नाखून पीला होना - Yellow Nail syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

October 08, 2020

December 18, 2023

नाखून पीला होना
नाखून पीला होना

येलो नेल सिंड्रोम या नाखून पीला होना एक दुर्लभ स्थिति है जो हाथ और पैर के नाखूनों को प्रभावित करती है। जिन लोगों में यह समस्या होती है, उनके शरीर के निचले हिस्सों में सूजन के साथ श्वसन संबंधी समस्याएं और लसीका प्रणाली की समस्याएं हो सकती हैं।

यह सूजन त्वचा के अंदर लसीका (लिम्फ) बनने के कारण होती है। लसीका एक रंगहीन तरल पदार्थ है, जो पूरे शरीर में घूमता है और इसे साफ करने में मदद करता है। येलो नेल सिंड्रोम से कोई भी व्यक्ति ग्रस्त हो सकता है, लेकिन आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होता है।

(और पढ़ें - नाखूनों की देखभाल के लिए टिप्स)

नाखून पीला होना के लक्षण - Yellow Nail Syndrome Symptoms in Hindi

येलो नेल सिंड्रोम तब होता है जब नाखून धीरे-धीरे पीले और मोटे होने लगते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं :

  • नाखून को कवर करने वाली सुरक्षात्मक त्वचा की कमी
  • नाखून जिसकी बनावट घुमावदार हो
  • नाखून जो बढ़ना बंद कर देते हैं
  • नाखून न होना
  • येलो नेल सिंड्रोम की वजह से कभी-कभी नाखूनों के नरम ऊतक के आसपास संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

अक्सर येलो नेल सिंड्रोम के साथ द्रव संचय की समस्या हो जाती है। ऐसे में मेंब्रेन (एक पतली परत जो एक जीवित कोशिका की बाहरी सीमा बनाती है) के बीच तरल पदार्थ विकसित होने लगता है जो फेफड़ों के आसपास मौजूद होता है, इस स्थिति को 'प्लेयरल एफ्यूजन' कहा जाता है। यह कई श्वसन समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे :

नाखूनों का रंग और आकार बदलना शुरू होने के पहले या बाद में श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

येलो नेल सिंड्रोम का कारण - Yellow Nail Syndrome Causes in Hindi

येलो नेल सिंड्रोम का सटीक कारण अज्ञात है। ज्यादातर मामलों में यह स्थिति बिना किसी स्पष्ट कारण के शुरू हो सकती है। फिर भी दुर्लभ मामलों में, यह माना जाता है कि यह बीमारी परिवार के सदस्यों में पाई जाती है। एफओएक्ससी2 (FOXC2) नामक जीन में गड़बड़ी होने से लिम्फेडेमा-डिस्टिचियासिस सिंड्रोम नामक विकार होता है जो कि येलो नेल सिंड्रोम को ट्रिगर करने में अहम भूमिका निभा सकता है। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान में मौजूदा रिपोर्ट से पता चलता है कि येलो नेल सिंड्रोम के लिए कोई ज्ञात आनुवंशिक कारक नहीं है।

(और पढ़ें - नाखून अंदर की ओर बढ़ने के कारण)

येलो नेल सिंड्रोम का निदान - Yellow Nail Syndrome Diagnosis in Hindi

यदि आपके नाखून के रंग या आकार में बदलाव है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, खासकर अगर आपके नाखून पीले हो गए हो गए हों। पीले नाखून लिवर या किडनी में किसी समस्या या डायबिटीज मेलेटस, फंगल संक्रमण या सोरायसिस का संकेत दे सकते हैं, जिसका इलाज डॉक्टर द्वारा किया जाना चाहिए।

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यदि सूजन या सांस की समस्याओं के साथ पीले नाखून की समस्या होती है, तो ऐसे में डॉक्टर को दिखाएं।

यदि किसी व्यक्ति में येलो नेल के शुरुआती लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर आसानी से येलो नेल सिंड्रोम का निदान कर सकते हैं। डॉक्टर 'पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट' का सुझाव भी दे सकते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं। इसके अलावा वे फंगस की जांच के लिए नाखून का एक नमूना ले सकते हैं।

(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन का होम्योपैथिक दवा)

येलो नेल सिंड्रोम का इलाज - Yellow Nail Syndrome Treatment in Hindi

प्रत्येक व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री और व्यक्तिगत लक्षणों के आधार पर उपचार निर्धारित किए जा सकते हैं। कुछ उपचार विकल्पों में शामिल हैं :

  • विटामिन ई के साथ एंटीफंगल दवा, जैसे कि फ्लुकोनेजोल : एक जर्नल रिव्यू के अनुसार, नाखून से संबंधित लक्षणों को ठीक करने में विटामिन ई सबसे प्रभावी पाया गया है।
  • श्वसन संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स : जिन लोगों को क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, साइनस इंफेक्शन या खांसी है, उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं से फायदा हो सकता है।
  • प्लेयरल एफ्यूजन के लिए सर्जरी : इसमें लक्षणों से राहत देने के लिए अतिरिक्त द्रव को निकालना शामिल है।

(और पढ़ें - नाखून की त्वचा में इन्फेक्शन)

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