आप मोबाइल फोन तो चलाते ही होंगे, अगर हां, तो कुछ हद तक आप बड़ी आसानी से टॉप-अप प्लान को समझ पाएंगे। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आपने अपने मोबाइल नंबर पर 100 रुपये का बैलेंस रिचार्ज कराया है, जिसमें आपको 85 रुपये मिले हैं और इस रिचार्ज की अवधि 30 दिन है। अब अगर आपने 30 दिनों के अंदर ही रिचार्ज में मिले पूरे 85 रुपये खत्म कर दिए हैं, तो इसका मतलब हुआ कि आपने रिचार्ज की सीमा का पूरा लाभ उठा लिया है पर अब आगे क्या होगा?

ऐसी स्थिति में आप दोबारा से रिचार्ज भी करा सकते हैं और टॉप-अप प्लान भी ले सकते हैं, जिसमें पहले से मौजूद प्लान में अतिरिक्त बैलेंस आ जाता है। ठीक इसी तरह टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान होता है, जिसमें हेल्थ इंश्योरेंस की राशि का पूरा लाभ उठाने के बाद आप अतिरिक्त राशि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

  1. टॉप अप हेल्थ इन्शुरन्स क्या है? - What is Top Up Health Insurance in Hindi
  2. टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान लेते समय सावधानी - Caution when choosing a Top-Up Health Insurance plan in Hindi
  3. टॉपअप हेल्थ इन्शुरन्स में क्लेम कैसे करें - How to claim in Top-Up Health Insurance in Hindi
  4. टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स की अन्य विशेषताएं - Other Features of Top-up Health Insurance in Hindi
  5. टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान की विशेषताएं - Features of Top-Up Insurance Plan in Hindi
  6. टॉप-अप प्लान किसे खरीदना चाहिए - Who should buy a Top-Up Insurance Plan in Hindi

टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान एक तरह से ऐड-ऑन सर्विस है, जो मेडिकल इमर्जेंसी के समय आपको व आपके परिवार को एक्ट्रा सिक्योरिटी देती है।

यह काम कैसे करता है- मान लीजिए आपने myUpchar बीमा प्लस हेल्थ इन्शुरन्स लिया है, जिसके तहत आपने 3 लाख की बीमाधन (सम-इनश्योर्ड) लिया है। अब अगर आपके सामने कोई मेडिकल कंडीशन या इमर्जेंसी पड़ जाती है और खर्चे आपके मौजदूा हेल्थ इन्शुरन्स प्लान से ज्यादा हो जाते हैं, तो ऐसे में टॉप-अप प्लान आपकी मदद कर सकता है। यहां टॉप-अप का मतलब मौजूदा ​सर्विस में सुविधाओं को जोड़ने से है।

उदाहरण से समझिए - मान लीजिए शुरू में आपने तीन लाख का हेल्थ इन्शुरन्स लिया है, मगर बढ़ती उम्र व स्वास्थ से जुड़ी सुविधाओं की बढ़ती लागत को देखते हुए आपको यह एहसास होने लगा है कि आपका हेल्थ इन्शुरन्स प्लान भविष्य में मेडिकल इमर्जेंसी जैसी स्थिति के लिए पर्याप्त नहीं होगा। तो ऐसे में आपके या लोगों के मन में अक्सर अलग से हेल्थ पॉलिसी लेने या अपने मौजूदा हेल्थ प्लान को अपग्रेड करने का ख्याल आता है। जबकि आपके सामने टॉप-अप प्लान खरीदने का भी विकल्प है, जो आपके कवर को बढ़ाने के साथ-साथ पैसों से जुड़े जोखिमों को भी कम करता है।

(और पढ़ें - सबसे अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है)

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टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स या रेगुलर हेल्थ इन्शुरन्स लेते समय निम्न बातों का जरूरत से ध्यान रखें -

रिन्यु का रखें ध्यान

जयादातर बीमा कंपनियों की तरह टॉपअप हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में भी नवीनीकरण (रिन्यु) के लिए पॉलिसीधारक को कुछ दिनों की छूट दी जाती है। लेकिन यदि छूट का समय पूरा होने तक नवीनीकरण नहीं किया जाता है, तो ऐसे में पॉलिसी समाप्त हो सकती है और आपको इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, नवीनीकरण के लिए कंपनियां आपको समय रहते रिमाइंड कराती हैं।

