अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है. नींद में आई कमी कई समस्याओं का कारण बन सकती है. ऐसे में नींद से जुड़ी छोटी से छोटी समस्या पर भी वक्त रहते ध्यान देना जरूरी है. कुछ इसी तरह की समस्या है माइक्रोस्लीप. रात के समय ठीक तरह से नींद न आने पर दिन में इसका किसी भी समय सामना करना पड़ सकता है. पलकों का धीरे-धीरे झपकना या फिर फोकस करने में दिक्कत होना आदि इसके लक्षण हैं. वहीं, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया व नार्कोलेप्सी को इसका मुख्य कारण माना गया है. कारणों के आधार पर ही इसका इलाज भी किया जाता है.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि माइक्रोस्लीप के लक्षण, कारण व इलाज क्या-क्या हैं -

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  1. माइक्रोस्लीप क्या है?
  2. माइक्रोस्लीप के लक्षण
  3. माइक्रोस्लीप के कारण
  4. माइक्रोस्लीप का इलाज
  5. माइक्रोस्लीप से बचाव
  6. सारांश
माइक्रोस्लीप के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

जैसे कि नाम में ही 'माइक्रो' शब्द है और माइक्रो का मतलब होता है 'छोटा'. यहां माइक्रोस्लीप का मतलब है नींद की वो अवधि जो कुछ सेकंड के लिए ही होती है. यह 30 सेकंड तक रह सकता है और हैरान करने वाली बात यह है कि इस बारे में खुद व्यक्ति को भी पता नहीं चल पाता है. यह कभी भी हो सकता है, जैसे - काम करते वक्त, टीवी देखते वक्त या ड्राइविंग के दौरान. गाड़ी चलाते समय ऐसा होना खतरनाक हो सकता है.

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माइक्रोस्लीप को पहचानना मुश्किल हो सकता है. फिर भी कुछ लक्षणों से इसका पता लगाया जा सकता है -

  • किसी बात का जवाब न देना.
  • एक टकटकी से देखते रहना.
  • अपना सिर आगे की ओर झुकाना.
  • शरीर में अचानक झटके महसूस होना.
  • पिछले एक या दो मिनट कुछ याद नहीं कर पाना.
  • पलकों का धीरे-धीरे झपकना.
  • फोकस करने में मुश्किल महसूस होना.

इनके अलावा, कुछ संकेत इस समस्या की गंभीरता के ओर इशारा करते हैं -

  • आंखों को खुला रखने में मुश्किल होना.
  • बार-बार या अधिक जम्हाई लेना.
  • शरीर में झटके महसूस होना.
  • जगे रहने के लिए बार-बार आंखों को झपकाना.

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माइक्रोस्लीप का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि मस्तिष्क के कुछ हिस्से सो जाते हैं, जबकि मस्तिष्क के अन्य हिस्से जागते रहते हैं. इस कारण यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इसके अलावा, कुछ कारक हैं, जो इस स्थिति का जोखिम पैदा कर सकते हैं -

  • नींद पूरी न होना.
  • अनिद्रा के चलते.
  • नाइट शिफ्ट में काम करना.
  • अगर किसी कारण नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो.

इन सबके अलावा, अगर किसी को निम्न प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर है, तो भी यह स्थिति पैदा हो सकती है -

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया

ऊपरी वायुमार्ग में रुकावट के कारण सोते वक्त व्यक्ति का ठीक तरह से सांस न ले पाना. इससे मस्तिष्क को नींद के दौरान पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है, जिस कारण रात को नींद में बाधा होती है. इस कारण दिन में नींद ट्रिगर हो सकती है. इस समस्या को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहा जाता है.

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नार्कोलेप्सी

नार्कोलेप्सी को तंत्रिका तंत्र की समस्या माना जाता है, जो अधिक नींद और दिन के वक्त नींद को ट्रिगर करती है. इसमें दिन के वक्त अधिक थकान होना और नींद आने से जुड़ी समस्याएं हो सकती है.

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पीरियोडिक लिंब मूवमेंट

यह ऐसी स्थिति है, जिसमें नींद के दौरान पैरों और हाथों में ऐंठन, खिंचाव और मरोड़ जैसी समस्या हो सकती है. जिस कारण नींद प्रभावित हो सकती है.

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माइक्रोस्लीप का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है, जो इस प्रकार हैं -

  • अगर माइक्रोस्लीप का कारण अनिद्रा है, तो डॉक्टर अनिद्रा से जुड़ी दवा दे सकते हैं.
  • अगर दिन के वक्त नींद ज्यादा आ रही है, तो डॉक्टर दिन के वक्त एक्टिव रहने के लिए कुछ दवा दे सकते हैं.
  • डॉक्टर लाइफस्टाइल में बदलाव का सुझाव दे सकते हैं, जिससे रात को नींद सही तरीके से आए. जीवनशैली में बदलाव करने के लिए वे सही वक्त पर सोने व उठने का सुझाव दे सकते हैं. सोने से पहले वॉक पर जाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि नींद अच्छी आए. 
  • अगर रात में नींद न आने का कारण स्ट्रेस है, तो डॉक्टर स्ट्रेस को दूर करने की दवाइयां दे सकते हैं.

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कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप माइक्रोस्लीप की स्थिति से बचाव भी कर सकते हैं. यहां हम ऐसे ही कुछ आसान सुझाव दे रहे हैं -

  • जीवनशैली में बदलाव करें जैसे कि सही वक्त पर सोना व उठना.
  • रात में कैफीन युक्त पेय पदार्थ जैसे - चाय और कॉफी के सेवन से बचें.
  • सोने से कम से कम तीन से चार घंटे पहले डिनर करें.
  • हमेशा हल्का डिनर करें.
  • डिनर के बाद वॉक पर जरूर जाएं.
  • रूम का तापमान बैलेंस रखें, न ज्यादा ठंडा न ज्यादा गर्म ताकि नींद अच्छी आए.
  • सुबह व्यायाम या योग करें.
  • मन को शांत रखने के लिए मेडिटेशन यानी ध्यान लगाएं.
  • रात को सोते वक्त अपने पास मोबाइल, टैब जैसे गैजेट न रखें.
  • कमरे में पूरा अंधेरा करके सोएं.
  • कभी-कभी दिन के वक्त पावर नैप यानी कुछ मिनट की झपकी ली जा सकती है.

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जरूरी नहीं कि कभी-कभी दिन के दौरान नींद आना माइक्रोस्लीप की स्थिति हो. कई बार हल्की-फुल्की थकान के कारण दिन के वक्त सुस्ती या नींद आ सकती है. हां, अगर ऐसा लगातार बिना किसी कारण ऐसा हो रहा है और दिनचर्या प्रभावित हो रही है, तो बिना देरी किए इस पर ध्यान देना चाहिए और सही इलाज करवाना चाहिए. यह समस्या किस कारण से हो रही है, उसी के आधार पर इसका इलाज किया जाता है. इसलिए, समय रहते डॉक्टर से मिलना व सही लाइफस्टाइल को फॉलो करना जरूरी है.

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