सेहत ही जिंदगी का सबसे बड़ा खजाना है। हर कोई स्‍वस्‍थ रहने का सपना तो देखता है लेकिन उसे पूरा करने के लिए कुछ करता नहीं है। आप भी उनमें से एक ही होंगें जो हैल्‍दी तो रहना चाहते हैं लेकिन अपने शरीर को हैल्‍दी रखने के लिए कुछ करते नहीं हैं।

इस मामले में महिलाओं से भी पीछे पुरुष होते हैं जो अपनी सेहत का बिलकुल भी ख्‍याल नहीं रखते हैं। आपको बता दें कि आज की जीवनशैली और वातावरण ऐसा हो गया है कि कम उम्र में भी बच्‍चे और जवान उन बीमारियों का शिकार होने लगे हैं जो पहले कभी बूढों को हुआ करती थीं।

ऐसे में पुरुषों का भी अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं है। खासकर 40 की उम्र पार कर चुके पुरुषों को अपनी सेहत का ज्यादा ध्‍यान रखना चाहिए। आज हम आपको कुछ ऐसे टेस्‍ट के बारे में बताने जा रहे हैं जो 40 की उम्र पार करने के बाद पुरुषों को जरूर करवाने चाहिए। 

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

पीएसए टेस्ट

पुरुषों के शरीर में प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजेन (खून में प्रोस्टेट हैल्थ का पता लगाने वाला सूचक) के स्तर को मापने के लिए पीएसए टेस्ट किया जाता है। पीएसए का बढ़ना प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकता है या इससे प्रोस्टेट से संबंधित किसी अन्य बीमारी या समस्या का भी पता चल सकता है।

वैसे तो इस टेस्‍ट को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं लेकिन फिर भी सभी पुरुषों को ये टेस्‍ट जरूर करवाना चाहिए क्‍योंकि इससे उन्‍हें प्रोस्‍टेट में कोई विकार आने की चेतावनी पहले ही मिल जाती है। अगर आपका पीएसए लेवल सामान्‍य स्‍तर से ज्‍यादा है तो आहार और जीवनशैली में कुछ उचित बदलाव कर आप इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

टेस्टोस्टेरोन टेस्ट

टेस्टोस्टेरोन की कमी होने की वजह से पुरुषों में स्तंभन दोष, थकान, वजन बढ़ने, मांसपेशियों और हड्डियों को नुकसान, शरीर के बालों का कम होना, नींद की कमी, किसी काम में ध्यान लगाने में परेशानी आना और व्यक्तित्व में बदलाव आ सकते हैं।

टेस्टोस्टेरोन चेक करने के लिए डाॅक्टर खून या लार की जांच कर सकते हैं। बहरहाल, टेस्टोस्टेरोन की जांच एक तरह से हार्मोन की जांच होती है, जिससे पता चलता है कि आपकी यौन क्षमता में कोई कमी आई है या नहीं। टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के लिए पहले प्राकृतिक उपचारों की मदद लेनी चाहिए। अगर तब भी आराम न मिले तो चिकित्सकीय इलाज के लिए डाॅक्टर से बात कर सकते हैं।

(और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के घरेलू उपाय)

डायबिटीज

खून में शर्करा बढ़ने की वजह से डायबिटीज की बीमारी होती है। डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जो शरीर की लगभग सभी प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है। डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकती है, खासकर 45 साल की उम्र के बाद पुरूषों को इसके प्रति अधिक सजग हो जाना चाहिए और नियमित ब्लड शुगर टेस्ट करवाते रहना चाहिए। ब्लड शुगर या ग्लूकोज टेस्ट द्वारा खून में शुगर (ग्लूकोज) की मात्रा को मापा जाता है, ग्लूकोज एक प्रकार का शुगर (शर्करा) ही होता है, जो खून में मौजूद होता है।

यदि आपके परिवार में किसी को डायबिटीज है या आपका वजन ज्यादा है या फिर आपका बी.पी हाई रहता है तो भी आपको डायबिटीज का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

(और पढ़ें - शुगर कम करने के घरेलू उपाय)

डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट आपके लिए सही चयन हैं। इन टैबलेट्स से रक्त शर्करा को संतुलित रखें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें। ऑर्डर करें!

ध्यान रखें कि बेहतर जीवनशैली की मदद से टाइप 2 डायबिटीज से बचा जा सकता है। इसके लिए अपने वजन को बढ़ने न दें और बीमारियों को खुद से दूर रखें।

बी.पी स्क्रीनिंग

बढ़ती उम्र के साथ-साथ हाई बी.पी का खतरा भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तीन में से एक वयस्क हाई बी.पी से ग्रस्त होता है और पांच में से एक व्यक्ति को अपने ब्लड प्रेशर हाई होने की खबर ही नहीं होती।

अब इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि समय-समय पर बी.पी की जांच करवाना कितना जरूरी है। वैसे भी बी.पी के बारे में कहा जाता है कि यह साइलेंट किलर की तरह होता है। अतः 40 साल की उम्र पार करने के बाद बिना किसी हिचक के नियिमत बी.पी स्क्रीनिंग करवाएं और स्वस्थ जीवन जिएं।

(और पढ़ें - ब्लड प्रेशर का नॉर्मल रेंज कितना होना चाहिए)

ऐप पर पढ़ें