कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो महिला और पुरुष में भेद नहीं करती। इसके बावजूद कई तरह के कैंसर सिर्फ पुरुषों में ही होते हैं। इस तरह के कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा डराने वाला है। हालांकि, कैंसर की सैकड़ों किस्में भी हैं, लेकिन कुछ कैंसर ऐसे हैं जो सिर्फ पुरुषों में ही पनपते हैं, जैसे-

भारत में स्थिति बेहद खराब
भारत सरकार की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में कैंसर के हर साल करीब 11 लाख नए मामले सामने आते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग बीमारी के अंतिम दौर में होते हैं, जिनके बचने की उम्मीद काफी कम होती है। हालांकि, इसका एक प्रमुख कारण जागरुकता की कमी का होना है।

प्रोस्टेट कैंसर

कैंसर इंडिया वेबसाइट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर सिर्फ पुरुषों में ही होता है, जो उनकी प्रजनन प्रणाली का हिस्सा है। दरअसल प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों की पौरुष ग्रंथि में होने वाला कैंसर है। प्रोस्टेट का मुख्य काम वीर्य की रक्षा करना और उसके लिए एंजाइम, प्रोटीन व मिनरल तैयार करना है। साल 2018 में ग्लोबोकेन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रोस्टेट कैंसर के 25,696 नए मामले सामने आए और उसी साल इस बीमारी से 17,184 पुरुषों की मौत हो गई।

(और पढ़ें - प्रोस्टेट बढ़ना क्या होता है

साल 2020 तक बढ़ सकता है आंकड़ा
कैंसर से संबंधित रिसर्च से जुड़े कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि साल 2020 के अंत तक ये आंकड़ा दोगुना हो सकता है। यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है कि एक अन्य अनुमान के मुताबिक 80 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लगभग 80 फीसदी पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर कोशिकाएं होती हैं। बीआरसीए1 (BRCA1) और बीआरसीए2 (BRCA2) जीन में गड़बड़ी के कारण भी प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम
ज्यादातर मामलों में प्रोस्टेट कैंसर के कारणों का पता नहीं चल पाता है इसलिए इसकी रोकथाम के संदर्भ में जानकारी थोड़ी कम ही है। फिर भी कुछ अहम बिंदु हैं, जिनसे इसकी आशंका को कम किया जा सकता है-

  • नियमित शारीरिक गतिविधियों में बने रहना
  • हाई-कैलोरी खाद्य और पेय पदार्थों का सेवन कम करें
  • रोजाना फल और सब्जियों का सेवन करें
  • कैल्शियम से भरपूर पदार्थों का सेवन कम करें
  • शराब या अल्कोहल का सेवन न करें

पेनिस कैंसर
पेनाइल (पेनिस) कैंसर पुरुषों में होने वाला एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। एनसीबीआई में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक पेनिस कैंसर भारतीयों में होने वाले गुप्तांग कैंसर में सबसे आम है। हालांकि, पेनाइल कैंसर से अधिकतर बुजुर्ग ही पीड़ित होते हैं, उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसका खतरा और बढ़ जाता है। 

बुजुर्गों में ज्यादा घातक है पेनिस कैंसर
साल 2018 के ग्लोबोकेन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले साल पेनाइल (पेनिस) कैंसर के 9,938 नए मामले आए थे। जबकि इस कैंसर से 6,000 से अधिक मौतें हुईं थी। एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि पेनाइल कैंसर के लक्षण शहरी इलाकों में  प्रति 100,000 पुरुषों पर 0.7 से 2.3 हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति 100,000 पुरुषों में 3 मामले पेनिस कैंसर से जुड़े हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि खतना पेनाइल कैंसर के कम होने से संबंधित है और धूम्रपान जोखिम को बढ़ाता है।

(और पढ़ें - लिंग रोग के कारण

खतना करने पर कैंसर की आशंका कम
एक रिसर्च बताती है कि धूम्रपान से जहां कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, वहीं खतना करने पर पेनाइल (पेनिस) कैंसर होने की आशंका थोड़ी कम हो जाती है। एनसीबीआई में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार मई 2005 से जून 2006 तक 54 रोगियों पर अध्ययन किया गया। इन रोगियों में से लगभग तीन-चौथाई रोगी 50 से अधिक उम्र के थे। रोगियों का एक चौथाई हिस्सा बिना खतने का था और 20% रोगियों का वयस्क होने पर खतना हुआ था।

पेनाइल या पेनिस कैंसर की वजह

  • शारीरिक तरल पदार्थ के पेनिस में रह जाने से भी कैंसर हो सकता है
  • पुरुषों में धूम्रपान की आदत भी पेनिस कैंसर की एक प्रमुख वजह है

पेनिस कैंसर के लक्षण

  • पेनाइल कैंसर के होने का पहला लक्षण पेनिस में गांठ हो सकती है
  • ये गांठ पेनिस के ऊपर या फिर अंदर भी हो सकती है

वृषण (अंडकोष) कैंसर
वृषण या फिर अंडकोष कैंसर पुरुषों में पाए जाने वाले बेहद घातक कैंसर में से एक है, जो कैंसर के प्रति लोगों की कम जागरूकता को दर्शाता है। हालांकि, शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए तो इलाज की संभावना बढ़ जाती है।

(और पढ़ें - अंडकोश में सूजन क्या होती है)

भारत में वृषण कैंसर का असर कम
इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वृषण कैंसर बेहद दुर्लभ है, क्योंकि 1 लाख लोगों में से 0.5 मामले ही वृषण कैंसर से जुड़े होते है। हालांकि, इससे जुड़े लक्षणों पर बात करें तो वृषण कैंसर का पहला संकेत वृषण में एक गांठ का होना होता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अंडकोष में हर गांठ कैंसर हो ऐसा जरूरी नहीं। एक अल्ट्रासाउंड के जरिए गांठ और ट्यूमर के बीच अंतर करने में मदद मिस सकती है।

वृषण कैंसर के अन्य लक्षण

कैंसर से हर साल हजारों-लाखों लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं। हालांकि, कैंसर के खिलाफ विश्वभर में जंग लड़ी जा रही है। भारत में साल 2014 से लगातार 7 नवंबर को कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। बावजूद इसके हमारे देश में कैंसर से होने वाली मौत के आकंड़ों में काफी इजाफा हुआ है। अगर कैंसर के प्रति थोड़ी जानकारी जुटाई जाए, तो इसके शुरुआती लक्षण के आधार पर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। साथ ही कैंसर से होती मौत के आंकड़ों को भी कम करने में मदद मिलेगी।

ऐप पर पढ़ें