'पुशिंग 'और 'पुलिंग' व्यायाम की दो ऐसी तकनीक हैं, जिनसे शरीर की विभिन्न मांसपेशियों को लक्षित करके उनका व्यायाम किया जाता है। पुशिंग के ज्यादातर व्यायामों का प्रभाव शरीर के सामने की मांसपेशियों जैसे छाती, कंधों के साथ-साथ ट्राइसेप्स पर होता है। वहीं दूसरी ओर पुलिंग से संबंधित सभी व्यायाम शरीर के पिछले हिस्सों को विकसित करते हैं। इसमें पीछे की सभी मांसपेशियों के साथ-साथ बाइसेप्स भी शामिल होते हैं। चूंकि, शरीर के पीछे की मांसपेशियां हमें दिखाई नहीं देती हैं ऐसे में ज्यादातर लोग इन व्यायामों को नजरअंदाज कर देते है। हालांकि, यहां ध्यान देना जरूरी है कि इस तरह के व्यायाम शरीर के समग्र विकास के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। एक अन्य दृष्टिकोण से देखें तो अगर आपके पीठ की मांसपेशियां विकसित और सुडौल हैं तो आपके कपड़ों की फिटिंग अच्छी आती है, जिसका प्रभाव आपके व्यक्तित्व पर पड़ता है।

पीठ की मांसपेशियों को बेहतर आकार देने और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने का एक ऐसा ही व्यायाम है- बेंट-ओवर रो व्यायाम। नियमित रूप और सही तकनीक के साथ इस व्यायाम को करने से पीठ को 'वी आकार' दिया जा सकता है, जिसकी चाहत हर एथलीट को होती है। पीठ की मांसपेशियां आपके हाथों को ठीक से कार्य करने में भी मदद करती हैं। रीढ़ के दोनों ओर की विंग मांसपेशियों का उपयोग करते हुए हाथों को फैलाने, किसी चीज को उठाने या खींचने में मदद मिलती है।

इस अभ्यास के दौरान शरीर को स्थिर रखते हुए पीठ और बाजुओं को प्रयोग में लाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि आप पुलिंग और पुशिंग दोनों ही व्यायामों को एक समान मात्रा में करें, जिससे शरीर के आगे और पीछे की मांसपेशियों में संतुलन बना रहे।

  1. बेंट ओवर रो एक्सरसाइज के फायदे - Bent over row Exercise ke Benefits
  2. बेंट ओवर रो एक्सरसाइज करने का सही तरीका - Bent over row Exercise ka sahi tareeka
  3. बेंट ओवर रो एक्सरसाइज के दौरान होने वाली गलतियां - Bent over row Exercise ke Common error and precautions

बेंट-ओवर रो जैसे अभ्यास से पीठ और कंधों से संबंधित अधिकतर मांसपेशियों के समूहों का व्यायाम हो जाता है। ऊपर की ओर वजन उठाने वाले व्यायामों से आपकी बाहों और धड़ को मजबूती मिलती है, जिससे कार्यात्मक शक्ति में सुधार आता है। इस अभ्यास को करने के लिए बारबेल या डम्बल दोनों का इस्तेमाल किया जा सकता है। बेंट-ओवर रो अभ्यास करने से निम्नलिखित फायदे होते हैं।

  • शरीर के ऊपरी हिस्से को शक्ति मिलती है।
  • पुल-अप और लैट पुलडाउन वर्कआउट करना आसान होता है।
  • शारीरिक स्थिरता और हाथों की ग्रिप अच्छी बनती है।
  • शारीरिक मुद्रा में सुधार होता है, इसके साथ पीठ दर्द जैसी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
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इस अभ्यास के लिए आपको ऐसी स्थिति बनानी होती है, जहां आपकी पीठ जमीन के लगभग समानान्तर स्थिति में हो। व्यायाम के दौरान लगने वाली चोट से बचने के लिए सबसे पहले वार्मअप और पीठ के लिए किए जाने वाले हल्के व्यायाम कर लें। चेस्ट एक्सपेंशन, पुल-अप, चिन-अप, पुश-अप और आर्म रोटेशन जैसे कुछ ऐसे व्यायाम हैं जो पीठ की मांसपेशियों को सक्रिय करने और उनकी स्ट्रेचिंग में काफी फायदेमंद होते हैं।

किन मांसपेशियों पर होता है असर

  • पीठ
  • कंधे

किन उपकरणों की होती है आवश्यकता

एक बारबेल या एक जोड़ी डम्बल/केटलबेल्स

कौन कर सकता है यह व्यायाम

इंटरमीडिएट (प्रशिक्षु स्तर के लोग)