कंपेयर करना न भूलें

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स आप उस कंपनी से भी ले सकते हैं जिससे प्राइमरी/ रेगुलर हेल्थ इन्शुरन्स लिया हो या फिर आप दूसरी कंपनी से भी टॉप-अप प्लान लेने के बारे में पता कर सकते हैं। ऐसे में टॉप-अप प्लान को दूसरी कंपनी से कंपेयर या तुलना करना न भूलें, क्योंकि तुलना करने से आप अपने बजट में अच्छे से अच्छा प्लान जान सकेंगे। इंटरनेट में बूम आने की वजह से आजकल कंपेयर करना बेहद आसान हो गया है, इसके लिए आपको कंपेयर करने वाली वेबसाइट पर जाना होगा और किन्हीं दो स्कीम को सेलेक्ट कर आगे का प्रोसेस पूरा करना होगा। ऐसा करने से न सिर्फ आप अच्छे प्लान के बारे में जान सकेंगे बल्कि आपके बहुमूल्य समय की भी बचत होगी। दूसरा, कोरोना जैसी महामारी के बीच आपको किसी एजेंट से व्यक्तिगत रूप से मिलने की जरूरत भी नहीं होगी।

विश्वसनीयता की करें जांच

टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स लेने से पहले कंपनी की विश्वसनीयता के बारे में जरूर जान लें। इसके लिए आप इंटरनेंट पर ग्राहकों के रिव्यू व रेटिंग भी चेक कर सकते हैं। या कई बार व्यक्तिगत रूप से किसी ग्राहक से मिलकर भी कंपनी की सुविधाओं के साथ-साथ उसकी सर्विस के बारे में पता किया जा सकता है। इसके अलावा आप कंपनी के सेटलमेंट रेशियो के बारे में भी जरूर समीक्षा कर लें। क्योंकि यदि ग्राहकों का रिस्पॉन्स संतोषजनक नहीं है, तो यह इस बात की ओर स्पष्ट संकेत हो सकता है कि कंपनी का कस्टमर केयर स्टाफ अच्छा नहीं है।

सही जानकारी दें

रेगुलर हेल्थ इन्शुरन्स हो या टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स, आपको बीमाकर्ता को अपने स्वास्थ्य के बारे में एकदम सही जानकारी देनी चाहिए। क्योंकि मेडिकल कंडीशन को छुपाने या दस्तावेजों में हेर-फेर के मामले की पुष्टि होने पर इन्शुरन्स कंपनी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है।

क्लेम करने के लिए दो तरीके हैं :

रिइम्बर्समेंट

इमरजेंसी के समय आपकी कोशिश जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचने की होती है। ऐसे में उक्त अस्पताल कंपनी के नेटवर्क में है या नहीं, यह बात मायने नहीं रखती। अगर आप नॉन-नेटवर्क अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं तो, एडमिट होने के बारे में अपनी इन्शुरन्स कंपनी को जानकारी दें। दूसरी तरफ आप इलाज प्रक्रिया पूरी करें और इस दौरान सभी मेडिकल खर्चों का भुगतान करते चलें। इसके बाद आप प्रतिपूर्ति (रिइम्बर्समेंट) के लिए आवेदन कर सकते हैं। जब मरीज को डिस्चार्ज किया जा रहा होता है तो, अस्पताल से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेजों और बिल्स को संभालकर रखें और उन्हें अपनी इन्शुरन्स कंपनी में जमा कर दें। आप चाहें तो ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं। दस्तावेजों का आकलन और सत्यापन करने के बाद, बीमा कंपनी नियम व शर्तों के तहत आपके बैंक खाते में क्लेम की राशि जमा कर देगी।

ध्यान रहे, ऊपर बताए गए स्टेप्स में एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अंतर हो सकता है।

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कैशलेस क्लेम

कैशलेस क्लेम के लिए नेटवर्क अस्पताल में मौजूद बीमा डेस्क पर जाएं, जहां आपको जरूरी दस्तावेज जैसे हेल्थ कार्ड और आईडी दिखाना होता है। इसके अलावा एक फॉर्म भरने की आवश्यकता होती है। अस्पताल आपके फॉर्म को मेडिकल रिकॉर्ड के साथ बीमा कंपनी को फैक्स या किसी अन्य माध्यम से भेजेंगे, इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी आपके द्वारा भेजे गए फॉर्म व अन्य दस्तावेजों की जांच करेगी। एक बार मंजूरी मिलने के बाद, कंपनी नियम व शर्तों के तहत सभी बिलों का भुगतान कर देगी।

  • टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान को आसानी से बेसिक हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में बदला जा सकता है।
  • अस्पताल में भर्ती होने की लागत जैसे डॉक्टर की फीस, कमरे का किराया आदि पर कोई अपर लिमिट नहीं होती है।
  • पॉलिसी के नियमों और शर्तों को बेहतर ढंग से समझने के लिए आपको पॉलिसी खरीदने की तारीख से अगले कुछ दिनों तक 'फ्री लुक पीरियड' दिया जा सकता है। बता दे, फ्री लुक पीरियड एक ऐसा विशेष समय है, जिसके अंदर आप चाहें तो पॉलिसी को वापस कर सकते हैं।
  • टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के तहत लाइफटाइम रिन्यूएबिलिटी की सुविधा भी दी जाती है।
  • पॉलिसी की अवधि 1 वर्ष या 2 वर्ष की हो सकती है। हालांकि, इसमें बदलाव भी हो सकता है, क्योंकि यह बीमा कंपनी के नियमों पर निर्भर करता है।

टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान की विशेषताएं निम्नलिखित हैं -

फ्लोटर प्लान के रूप में उपलब्ध

आप चाहें तो इसे व्यक्तिगत रूप से या फिर फ्लोटर प्लान के रूप में भी ले सकते हैं। फ्लोटर प्लान में, पूरे परिवार को कवर किया जाता है। इसमें परिवार के सदस्यों के लिए अलग-अलग पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि एक ही पॉलिसी में सभी कवर हो जाते हैं। इसमें एक ही प्रीमियम जमा किया जाता है। इसके अलावा सम-इनश्योर्ड भी पूरे परिवार के लिए एक ही होता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यदि परिवार का कोई एक सदस्य गंभीर रूप से बीमार है तो उसे तय की गई सम-इनश्योर्ड राशि के बराबर कवरेज मिलता है, यानी 25 लाख के फ्लोटर प्लान में एक सदस्य भी पूरी रकम का लाभ उठा सकता है और परिवार के कई सदस्य भी इतनी रकम के अंदर बीमा का लाभ ले सकते हैं।

(और पढ़ें - फैमिली फ्लोटर हेल्थ इन्शुरन्स क्या होता है)

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पहले से मौजूद बीमारी के खिलाफ हेल्थ कवर

आमतौर पर, ज्यादातर स्वास्थ्य योजनाएं पहले से मौजूद किसी बीमारी के मामले में कवरेज नहीं देती हैं। हालांकि, आप अपनी स्टैंडर्ड इन्शुरन्स प्लान को एक टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स के साथ सप्लीमेंट कर सकते हैं। यदि आपको पहले से डायबिटीज या हाई बीपी जैसी विशिष्ट बीमारियां हैं, तो प्लान आपके लिए फायदेमंद है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है?)

टैक्स में बचत का लाभ

सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की तरह, टॉप-अप प्लान के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर भी आपको टैक्स में छूट मिलती है। आयकर अधिनियम की धारा 80D के अनुसार, आप अधिकतम 25,000 रुपये तक की छूट पा सकते हैं। यह छूट खुद के लिए, जीवनसाथी और बच्चों के लिए खरीदी गई बीमा योजनाओं के लिए मान्य होती है। इसके अलावा, यदि आपकी आयु 60 वर्ष से अधिक है, तो आप 50,000 रुपये तक हाइयर डिडक्टिबल लिमिट का आनंद भी ले सकते हैं।

वेटिंग पीरियड कम होता है

यदि आप टॉप-अप हेल्थ इन्शुरन्स लेने की सोच रहे हैं, तो बता दें इसमें पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड कम होता है। कुछ कंपनियां तो 12 माह तक वेटिंग पीरियड में कटौती कर देती हैं।

