हेमोलिटिक एनीमिया - Hemolytic Anemia in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

October 21, 2020

June 15, 2023

हेमोलिटिक एनीमिया
हेमोलिटिक एनीमिया

पूरे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में लाल रक्त कोशिकाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये कोशिकाएं फेफड़े से ऑक्सीजन लेकर हृदय और शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाती हैं। बोन मैरो द्वारा इन रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है। यदि किसी के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा सामान्य से कम हो जाए तो वह एनीमिया का शिकार हो जाता है। इस स्थिति में आपके सभी ऊतकों और अंगों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। पर्याप्त ऑक्सीजन के अभाव में शरीर उस स्तर से काम करने में अक्षम हो जाता है, जैसा उसे करना चाहिए।

जब लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन की तुलना में इनकी क्षति अधिक होने लगती है तो यह हेमोलिटिक एनीमिया का रूप ले लेती है। हमारा शरीर आमतौर पर हेमोलिसिस नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से पुरानी या दोषपूर्ण लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता र​हता है। हेमोलिटिक एनीमिया तब होता है जब शरीर में बहुत अधिक हेमोलिसिस के कारण लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है।

इस लेख में हम हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

हेमोलिटिक एनीमिया के प्रकार - Types of Hemolytic Anemia in Hindi

हेमोलिटिक एनीमिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। पहला इनहेरेटेड, यानी कि आनुवंशिक या माता-पिता से मिली हुई स्थिति और दूसरा अक्वायर्ड यानी बाद में होने वाली स्थिति।

आनुवंशिक स्थिति

हेमोलिटिक एनीमिया की आनुवंशिक स्थिति में माता-पिता से मिलने वाले जीन के माध्यम से बच्चों को यह स्थिति हो सकती है। इस प्रकार के एनीमिया के दो कारण होते हैं- सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया। ये दोनों स्थितियों में ऐसी लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन होता है जो सामान्य की तुलना में लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाती हैं।

अक्वायर्ड

इस प्रकार के एनीमिया में आपका जन्म इस स्थिति के साथ नहीं होता है पर यह बाद में विकसित हो सकती है। इसमें शरीर सामान्य रूप से लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण तो करता है, लेकिन वे बाद में नष्ट हो जाती हैं। इसके निम्न कारण हो सकते हैं।

कुछ प्रकार के अक्वायर्ड हेमोलिटिक एनीमिया अल्पकालिक (अस्थायी) होते हैं और कुछ महीनों में स्वत: ही ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ का असर आजीवन हो सकता है। यह ठीक होने के बाद दोबारा हो सकता है।

हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण - Hemolytic Anemia symptoms in Hindi

हेमोलिटिक एनीमिया कई कारणों से हो सकता है, इसीलिए हर व्यक्ति में इसके अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, कुछ लक्षण ऐसे हैं जो ज्यादातर मामलों में देखे जाते हैं। हेमोलिटिक एनीमिया के कुछ लक्षण, एनीमिया के अन्य रूपों की तरह ही होते हैं।

यहां पर ध्यान रखने की आवश्यकता है कि हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण रक्त से संबंधित अन्य बीमारियों की तरह ही दिखते हैं। ऐसे में पुष्टि के लिए शीघ्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

हेमोलिटिक एनीमिया का कारण - Hemolytic Anemia causes in Hindi

कई बार डॉक्टरों के लिए हेमोलिटिक एनीमिया के कारणों का पता कर पाना काफी कठिन हो जाता है। हालांकि, कई तरह की दवाइयों अथवा कुछ बीमारियों के कारण भी हेमोलिटिक एनीमिया की समस्या हो सकती है। इनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं।

इन विकारों के अलावा कुछ प्रकार की दवाइयों के कारण भी हेमोलिटिक एनीमिया की समस्या हो सकती है। इसे दवाओं के कारण होने वाला हेमोलिटिक एनीमिया कहा जाता है। इसके अलावा गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़वाने के कारण भी कुछ लोगों को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

प्रत्येक व्यक्ति का ब्लड ग्रुप (ए, बी, एबी या ओ) अलग-अलग होता है। यदि आप किसी अलग ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से खून लेते हैं तो शरीर की एंटीबॉडी, उन लाल रक्त कोशिकाओं को बाहरी मानकर हमला कर देती हैं। इसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं बहुत तेजी से नष्ट होने लगती हैं जो घातक हो सकता है। यही कारण है कि खून चढ़ाने से पहले रक्त प्रदाता के ब्लड ग्रुप की जांच की जाती है।

हेमोलिटिक एनीमिया का निदान -Diagnosis of Hemolytic Anemia in Hindi

व्यक्ति के लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक परीक्षण के आधार पर डॉक्टर हेमोलिटिक एनीमिया का निदान करते हैं। रोग की पुष्टि के लिए कुछ विशेष प्रकार के परीक्षणों की भी सलाह दी जा सकती है।

पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी): रक्त के अलग-अलग हिस्सों के बारे में जानने के लिए सीबीसी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। यदि सीबीसी परीक्षण से पता चलता है कि आपको एनीमिया है, तो डॉक्टर एनीमिया के प्रकार की पुष्टि के लिए अन्य प्रकार के खून की जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।

यूरिन टेस्ट: हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं में एक प्रकार के प्रोटीन) और आयरन की मात्रा की जांच करने के लिए यूरिन टेस्ट की सलाह दी जाती है।

बोन मैरो टेस्ट : इसमें बोन मैरो द्रव या बोन मैरो के ऊतकों (बायोप्सी) के सैंपल की जांच की जाती है। सैंपल आमतौर पर कूल्हे की हड्डियों से लिए जाते हैं। इस परीक्षण के माध्यम से रक्त कोशिकाओं या असामान्य कोशिकाओं की संख्या, आकार और स्तर की जांच की जाती है।

हेमोलिटिक एनीमिया का इलाज - Treatment of Hemolytic Anemia in Hindi

हेमोलिटिक एनीमिया का इलाज, रोगी में एनीमिया के कारण, स्थिति की गंभीरता, उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कई स्थितियों पर निर्भर करता है। सामान्य रूप से हेमोलिटिक एनीमिया के लिए निम्न चार उपायों को प्रयोग में लाया जाता है।

लाल रक्त कोशिकाएं चढ़ाना

शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ाने के लिए कई मरीजों को खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। इससे नष्ट हो चुकी लाल रक्त कोशिकाएं नई रक्त कोशिकाओं में बदलने लगती हैं।

आईवीआईजी

यदि प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण रोगी को हेमोलिटिक एनीमिया की समस्या है तो उसे इम्युनोग्लोबुलिन दिया जा सकता है।

कॉर्टिकोस्टेरॉइड

कुछ प्रकार के हेमोलिटिक एनीमिया की स्थिति में रोगी को कॉर्टिकोस्टेरॉइड दिया जा सकता है। ये प्रतिरक्षा प्रणाली के प्रभाव को रोक देता है, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

सर्जरी

गंभीर मामलों में स्प्लीन को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। स्प्लीन पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है। इसे हटाने से लाल रक्त कोशिकाओं को तेजी से नष्ट होने से रोका जा सकता है।



हेमोलिटिक एनीमिया के डॉक्टर

Dr. Srikanth M Dr. Srikanth M रक्तशास्त्र
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