स्वस्थ शरीर के लिए व्यायाम की क्या उपयोगिता है यह अब बताने का विषय नहीं रहा है। सभी आयुवर्ग के लोगों में व्यायाम को लेकर जागरुकता देखी जा सकती है। लोगों में व्यायाम को लेकर जैसे-जैसे रुचि बढ़ती गई, उसी के सापेक्ष मशीनरी उपकरणों के व्यायाम भी लोगों की पसंद बनते गए। जिमों में मशीनों से होने वाले व्यायामों का चलन जरूर बढ़ा है ,​लेकिन अपेक्षाकृत पारंपरिक व्यायाम अब भी काफी कारगर और प्रभावी माने जाते हैं। दुनियाभर में योग इसका जीवित प्रमाण है। पश्चिमी देशों में इसके चलन के बढ़ने के साथ भारत में भी योग को बड़े स्तर पर प्रयोग में लाया जा रहा है।

भारत में सदियों से व्यायाम और योग का चलन रहा है। युगों से ही भारत में योग, ध्यान योग, कुश्ती और अन्य व्यायामों को प्रयोग में लाया जा रहा है। मिट्टी में होने वाली पहलवानी हो या कबड्डी पूरी दुनिया में भारत की चर्चा रही है। गामा या दारा सिंह जैसे पहलवानों को इतिहास हमेशा याद करता रहेगा।

अतीत के जिन व्यायामों को हम भूलते जा रहे थे, अब इंटरनेट और दुनियाभर के फिटनेस विशेषज्ञ उसे दोबारा प्रयोग में लाने की सलाह दे रहे हैं। इन्हीं पुराने और प्रभावी व्यायामों में से एक व्यायाम जो हमेशा से लोकप्रिय रहा है वह है उठक-बैठक जिसे हिंदू स्क्वाट के रूप में भी जाना जाता है।

दुनियाभर में इस व्यायाम को शामिल किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उठक-बैठक व्यायाम से जोड़ों और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। शरीर के कई अंगों को एक साथ ही स​क्रिय करने में यह सबसे प्रभावी व्यायाम शैली के रूप में जाना जाता है।

  1. हिंदू स्क्वाट्स और पारंपरिक स्क्वाट्स में क्या अंतर है? - Hindu squats aur conventional squats me kya antar hai?
  2. उठक-बैठक (हिंदू स्क्वाट) व्यायाम के लाभ - uthak baithak exercise ke fayde
  3. उठक-बैठक व्यायाम का सही तरीका क्या है? - Uthak baithak exercise ka sahi tareeka kya hai?
  4. हिंदू स्क्वाट दौरान क्या सावधानियां जरूरी हैं - Hindu squats exercise ke dauraan Precautions
  5. उठक-बैठक के वैकल्पिक अभ्यास - Uthak Baithak ke Alternative exercises
  6. हिंदू स्क्वाट्स व्यायाम के दौरान सावधानियां और सुझाव - Hindu squats ke dauraan kya savdhaniya rakhi jaye

उठक-बैठक और पारंपरिक स्क्वाट्स में कोई खास अंतर नहीं है। हालांकि, उठक-बैठक तुलनात्मक दुष्टि से अधिक प्रभावी माने जाते हैं। पारंपरिक रूप में जिमों में किए जाने वाले स्क्वाट में जटिल तकनीक शामिल नहीं होती है और जिन लोगों के घुटनों में कोई समस्या नहीं है वह इस व्यायाम को आसानी से कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर हिंदू स्क्वाट की तकनीक थोड़ी जटिल होती है इसलिए आमतौर पर पहलवान उठक-बैठक व्यायाम करते हुए ज्यादा नजर आते हैं। दोनों व्यायामों के बीच क्या अंतर है, उसे निम्न तीन बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है।

  • उठक-बैठक के दौरान पैरों की दशा जहां सटी हुई होती है वहीं स्क्वाट में पैर थोड़े खुले हुए स्थिति में होते हैं।
  • पारंपरिक रूप से किए जाने वाले स्क्वाट में हाथों का विशेष प्रयोग नहीं होता है वहीं उठक-बैठक के दौरान हाथों का उपयोग कर कंधों का व्यायाम भी किया जाता है।
  • हिंदू स्क्वाट के विपरीत सभी स्क्वाट के व्यायाम धीमी गति से किए जाते हैं।
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उठक-बैठक व्यायाम के प्रभावशीलता को देखते हुए बड़ी संख्या में लोगों ने इस व्यायाम को अपने दैनिक अभ्यासों की सूची में शामिल किया है। इस व्यायाम को सही तरीके से करने से आपको निम्न लिखित लाभ मिलते हैं।