सेट और रैप

15 रैप के 3 सेट

एक हाथ से डंबल रो व्यायाम करने का तरीका

  • अपने बाएं पैर को बेंच पर रखते हुए बाएं हाथ से आगे की ओर बेंच को मजबूती से पकड़ें। पीठ को सीधा रखें।
  • आपके दाहिने पैर को जमीन पर स्थिर अवस्था में मजबूती से टिकाए रखें।
  • अपने दाहिने हाथ को आगे की ओर ले जाते हुए डंबल को पकड़ें। हाथ को सीधा रखें।
  • पीठ को बिल्कुल सीधा रखते हुए अपने दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर पीछे की ओर लेकर आएं।
  • कोहनी को शरीर से सटाते हुए पीछे की ओर लेकर जाएं। कुछ सेकेंड के लिए रुकें।
  • डम्बल को धीरे-धीरे वापस प्रारंभिक स्थिति में लाएं। यह एक रैप है।

अपनी वर्कआउट क्षमता को बढ़ाने के लिए बेंट-ओवर रो के उच्च तीव्रता वाले विविध व्यायामों का अभ्यास करें।

डबल आर्म डंबल रो : इस अभ्यास में दोनों हाथों में डम्बल को पकड़ें और 'एक हाथ से डंबल रो' वाले व्यायाम को दोहराएं। इस व्यायाम के लिए आपको बेंच के उपयोग की आवश्यकता नहीं है।

बारबेल रो : अपनी सुविधा के अनुसार बारबेल को ओवरहैंड या अंडरहैंड ग्रिप के साथ पकड़ें। अब बारबेल को ऊपर की ओर शरीर के मध्य भाग तक लेकर आएं।

मशीन रो : यह मशीन अमूमन हर जिम और फिटनेस सेंटर में मौजूद होती है। मशीन के साथ इस व्यायाम के दौरान अपने धड़ को सीट पर टिकाएं। दोनों हाथों में हैंडल को पकड़ें और फिर वजन को अपनी ओर खींचें और धीरे-धीरे इसे वापस छोड़ें।

टिप्स : वजन उठाने के लिए अपने हाथों पर दबाव न डालें। इसके बजाय, व्यायाम का अधिकतम लाभ उठाने के लिए अपने लैट्स (फेफड़े के पिछले हिस्से) का उपयोग करें।

बेंट ओवर रो जैसे व्यायामों को करना और उनमें महारत हासिल करना आसान नहीं होता है। जाने अनजाने लोगों से इस अभ्यास के दौरान कई सारी गलतियां हो जाती हैं। बेंट ओवर रो व्यायाम के दौरान आम तौर पर होने वाली गलतियां निम्नलिखित हैं। इनका आपको ध्यान रखना चाहिए।

  • बात करें अगर एक हाथ से किए जाने वाले इस व्यायाम की, तो इस दौरान शरीर का एक हिस्सा झुका होता है, जबकि दूसरे हिस्से से व्यायाम हो रहा होता है। व्यायाम के दौरान कुछ लोग अपनी कोहनी को पीठ के काफी पीछे तक लिए जाते हैं। यहां ध्यान देने की जरूरत है कि आपको पीठ के पास तक ही अपनी कोहनी को लेकर जाना है, ज्यादा पीछे नहीं।
  • डंबल को पीछे की ओर लाते वक्त कुछ लोग अतिरिक्त गति का प्रयोग करते हुए हाथ से डंबल को लहराते हैं, इससे चोट भी लग सकती है। शरीर जितना स्थिर रहेगा, उतना ही मांसपेशियों पर व्यायाम का असर पड़ेगा।
  • इस व्यायाम के दौरान आपके पैरों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसलिए अपने पैरों को पूरे व्यायाम के दौरान स्थिर रखें। कुछ लोग अभ्यास करते समय पीठ दर्द की शिकायत कर सकते हैं। यही कारण है कि पीठ को अच्छे आकार और उसकी मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए उच्च तीव्रता वाले व्यायामों को करना आवश्यक होता है। इस तरह के व्यायामों को हमेशा किसी प्रशिक्षक की देखरेख में किया जाना चाहिए।
  • जिन लोगों को पहले से ही पीठ या कंधे में दर्द की शिकायत होती है उन्हें इस व्यायाम को न करने की सलाह दी जाती है। कोई भी व्यायाम करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।

निष्कर्ष :

बेंट ओवर रो जैसे व्यायाम पीठ की मांसपेशियों को विकसित करने के साथ शरीर के आगे और पीछे की मांसपेशियों में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। केवल पुल-अप या लैट पुलडाउन से ही पीठ की सभी मांसपेशियों का विकास नहीं हो सकता है। विभिन्न मांसपेशियों के समूहों को लक्षित करने के लिए अलग-अलग कोणों के व्यायाम की आवश्यकता होती है।

व्यायाम के दौरान पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। किसी प्रशिक्षक की निगरानी में ही व्यायाम करें। जिन लोगों को पहले से पीठ या कंधे में दर्द की शिकायत हो, ऐसे लोग इस व्यायाम को बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।

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