डॉक्यूमेंट की आवश्यकता नहीं

जरूरी नहीं है कि टॉपअप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान उसी कंपनी से लिया जाए, जिससे आपने प्राइमरी हेल्थ इन्शुरन्स लिया था। आप चाहें तो टॉपअप हेल्थ इन्शुरन्स दूसरी कंपनी से भी ले सकते हैं। कई बार दूसरी कंपनियां टॉपअप प्लान बेचने के लिए कई तरह की छूट भी देती हैं। यदि आप उसी कंपनी से टॉपअप प्लान लेते हैं, जिससे आपने प्राइमरी हेल्थ इन्शुरन्स लिया था तो ऐसे में आपसे दस्तावेजों की मांग नहीं की जाएगी, क्योंकि उनके पास पहले से आपके जरूरी कागजात होंगे। लेकिन यदि आप दूसरी कंपनी से प्लान लेते हैं तो ऐसे में आपसे निम्न में से दस्तावेज मांगे जा सकते हैं -

  • 10वीं या 12वीं की मार्कशीट
  • ड्राइविंग लाइसेंस
  • जन्म प्रमाण पत्र
  • पैन कार्ड
  • आधार कार्ड
  • बिजली बिल, टेलीफोन बिल, राशन कार्ड
  • पासपोर्ट या वोटर आईडी, पासपोर्ट साइज फोटो

कम प्रीमियम में अधिक लाभ

एक टॉप-अप प्लान किसी रेगुलर मेडिकल इन्शुरन्स पॉलिसी से सस्ता होता है। इसे उदाहरण से समझते हैं, अगर आपने किसी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी से 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कराया है तो इसके लिए आप कुछ न कुछ प्रीमियम भी भर रहे होंगे। अब मान लेते हैं कि आप 6,500 रुपये का प्रीमियम भरते हैं, यदि इसके साथ आपने 15 लाख रुपये का टॉप-अप प्लान जोड़ लिया है तो इसके लिए आपको अलग से 5,000 रुपये के आसपास देना पड़ सकता है जो कि काफी सस्ता है और अलग से पॉलिसी खरीदने की झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी।

मैटरनिटी कवर

टॉपअप हेल्थ इन्शुरन्स कई मामलों में गर्भावस्था को भी कवर करते हैं, लेकिन आमतौर इसके लिए कुछ वेटिंग पीरियड होता है, यानी जब आप बीमा कंपनी द्वारा निर्धारित समय तक इंतजार कर लेंगे तभी आप मैटरनिटी कवर का फायदा ले सकेंगे।

टॉप-अप प्लान वैसे तो कोई भी व्यक्ति ले सकता है, लेकिन ज्यादातर यह निम्नलिखित लोगों के लिए फायदेमंद है :

सीनियर सिटीजन

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे हेल्थ संबंधी जोखिम भी बढ़ने लगते हैं। कई बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इतनी ज्यादा बढ़ जाती हैं कि इन्हें मैनेज करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस की तरफ से दी जाने वाली सुविधा पर्याप्त नहीं र​हती और सम-इन्श्योर्ड राशि से अधिक बिल आने पर आपको अपनी जेब से भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में ऐड-ऑन प्लान्स आपको 'एक्ट्रा पेय' करने से बचा सकता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ में अंतर)

कॉर्पोरेट कर्मचारी

कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने के दौरान कई बार आपको कंपनी की तरफ से हेल्थ इन्शुरन्स​ दिया जाता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि इन्शुरन्स राशि पूरी तरह से संतोषजनक हों। ऐसे में आप एक्ट्रा कवर के बारे में विचार कर सकते हैं, जो मेडिकल इमर्जेंसी के समय आपकी व परिवार की सुरक्षा कर सकता है।

कम बीमा राशि

भारत जैसे विकासशील देश में कम आय वाले लोगों की संख्या ज्यादा है, ऐसे में हेल्थ इन्शुरन्स के लिए उनके पास पर्याप्त बजट नहीं होता है और वे कम कवरेज वाली योजनाओं की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। पर कहीं न कहीं, वे इस बात को जानते हैं कि कम कवरेज वाला हेल्थ इन्शुरन्स मुसीबत के समय सिर्फ कुछ हद तक ही मदद कर पाएगा। ऐसे में वे टॉपअप प्लान लेने के बारे में विचार कर सकते हैं। बता दें, आमतौर पर टॉपअप प्लान सस्ती दरों पर एक्ट्रा कवरेज देता है।

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