पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान पहुंचना (शीहान सिंड्रोम) - Sheehan Syndrome in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

December 09, 2019

January 31, 2024

पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान पहुंचना
पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान पहुंचना

शीहान सिंड्रोम क्या है?

शीहान सिंड्रोम बच्चे के जन्म क दौरान पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान पहुंचने से होता है। यह प्रसव के दौरान या बाद में अधिक मात्रा में खून बहने (रक्तस्राव) या  लो बीपी के कारण होता है। पिट्यूटरी ग्रंथि मस्तिष्क के बेस (आधार) में स्थित होती है एवं यह ग्रंथि ऐसे हार्मोन का उत्पादन करती है, जो शरीर की अन्य ग्रंथियों के कार्य की देखरेख करते हैं। यही कारण है कि इसे "मास्टर ग्रंथि" के नाम से भी जाना जाता है। 
जब पिट्यूटरी ग्रंथि सही से काम नहीं कर पाती है, तो इसका असर उन ग्रंथियों पर भी पड़ता है जिन्हें ये नियंत्रित करती है एवं इसमें थायराइड और एड्रेनालाईन ग्लैंड भी शामिल हैं। इस स्थिति में ये ग्रंथियां अपने हार्मोन नहीं बना पाती हैं। शीहान सिंड्रोम के उपचार में उम्र भर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है।

शीहान सिंड्रोम के लक्षण

कभी-कभी डिलीवरी के ठीक बाद या कुछ महीनों या वर्षों में शीहान सिंड्रोम के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। जिन महिलाओं की पिट्यूटरी ग्रंथि को बहुत कम नुकसान पहुंचा होता है, उनमें कई वर्षों तक लक्षण नहीं दिखते हैं। शीहान सिंड्रोम के निम्न लक्षण हैं: 

शीहान सिंड्रोम के कारण

बच्चे के जन्म के दौरान पिट्यूटरी ग्रंथि में ऑक्सीजन की कमी से शीहान सिंड्रोम होता है। भारत जैसे विकासशील देशों में शीहान सिंड्रोम काफी आम समस्या है। हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य विकसित देशों में  यह एक दुर्लभ बीमारी है क्योंकि वहां पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। शीहान सिंड्रोम ज्यादा खून बहने की वजह से होता है और निम्न कारणों की वजह से डिलीवरी के दौरान ज्यादा खून बह सकता है:

  • गर्भस्थ शिशु को पोषण पहुंचाने वाली गर्भनाल (प्लेसेंटा) को गर्भाशय से अलग करने के दौरान प्लेसेंटा का टूटना
  • जब थोड़ी या पूरी तरह से गर्भनाल गर्भाशय ग्रीवा को ढक लेती है तो प्लेसेंटा प्रिविआ की स्थिति उत्पन्न होती है (गर्भाशय का निचला हिस्सा जो योनि से जोड़ता है)
  • चार किलो से अधिक वजन के शिशु या जुड़वा बच्चों को जन्म देना
  • गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी (प्रीक्लेम्पसिया)

शीहान सिंड्रोम का निदान

डॉक्टर निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट कर सकते हैं:

  • ब्लड टेस्ट: हार्मोन के स्तर की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट किए जा सकते हैं। 
  • एमआरआई या सीटी स्कैन: पिट्यूटरी ग्रंथि के साथ ट्यूमर या अन्य समस्याओं की जांच करने के लिए एमआरआई या सीटी स्कैन किया जा सकता है। 
  • मेडिकल हिस्ट्री: अगर आपको डिलीवरी को लेकर कोई प्रॉब्लम है या पहले बच्चे के दौरान कोई दिक्कत थी तो डॉक्टर को उसके बारे में जरूर बताएं। इसके अलावा, अगर आपको डिलीवरी के बाद स्तनों में दूध या पीरियड्स नहीं आ रहे हैं तो ये भी डॉक्टर को बताएं।

शीहान सिंड्रोम का इलाज

जिन हार्मोन को बॉडी लंबे समय से नहीं बना पा रही थी शीहान सिंड्रोम के इलाज में दवाइयों के जरिए वही हार्मोन दिए जाते हैं। आपको ये दवाएं उम्र भर लेनी पड़ सकती हैं। इसके इलाज में निम्न हार्मोन की जरूरत पड़ती है:

  • कार्टिकोस्टेरॉयड: एड्रेनल हार्मोन के लिए प्रेडनिसोन या हाइड्रोकार्टिसोन।
  • लेवोथाइरोक्सिन: यह दवा थायरॉइड ग्रंथि द्वारा बनने वाले हार्मोन के स्तर को बढ़ाती है। 
  • एस्ट्रोजेन के साथ प्रोजेस्टेरोन: ये महिला हार्मोन मासिक चक्र को सामान्य करने में मदद करते हैं। रजोनिवृत्ति की उम्र तक पहुंचने के बाद आप इन दवाओं को लेना बंद कर सकती हैं।
  • एलएच और एफएसएच: ये हार्मोन ओव्यूलेशन (अंडाषय से अंडा निकलना) को उत्तेजित करते हैं और गर्भधारण होने में मदद कर सकते हैं।
  • ग्रोथ हार्मोन: यह हार्मोन हड्डी के घनत्व को बनाए रखने में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।



पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान पहुंचना (शीहान सिंड्रोम) के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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Dr. Sunil Kumar Mishra Dr. Sunil Kumar Mishra एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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