दिल में छेद (वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट) - Ventricular Septal Defect in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

December 07, 2019

March 06, 2020

दिल में छेद
दिल में छेद

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट क्या है?

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) का मतलब बाएं और दाएं वेंट्रिकल के बीच की दीवार (सेप्टम) में छेद होना है। यह एक सामान्य हृदय रोग है, जो जन्मजात होता है। हृदय के निचले वेंट्रिकल्स को अलग करने वाली दीवार में छेद होता है जिसकी वजह से खून हृदय के बाईं ओर से दाईं ओर जाने लगता है। ऑक्सीजन युक्त खून शरीर के बाकी अंगों में पहुंचने की बजाय फेफड़ों में वापिस चला जाता है, जिससे हृदय को सामान्य से ज्यादा काम करना पड़ता है। यदि छेद हृदय के ऊपरी चैंबर्स या एट्रिया के बीच हो तो इसे एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहा जाता है।

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण बच्चे के जन्म के कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों बाद दिखाई देते हैं। बच्चों में वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष (वीएसडी) के निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:

  • ठीक से भोजन न करना, विकास में दिक्कत आना
  • तेज सांस लेना या सांस फूलना
  • जल्दी थक जाना

हो सकता है कि डॉक्टर को जन्म के समय वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष के कोई लक्षण नजर न आएं। यदि छेद छोटा हो तो हो सकता है कि इसके लक्षण बचपन खत्म होने तक दिखाई न दें। छेद के आकार और इससे संबंधित अन्य हृदय विकारों के आधार पर संकेत और लक्षण हर मरीज में भिन्न हो सकते हैं। 

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए 

निम्न स्थितियों में डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए:

  • बच्चा खाने या खेलने के दौरान आसानी से थक जाता है 
  • उसका वजन नहीं बढ़ रहा है
  • खाते या रोते समय सांस फूल जाती है
  • तेज सांस आना या सांस लेने में तकलीफ होती है

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के कारण

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का कोई स्पष्ट कारण नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। वीएसडी अकेले या इसके साथ कोई अन्य जन्मजात हृदय विकार हो सकता है। 
आमतौर पर, हृदय का दाहिना हिस्सा ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए फेफड़ों में खून को पंप करता है। इस दौरान वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट ऑक्सीजन युक्त खून को ऑक्सीजन रहित खून के साथ मिला देता है, जिससे हृदय को शरीर के ऊतकों तक पर्याप्त ऑक्सीजन भेजने के लिए सामान्य से ज्यादा काम करना पड़ता है।
दिल का दौरा पड़ने या कोई हार्ट सर्जरी करवाने की वजह से भी अधेड़ उम्र में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट हो सकता है। 

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का इलाज

कई शिशु छोटे वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के साथ पैदा होते हैं। इन्हें सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का नीचे बताए गए तरीकों से इलाज किया जा सकता है:

  • दवाइयां: वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के लिए निम्नलिखित दवाइयां दी जा सकती हैं।
    • वासोडिलेटर: रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और बाएं वेंट्रिकल को रिलैक्स करने के लिए ये दवा दी जा सकती है। 
    • डिगॉक्सिन (लैनॉक्सिन): ये दवा खून के अधिक दबाव को संभालने के लिए हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करती है।
       
  • सर्जरी: गंभीर वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट में बच्चे के बढ़ने के साथ छेद अपने आप बंद नहीं हो पाता है, इस स्थिति में हार्ट सर्जरी की जरूरत पड़ती है। 
    • बच्चे के प्री-स्कूल (करीब 2 से 4 साल की उम्र) जाना शुरू करने से पहले सर्जरी की जाती है।
    • अगर दवा लेने के शुरूआती महीनों या सालों में दवा असर नहीं कर पा रही है तो सर्जरी करनी पड़ती है, खासतौर पर अगर दवा लेने पर भी बच्चे का सही से विकास न हो पा रहा हो।