  • पारंपरिक रूप से किए जाने वाले स्क्वाट के कुछ व्यायामों से अलग उठक-बैठक व्यायाम के दौरान आपको किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए वेट स्क्वाट व्यायाम के लिए आपको एक बारबेल की जरूरत होती है। आमतौर पर उठक-बैठक व्यायाम को पहलवान नंगे पैर करना पसंद करते हैं। इस एक व्यायाम के माध्यम से हैमस्ट्रिंग, पैरों की पिंडलियों, क्वाड्रिसेप्स के साथ-साथ कंधों को भी सक्रिय किया जा सकता है।
  • जिम जाने वाले ज्यादातर लोग अपने वजन को कम करना चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए उठक-बैठक बहुत उपयोगी व्यायाम हो सकता है। किसी व्यायाम में जितनी अधिक शक्ति लगती है उसका मतलब ​है उसमें शरीर की अधिक ऊर्जा लग रही है। परिणामस्वरूप कार्बोहाइड्रेट और वसा को कम करने में आपको मदद मिलती है, जिससे आपका वजन कम होता है।
  • शरीर के निचले हिस्से के लिए यह सबसे बेहतरीन व्यायामों में से एक है। इस व्यायाम से पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण बढ़ाता है। स्क्वाट के अन्य रूपों की तरह उठक-बैठक के दौरान भी पैरों की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, जिससे टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होती है, इस कारण से मांसपेशियों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। रक्त परिसंचरण सही होने से हृदय संबंधी बीमारियां जैसे दिल के दौरे आदि का खतरा कम हो जाता है।
  • हिंदू स्क्वाट व्यायाम के लिए अधिक समन्वय और संतुलन की आवश्यकता होती है। एक बार जब आप सही रूप से इसे करने लगते हैं तो बाद में आराम किए बिना कई रैप करने में कोई कठिनाई नहीं आती है। शरीर को स्थिरता और संतुलन देने में भी यह व्यायाम काफी फायदेमंद होता है।
  • प्रशिक्षक आमतौर पर आपको सलाह देते हैं कि स्क्वाट के दौरान नीचे जाते समय अपने घुटनों को अपने पैरों के समानांतर रखें, ताकि घुटनों को किसी भी प्रकार की चोटों से बचाया जा सके। हालांकि, हिंदू स्क्वाट के दौरान घुटनों को पैर की अंगुली की रेखा के सीध में लाने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से घुटनों को मजबूती मिलती है। उठक-बैठक के हर रैप के साथ आपके जोड़ों और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है।

पारंपरिक स्क्वाट्स की तुलना में यह व्यायाम काफी उन्नत है। हिंदू स्क्वाट्स व्यायाम करने के लिए सबसे पहले इसकी बुनियादी तकनीक को जान लेना बहुत जरूरी होता है, जिससे किसी प्रकार से चोट का कोई कारण न रह जाए। व्यायाम करने की सही विधि जानने के लिए पहलवानों और विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए।

किन मांसपेशियों पर होता है प्रभाव

  • नितंबों की मांसपेशियां
  • जांघों की मांसपेशियां
  • क्वाड्रिसेप्स
  • एब्स की मांसपेशियां
  • कंधे

कौन कर सकता है यह व्यायाम

परिपक्व

किन उपकरणों की होती है आवश्यकता

इस व्यायाम में किसी भी उपकरण की आवश्यकता नहीं होता है।

सेट और रैप

3 सेट और 20 रैप

कैसे करें व्यायाम

  • दोनों पैरों को सटा कर खड़े हो जाएं। स्क्वाट की तरह ही इसमें भी अब बैठने की कोशिश करें।
  • पैरों की तुलना में घुटनों को चौड़ा किया जा सकता है। जब आप नीचे की ओर आएं तो अपनी बाहों को भी नीचे की ओर ही रखें।
  • अब अपने पैर की उंगलियों की सहायता से ऊपर उठने का प्रयास करें और फिर से प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं। यह एक रैप है।
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  • चूंकि व्यायाम का प्रभाव और ऊर्जा काफी अधिक होती है ऐसे में घुटनों में काफी तनाव आता है, जिससे चोट लगने का डर रहता है। ऐस में चोटों से बचने के लिए शुरुआत में धीरे-धीरे अभ्यास करने की कोशिश करें।
  • डीप स्क्वाट व्यायाम की तरह, इसमें भी पीठ पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि शरीर को पूरी तरह से नीचे की ओर न लाएं। सबसे पहले हल्के व्यायाम से अपनी पीठ को मजबूत करने की कोशिश करें और फिर हिंदू स्क्वाट व्यायाम को पूरी गति से करने का प्रयास करें।
  • इस व्यायाम में पैरों और हाथों के बीच समन्वय की आवश्यकता होती है। जमीन पर पहुंचने पर पैर कैसे उठते हैं, इसे अच्छी तरह से समझ लें फिर व्यायाम करें। वरना मांसपेशियों में खिंचाव आने का डर होता है।
  • ऊपर उठते वक्त अपने एब्स पर जोर दें, जिससे बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकें।
  • यदि आपको पहले से ही रोटेटर कफ जैसी कोई परेशानी है या आप इस अभ्यास को करते समय अपने कंधे में दर्द या असुविधा महसूस करते हैं, तो व्यायाम के दौरान हाथों के प्रयोग से बचें। ज्यादा गति के साथ अपनी बाहों को स्विंग करने की कोशिश न करें।

हर व्यायाम के विकल्प और इसकी वैकल्पिक विविधताएं होती हैं जो शरीर पर समान रूप से प्रभाव डालती हैं। हिंदू स्क्वाट के विकल्प के रूप में इन व्यायामों को किया जा सकता है। जो समान रूप से प्रभावी होते हैं।

  • ओवर-हेड स्क्वाट्स
  • थ्रस्टर
  • हैमस्ट्रिंग कर्ल
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हिंदू स्क्वाट्स व्यायाम के साथ अगर हिंदू पुश-अप्स भी किया जाता है तो यह शरीर की लगभग सभी मांसपेशियों को लक्षित करने वाला व्यायाम होता है। हालांकि, इस तरह के जटिल व्यायामों के लिए अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है। ऐसे में इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि व्यायाम के दौरान आप प्रशिक्षकों की निगरानी में रहें, जिससे कोई चोट या खिंचाव जैसी समस्याओं की आशंका न बने। स्क्वाट्स के विभिन्न व्यायामों के साथ अन्य दूसरे व्यायाम करने से अधिक लाभ मिलता है।

हिंदू स्क्वाट्स के दौरान ध्यान रखें कि शुरुआत में व्यायाम की गति बहुत अधिक न हो, इसे धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है। शुरुआत में ही काफी तेज गति से करने से चोट लगने का डर बना रहता है।

संदर्भ

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