप से पेट और आंतों) में 'हैमार्टोमैटस पॉलीप्स' नामक गैर-कैंसरकारी वृद्धि होने लगती है जिस कारण कुछ प्रकार के कैंसर के विकास का जोखिम बढ़ जाता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को जीआई ट्रैक्ट भी कहा जाता है, यह मुंह से गुदा तक का मार्ग है, जिसमें पाचन तंत्र के सभी अंग शामिल हैं।

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों में अक्सर होंठों पर, मुंह के अंदर, आंखों और नाक के पास और गुदा के आसपास छोटे व काले धब्बे विकसित होने लगते हैं। ये धब्बे हाथ और पैरों पर भी हो सकते हैं। वे बचपन में आसानी से देखे जा सकते हैं जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है इन धब्बों के निशान फीके या हलके पड़ने लगते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त ज्यादातर लोगों में उनके बचपन या किशोरावस्था के दौरान पेट और आंतों में पॉलीप्स की समस्या विकसित हो सकती है।

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में जीवनभर कैंसर विकसित होने का खतरा अधिक रहता है।

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम के संकेत और लक्षण क्या हैं? - Peutz Jeghers Syndrome Symptoms in Hindi

बच्चों और वयस्कों में प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम के लक्षण वि​कसित हो सकते हैं। बच्चों में लक्षण उनकी उम्र बढ़ने के साथ हल्के पड़ सकते हैं, इन लक्षणों में शामिल हैं :

  • शरीर के विभिन्न हिस्सों पर गहरे रंग के धब्बे। ये धब्बे आमतौर पर बचपन में गहरे भूरे या नीले रंग के होते हैं और फिर किशोरावस्था में फीके पड़ने लगते हैं। ये धब्बे शरीर के विभिन्न हिस्सों पर दिखाई दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैं :
    • मुंह
    • होंठ
    • आंखें
    • नाक
    • हाथ और पैर
    • गुदा
  • हैमार्टोमैटस पॉलीप्स (गैर कैंसरकारी ऊतक) का विकास 
  • छोटे आंत का ब्लॉक होना
  • जठरांत्र में ब्लीडिंग
  • एनीमिया
  • पेट दर्द

(और पढ़ें - ट्यूमर और कैंसर में अंतर)

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प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम का कारण क्या है? - Peutz Jeghers Syndrome Causes in Hindi

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम के ज्यादातर मामले एसकेटी11 नामक जीन (जिसे एलकेबी1 भी कहा जाता है) में गड़बड़ी या बदलाव के कारण होते हैं। एसकेटी11 एक ट्यूमर सप्रेसर जीन है, जिसका अर्थ है कि यह कोशिकाओं को बढ़ने और बहुत तेजी से विभाजित होने से रोकता है। इस जीन में गड़बड़ी होने से एसकेटी11 प्रोटीन की संरचना या कार्य बदल जाते हैं, जिससे कोशिका विभाजन की क्षमता खराब हो जाती है और कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके वृद्धि करने लगती हैं। परिणामस्वरूप प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम वाले लोगों में गैर-कैंसरकारी पॉलीप्स और कैंसर वाले ट्यूमर का निर्माण होने लगता है।

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? - Peutz Jeghers Syndrome Diagnosis in Hindi

निम्न स्थितियां होने पर प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम का निदान किया जा सकता है :

  • दो या दो से अधिक प्यूट्ज जेहेर्स पॉलीप्स
  • फैमिली हिस्ट्री (परिवार में कभी किसी को यह समस्या रही हो)
  • प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम के फैमिली हिस्ट्री के साथ विशेष गहरे रंग के धब्बे

जिनमें भी उपरोक्त स्थितियां हैं उनकी जेनेटिक काउंसलिंग और जेनेटिक टेस्ट करके बीमारी का निदान किया जा सकता है। जेनेटिक टेस्ट में खून का नमूना लिया जाता है, यदि रोगियों में एसकेटी11 / एलकेबी1 जीन में गड़गड़ी मिली है, तो यह प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम का संकेत है। यदि गड़बड़ी की पहचान कर ली गई है तो रोगी के परिवार के सदस्यों का भी टेस्ट किया जा सकता है।

(और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए)

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है? - Peutz Jeghers Syndrome Treatment in Hindi

वर्तमान में प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम के लिए कोई इलाज नहीं है। मरीजों को जीवरभर पॉलीप्स की वजह से होने वाली परेशानी और कैंसर से बचने के लिए मॉनीटरिंग (निगरानी) की जरूरत पड़ती है।

कोलन में पॉलीप्स को कोलोनोस्कोपी प्रोसीजर के दौरान आसानी से हटाया जा सकता है। पेट और डुओडेनम (छोटी आंत का एक हिस्सा) में पॉलीप्स की बायोप्सी की जा सकती है और यदि आवश्यक हो तो इसे भी हटाया जा सकता है। यह पॉलीप्स छोटे, गोल व इनमें उभार होता है।

यदि पॉलीप्स तक नहीं पहुंचा जा सकता है और इसकी वजह से अधिक समस्या हो रही है, तो ऐसे में सर्जरी की जरूरत होती है। आमतौर पर इन पॉलीप्स को आंत को नुकसान पहुंचाए बिना एक-एक करके हटाया जा सकता है।

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प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम कैसे होता है? - Peutz Jeghers Syndrome Inheritance in Hindi

प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम ऑटोसोमल डोमिनेंट पैटर्न का जरिए अगली पीढ़ी को प्रभावित करता है। ऑटोसोमल डोमिनेंट का मतलब है कि यह आनुवांशिक स्थिति है जोकि तब हो सकती है जब किसी बच्चे को उसके माता या पिता में से किसी एक से उत्परिवर्तित या जीन की खराब प्रति मिली हो।