गुड़हल के पौधे घरों में आसानी से उपलब्ध होते हैं। गुड़हल के फूल देखने में जितने खूबसूरत होते हैं, स्वास्थ्य के लिए उतने लाभदायक भी। उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में उत्पन्न हुआ यह पौधा अब दुनिया के तमाम देशों में पाया जाता है। दुनियाभर में लोग इस पौधे के विभिन्न हिस्सों का उपयोग भोजन और दवाओं के रूप में करते हैं। गुड़हल के पौधे का वह भाग को फूलों को चारों ओर से पकड़ कर रखता है उसे कैलीक्स कहा जाता है। सूखे हुए कैल्स का उपयोग हिबिस्कस टी यानी गुड़कहल की चाय बनाने के लिए किया जाता है।

गुड़हल की चाय कई सारे स्वास्थ्य लाभों को समेटे हुए है। दुनिया के कई हिस्सों में गुड़हल की चाय का सेवन किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ब्लड प्रेशर को लो करने, बैक्टीरिया से लड़ने और यहां तक कि वजन घटाने में भी इस चाय को बहुत कारगर माना जाता है।

ऐतिहासिक रूप से देखें तो अफ्रीकी देशों में शरीर के तापमान को कम करने, हृदय रोग के इलाज और गले में खराश को दूर करने के लिए गुड़हल की चाय का उपयोग किया जाता था। ईरान में वर्षों से इसका उपयोग हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए किया जाता है। हाल के अध्ययनों ने भी हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल के उपचार में गुड़हल की चाय को काफी फायदेमंद माना है। इस लेख में हम आपको गुड़हल की चाय बनाने के तरीके, इसके स्वास्थ्य लाभ और साइड इफेक्ट के बारे में विस्तार से बताएंगे।

  1. गुड़हल की चाय बनाने का तरीका - Hibiscus tea banane ka treeka?
  2. गुड़हल की चाय के फायदे - Hibiscus Tea ke fayde
  3. ब्लड प्रेशर कम करने में काफी कारगर है गुड़हल की चाय - Blood pressure kam karne me kafi kaargar hai hibiscus Tea
  4. लिवर को मजबूती दे सकती है हिबिस्कस टी - Liver ko majbooti de sakti hai hibiscus tea
  5. वजन घटाने में हिबिस्कस टी हो सकती है प्रभावी - Hibiscus tea se kar sakte hai weight loss
  6. हिबिस्कस टी है एक बढिया न्यूट्रिशन - Hibiscus tea hai ek badhiya Nutrition
  7. हिबिस्कस के साइड इफेक्ट - Hibiscus ke side effects

गुड़हल की चाय यानी हिबिस्कस टी, एक प्रकार की हर्बल टी है। इसे गुड़हल के पौधों के सूखे भागों से बनाया जाता है। चाय का रंग लाल होता है। अगर इसके स्वाद की बात करें तो यह क्रैनबेरी की तरह मीठा और कसैला होता है। हिबिस्कस टी का सेवन गर्म और ठंडे दोनों ही तरह से किया जा सकता है। वैसे तो ग्रीन टी और ब्लैक टी की तरह यह बहुत ज्यादा चर्चा में नहीं रही है, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

चाय कैसे बनाएं

गुड़हल की चाय को गर्म और ठंडे दोनों तरीकों से बनाया जा सकता है।

गर्म चाय के लिए आवश्यक समाग्री

  • लूज हिबिस्कस टी या टी बैग
  • डेढ़ कप पानी

कैसे बनाएं

सबसे पहले पानी को गर्म करें। आप इलेक्ट्रिक केतली का भी प्रयोग कर सकते हैं। केतली का तापमान 208°F पर सेट करें। अब इसमें लूज हिबिस्कस टी डालें और गर्म होने दें। अगर आप टी बैग का इस्तेमाल कर रहे हैं तो गर्म पानी को कप में निकाल लें और उसमें एक टी बैग कुछ समय के लिए छोड़ दें। जब चाय का रंग लाल हो जाए तो आप स्वादानुसार चीनी, शहद या खजूर का सिरप मिला सकते हैं।

ठंडी चाय के लिए आवश्यक समाग्री

  • लूज हिबिस्कस टी या टी बैग
  • डेढ़ कप पानी
  • एक छोटा जार या बर्तन
  • बर्फ के टुकड़े

कैसे बनाएं

हिबिस्कस आइस टी बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में लूज हिबिस्कस टी और पानी मिलाएं। अब इसे अच्छे से ढक कर 12 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें। उसके बाद इसे कप में छान कर निकाल लें और बर्फ के टुकड़े डालकर इसका सेवन करें।

हिबिस्कस टी के टिप्स

  • टी बैग की बजाय लूज हिबिस्कस टी का उपयोग करना बेहतर माना जाता है।
  • चीनी की जगह शहद, ब्राउन शुगर या खजूर के सिरप को मिलाकर भी सेवन करें।
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गुड़हल की चाय को काफी फायदेमंद पेय पदार्थों में से एक माना जाता है। गुड़हल की चाय और अर्क के साथ किए गए कई परीक्षणों में इसके सुखद परिणाम देखने को मिले हैं। ब्लड शुगर, मोटापा, हृदय संबंधी बीमारियों को कम करने के साथ यह कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर है। इसके सेवन से आपको कई प्रकार के लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

