पोलैंड सिंड्रोम - Poland Syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 23, 2020

January 21, 2021

पोलैंड सिंड्रोम
पोलैंड सिंड्रोम

पोलैंड सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में एक तरफ की मांसपेशियों के विकास में कमी आ जाती है। यह मुख्य रूप से छाती को प्रभावित करता है, यानी इस​ स्थिति में छाती की मांसपेशियां अनु​पस्थिति या अविकसित रह जाती हैं।

पोलैंड सिंड्रोम का नाम ब्रिटिश सर्जन सर अल्फ्रेड पोलैंड के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस स्थिति की पहचान की थी। पोलैंड सिंड्रोम को पोलैंड एनोमली या पोलैंड सिक्वेंस भी कहा जाता है।

इस दुर्लभ स्थिति को पहली बार 19वीं शताब्दी में पहचाना गया था। नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट (NHGRI) के अनुसार 10,000 से लेकर 1,00,000 लोगों में से किसी एक को यह बीमारी होती है। वैसे तो यह स्थिति जन्मजात है, लेकिन बहुत से लोग इसकी पहचान युवावस्था में कर पाते हैं। दूसरी तरफ अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन का अनुमान है कि यह बीमारी 20,000 बच्चों में से एक को होती है।

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पोलैंड सिंड्रोम के संकेत और लक्षण क्या हैं? - Poland Syndrome Symptoms in Hindi

जिन लोगों को पोलैंड सिंड्रोम है, उनके शरीर में असामान्यताएं देखने को मिल सकती हैं। ऐसे लोगों में छाती की एक तरफ की मांसपेशियों का विकास सही से नहीं हो पाता है। पोलैंड सिंड्रोम के सभी संकेत केवल शरीर के एक तरफ होते हैं।

इस स्थिति के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं :

  • स्तन वाले हिस्से में मांसपेशियों की कमी
  • छाती वाला हिस्सा अंदर यानी शरीर की ओर धंसा होना
  • प्रभावित हिस्से वाली तरफ या निप्पल न होना या अविकसित होना
  • बगल के बाल न आना
  • कंधे सामान्य से ऊंचे होना
  • पसलियों का अविकसित होना
  • छाती के जिस तरफ मांसपेशियों में कमी आती है उसी तरफ के हाथ की उंगलियों का छोटा होना
  • उंगलियां आपस में चिपकी हुई दिखाई देना
  • एक तरफ का हाथ छोटा होना
  • महिलाओं में स्तन का विकास न होना और दर्द (ब्रेस्ट में दर्द)
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पोलैंड सिंड्रोम का कारण क्या है? - Poland Syndrome Causes in Hindi

पोलैंड सिंड्रोम का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि सिंड्रोम छह सप्ताह के आसपास के भ्रूण में विकसित होता है। गर्भावस्था के इस स्तर पर, भ्रूण का विकास रक्त प्रवाह पर निर्भर करता है। ऐसे में छाती या आसपास के ऊतकों तक रक्त प्रवाह बाधित होने की वजह से पोलैंड सिंड्रोम हो सकता है।

यह स्थिति जेने​टिक हो सकती है या नहीं, इस पर शोधकर्ताओं के पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं। हालांकि, यह संभव है कि पोलैंड सिंड्रोम परिवार के अन्य सदस्यों में भी होता है, लेकिन ऐसा बहुत कम देखा गया है। आमतौर पर प्रत्येक व्यक्ति में गंभीरता का स्तर अलग-अलग हो सकता है।

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पोलैंड सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? - Poland Syndrome Diagnosis in Hindi

पोलैंड सिंड्रोम का निदान शारीरिक परीक्षा और इमेजिंग टेस्ट जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई और एक्स-रे के माध्यम से किया जाता है। सीटी स्कैन और एमआरआई की मदद से यह स्पष्ट हो सकता है कि कौन सी मांसपेशी प्रभावित हुई है। जबकि एक्स रे की मदद से प्रभावित हड्डी का पता चल सकता है। आमतौर पर हाथ, पसलियां, शोल्डर ब्लेड और भुजाओं के आगे के हिस्से का एक्स-रे किया जाता है।

पोलैंड सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है? - Poland Syndrome Treatment in Hindi

पोलैंड सिंड्रोम के लिए रिकंस्ट्रक्टिव (प्लास्टिक) सर्जरी की मदद ली जा सकती है। चूंकि, इस सिंड्रोम में मांसपेशियों की कमी होती है, ऐसे में इन हिस्सों को भरने के लिए छाती की मांसपेशियों (आवश्यकता पड़ने पर शरीर के अन्य हिस्से की मांसपेशियों) का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा सर्जरी का उपयोग पसलियों को उनकी सही जगह पर ले जाने के लिए भी किया जा सकता है। डॉक्टर प्रभावित हिस्से में विभिन्न हड्डियों को सही पोजिशन में करने के लिए सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं।

फिर भी, निदान के समय सर्जरी की सलाह नहीं दी जा सकती है क्योंकि शरीर में अब भी विकास हो रहा होता है और ऐसे में सर्जरी स्थिति को बदतर बना सकती है। इस सिंड्रोम से ग्रस्त महिलाओं को सर्जरी के लिए तब तक इंतजार करना पड़ सकता है जब तक कि उनके स्तन का विकास न हो जाए। स्तन को सही रूप देने के लिए बनाने के लिए कुछ लोग प्लास्टिक सर्जरी का विकल्प चुन सकते हैं।

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