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महिला के गर्भवती होने के लिए पुरुष के स्पर्म का काफी महत्व है. यदि स्पर्म हेल्दी न हो, तो महिला के लिए गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है. पुरुषों के टेस्टिकल्स में रोजाना स्पर्म का निर्माण होता है. स्पर्म के हेल्दी होने में स्पर्म काउंट, स्पर्म की गति व स्पर्म का आकार जैसी कई बातें महत्व रखती हैं. यदि स्पर्म यानी शुक्राणु असक्रिय हो, तो महिला के गर्भवती होने की संभावना न के बराबर रह जाती है.

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आज इस लेख में हम जानेंगे कि स्पर्म क्या है व उसका महत्व क्या है. साथा ही स्पर्म काउंट, शुक्राणु की गति, शुक्राणु का आकार, असक्रिय शुक्राणु के संबंध में भी चर्चा करेंगे -

(और पढ़ें - शुक्राणु की जांच)

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  1. स्पर्म क्या है और इसका महत्व
  2. क्या है स्पर्म काउंट?
  3. शुक्राणु की गति
  4. शुक्राणु का आकार
  5. असक्रिय शुक्राणु
  6. सारांश
स्पर्म क्या है और उसका महत्व के डॉक्टर

स्पर्म छोटे-छोटे सेल्स भले ही होते हैं, लेकिन महिला के गर्भवती होने के लिए 50 प्रतिशत तक जिम्मेदार होते हैं. जब स्पर्म महिला के एग के साथ मिलते हैं, तब फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू होती है. इससे भ्रूण का निर्माण होता है. सफल प्रेगनेंसी के लिए जरूरी है कि उसमें क्रोमोजोम का सही नंबर भी हो. पुरुष की फर्टिलिटी को दो चीजें प्रभावित करती हैं, उनमें से पहला है स्पर्म काउंट और दूसरा है शुक्राणु की गति. इन दाेनों के बारे में लेख में आगे बताया गया है.

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(और पढ़ें - प्रेगनेंसी के लिए कितने शुक्राणु चाहिए)

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टेस्टिकल रोजाना लाखों की संख्या में स्पर्म का निर्माण करता है. स्पर्म काउंट का मतलब पुरुषों के इजैकुलेशन में उपस्थित रहने वाले स्पर्म सेल्स का नंबर है. स्पर्म काउंट उम्र बढ़ने के साथ-साथ घटने लगते हैं और पुरुष की फर्टिलिटी भी प्रभावित होती है. इसके अलावा, खराब लाइफस्टाइल, धूम्रपान और शराब का सेवनदिल के रोग जैसे कारकों से भी स्पर्म काउंट कम होता जाता है.

सामान्य पुरुष के वीर्य में शुक्राणु की संख्या 1.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर से लेकर 20 करोड़ प्रति मिलीलीटर से भी ज्यादा हो सकती है. अगर 1 मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणु की संख्या 1.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर से कम है, तो इसे कम माना जाता है. इस अवस्था को ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है.

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय)

शुक्राणु की गति को आसान शब्दों में समझ जाए, तो यह स्पर्म की उस क्षमता से है, जिससे वो एग की ओर मूव करते हैं. शुक्राणु की खराब गति को एस्थेनोस्पर्मिया कहा जाता है. स्वस्थ शुक्राणु प्रति सेकंड कम से कम 25 माइक्रोमीटर की गति से आगे बढ़ते हैं. शुक्राणु की गति का पता सीमेन एनलिसिस से लगाया जा सकता है. 40 से 50 प्रतिशत इंफर्टिलिटी के मामलों के लिए शुक्राणु की गति जिम्मेदार होती है.

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए)

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जब शुक्राणु को माइक्रोस्कोप से देखा जाता है, तो इसके तीन हिस्से नजर आते हैं - सिर, बीच वाला हिस्सा और पूंछ. इसे नीचे क्रमवार तरीके से समझाया गया है -

  • स्पर्म के सिर वाले हिस्से में क्रोमैटिन (chromatin) होता है, जो डीएनए मटीरियल होता है. यही क्रोमोजोम का निर्माण करता है. पुरुष के स्पर्म सेल और महिला के एग सेल दोनों में 23-23 क्रोमोजोम होते हैं. स्पर्म का यह ऊपरी हिस्सा 5 से 6 माइक्रोमीटर लंबा और 2.5 से 3.5 माइक्रोमीटर चौड़ा होता है. स्पर्म और एग को मिलाकर 46 क्रोमोजोम वाला भ्रूण बनता है. स्पर्म के ऊपरी हिस्से को कवर करती हुई एक कैप भी होती है, जिसे एक्रोजोम (acrosome) कहा जाता है. यह कैप स्पर्म के सिर को 40 से 70 प्रतिशत तक कवर करती है.
  • स्पर्म के बीच वाले हिस्से में एनर्जी का निर्माण करने वाला माइटोकॉन्ड्रिया (mitochondria) पाया जाता है. इसी एनर्जी की वजह से स्पर्म सेल आगे बढ़ता है.
  • स्पर्म के पिछले हिस्से को फ्लैग्लम (flagellum) कहा जाता है. पिछला हिस्सा ही स्पर्म को फर्टिलाइजेशन के लिए एग की ओर आगे बढ़ाने में मदद करता है. स्पर्म के बीच वाले हिस्से या पूंछ का कोई स्ट्रक्चर नहीं होता है.
  • जब 14 प्रतिशत या अधिक स्पर्म का आकार सामान्य होता है, तो फर्टिलिटी की क्षमता बेहतर होती है. वहीं, जब 4 से 14 प्रतिशत  शुक्राणु का आकार सामान्य होता है, तो फर्टिलिटी की संभावना थोड़ी कम हो जाती है. इसके अलावा, 3 प्रतिशत से कम शुक्राणुओं का आकार सामान्य होने पर फर्टिलिटी की संभावना बहुत कम हो जाती है.

(और पढ़ें - शुक्राणु की कमी का आयुर्वेदिक इलाज)

जिन पुरुषों के सीमन में स्पर्म नहीं होते या उन्हें गिनना मुश्किल हो, तो उस स्थिति को अजुस्पर्मिया (azoospermia) कहा जाता है. यह समस्या बांझपन का शिकार 15 प्रतिशत पुरुषों में देखने को मिलती है. वैसे इस समस्या के कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन अगर कोई पुरुष अपनी पार्टनर को गर्भवती करने में सक्षम नहीं है, तब इस समस्या का पता चल सकता है. इसके बाद सीमेन का सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजा जाता है और तब इसकी पुष्टि की जाती है.

(और पढ़ें - स्पर्म काउंट बढ़ाने में लाभकारी अखरोट)

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स्पर्म सेल्स पुरुषों के टेस्टिकल में होते हैं और किसी भी महिला की प्रेगनेंसी के लिए जिम्मेदार भी. स्पर्म मूव करके महिला के एग को फर्टिलाइज करने का काम करते हैं. स्पर्म काउंट और शुक्राणु की गति पुरुषों की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है. असक्रिय शुक्राणु की वजह से भी महिला के प्रेगनेंसी के चांसेज बहुत कम हो जाते हैं. यदि कसी भी पुरुष को ऐसी दिक्कत हो, तो इसके इलाज के लिए सेक्सोलॉजिस्ट की सलाह पर अमल करना जरूरी है.

(और पढ़ें - शुक्राणु की कमी का होम्योपैथिक इलाज)

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