गुड़हल की चाय को ब्लड प्रेशर कम करने के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हृदय कमजोर हो सकता है। साथ ही हृदय संबंधी कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। गुड़हल की चाय को लेकर किए गए कई अध्ययनों में पाया गया कि यह सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों प्रकार के ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है। एक अध्ययन के दौरान हाई ब्लड प्रेशर वाले 65 लोगों को गुड़हल की चाय और प्लेसबो दी गई। छह सप्ताह बाद पाया गया कि प्लेसीबो की तुलना में जिन लोगों ने हिबिस्कस टी का सेवन किया, उनमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई।

वैसे तो हिबिस्कस टी ब्लड प्रेशर कम करने के लिए सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका हो सकता है। हालांकि, जो लोग हाइड्रोक्लोरोथियाज़ाइड जैसी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो उन्हें इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती है। यदि आप पहले से किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो हिबिस्कस टी लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।

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लिवर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इसमें किसी प्रकार की समस्या के चलते अनेक प्रकार की बीमारियों के होने का डर रहता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि हिबिस्कस टी लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ इसके कार्यों को आसान बनाने में मदद करती है।

इसके प्रभावों को जानने के लिए 19 ऐसे लोगों को अध्ययन में शामिल किया गया, जिनका वजन अधिक था। 12 हफ्तों तक इन लोगों को हिबिस्कस अर्क दिया गया। परिणामस्वरूप पाया गया कि इन लोगों के लिवर स्टीटोसिस में काफी सुधार हुआ है। लिवर स्टीटोसिस ऐसी स्थिति है, जिसमें लिवर में फैट जमा होने लगता है। इससे लिवर फेल होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि हिबिस्कस अर्क के सेवन से लिवर फेल होने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इन अध्ययनों में हिबिस्कस अर्क के प्रभावों का आकलन किया गया है। हिबिस्कस टी मनुष्यों में लिवर को कैसे प्रभावित करती है, यह जानने के लिए आगे के शोध की आवश्यकता है।

हिबिस्कस टी वजन घटाने और मोटापे को दूर कर सकती है। कई अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हुई है। एक अध्ययन में 36 अधिक वजन वाले प्रतिभागियों को हिबिस्कस अर्क या प्लेसबो दिया गया। 12 सप्ताह के बाद पाया गया कि हिबिस्कस अर्क का सेवन करने वाले लोगों के वजन, शरीर के फैट, बॉडी मास इंडेक्स में काफी कमी दर्ज की गई। जानवरों पर किए गए अध्ययन में भी इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले। अध्ययन के दौरान कुछ मोटे चूहों को दो महीने तक हिबिस्कस अर्क दिया गया। इसके बाद चूहों के वजन में काफी कमी दर्ज की गई।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि यह सभी अध्ययन हिबिस्कस अर्क के साथ किए गए हैं, हिबिस्कस टी का शरीर पर क्या प्रभाव होता है, इस विषय में और शोध किए जाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अर्क की तरह ही हिबिस्कस टी भी वजन कम करने में प्रभावी परिणाम दे सकती है।

हिबिस्कस टी प्राकृतिक तौर पर कैलोरी और कैफीन मुक्त होती है। इसे हॉट या आइस्ड फार्म में लिया जाता है। चूंकि, इसका स्वाद कसैला होता है, ऐसे में बहुत से लोग स्वाद के लिए चीनी या शहद मिलाते है, जिसके चलते इसमें कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की उपस्थिति हो जाती है। चूंकि, हिबिस्कस टी में एंथोसायनिन नामक यौगिक पाया जाता है ऐसे में विशिषज्ञों का मानना है कि यह हृदय के लिए फायदेमंद हो सकती है।

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उपरोक्त बिंदुओं में आपने जाना कि हिबिस्कस किस तरह से कई सारी बीमारियों को दूर करने में सहायक हो सकता है। हालांकि, हिबिस्कस का प्रयोग किस मात्रा में किया जाना चाहिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। अध्ययनों की समीक्षा के दौरान पाया गया कि हिबिस्कस अर्क की बहुत अधिक मात्रा के सेवन से लिवर को क्षति होने का डर रहता है। इसी समीक्षा ने पाया गया कि हाइड्रोक्लोरोथियाज़ाइड (हाई ब्ल्ड प्रेशर की दवा) और एसिटामिनोफेन के साथ हिबिस्कस अर्क का रिएक्शन हो सकता है।

अन्य स्रोतों के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि हिबिस्कस का सेवन उन लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है जो मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन का सेवन कर रहे हों। हिबिस्कस, शरीर में दवा के प्रभाव को कम कर सकती है। इसके अलावा गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं को हिबिस्कस टी न लेने की सलाह दी जाती है।

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