ओबेसिटी पैनल क्या है?

ओबेसिटी या मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। मोटापे से कई सारी गंभीर बीमारियां होने का खतरा होता है। हालांकि, इसे एक संतुलित आहार, लगातार शारीरिक व्यायाम और लंबे समय तक वजन को नियंत्रित करने वाली क्रियाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है। बजाय थोड़ा-थोड़ा खाने के आप लगातार व्यायाम करके भी इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

मोटापे के साथ निम्न स्थितियां जुड़ी होती हैं -

ओबेसिटी पैनल तब किया जाता है जब आप अत्यधिक मोटापे के शिकार हो जाते हैं। इससे मोटापे में मौजूद भिन्न रोगों और मोटापे के कारण को जानने में मदद मिलती है। इस टेस्ट के परिणामों के अनुसार डॉक्टर आपको वजन कम करने की सलाह देंगे। वे आपको वजन कम करने के लिए जरूरी उपाय भी सुझा देंगे।

ओबेसिटी पैनल में निम्न टेस्ट शामिल होते हैं -

  • ब्लड शुगर (फास्टिंग एंड पोस्टपरंडिअल (पीपी) - यह टेस्ट आपके रक्त में ब्लड शुगर (ग्लूकोज) के स्तरों की जांच करता है। ग्लूकोज शरीर में ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। यह कार्बोहाइड्रेट के टूटने से बनता है। अत्यधिक ग्लूकोज लिवर में ग्लाइकोजन के रूप में संचित हो जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो कि अग्नाशय (पेट में मौजूद एक ग्रंथि) द्वारा बनाया जाता है जो कि लिवर को अतिरिक्त ग्लूकोज ग्लाइकोजन के रूप में संचित करने के लिए उत्तेजित करता है।

  • शुगर के बढ़े हुए स्तर डायबिटीज की तरफ संकेत करते हैं। डायबिटीज तब होती है जब किसी व्यक्ति के शरीर द्वारा पर्याप्त इंसुलिन नहीं बन पाता है या फिर उत्पादित इंसुलिन ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाता है। फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट में आपके रक्त में ब्लड शुगर की जांच तब की जाती है जब आप बारह घंटे से भूखे होते हैं। पीपी ब्लड शुगर भोजन के बाद जांचा जाता है। आमतौर पर ब्लड शुगर के स्तर भोजन के दो घंटे बाद सामान्य हो जाते हैं।

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  • थायराइड प्रोफाइल -  थायराइड प्रोफाइल में निम्न टेस्ट आते हैं -

    • टी3 - टी3 (ट्राईडोथायरोइन) एक हार्मोन है जो कि थायराइड ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। थायराइड ग्रंथि गले में मौजूद एक तितली के आकार की ग्रंथि है। यह शारीरिक विकास, हृदय की दर और शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करती है। साथ ही यह फ्री (जो बंधता नहीं है) और बाऊंड (टी3 एक प्रोटीन के साथ बंधा हुआ) दोनों रूपों में रक्त में पाया जाता है। टी3 टेस्ट ट्राईडोथायरोइन के दोनों रूपों की जांच करता है।
    • टी4 - यह थायराइड ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। टी3 की ही तरह टी4 भी मेटाबॉलिज्म और विकास में महत्पूर्ण भूमिका निभाता है और फ्री व बाउंड दोनों तरह से शरीर में पाया जाता है। टी4 एक ब्लड टेस्ट है जो टी4 (थायरोक्सिन) के स्तरों की जांच करता है। दोनों ही बाउंड व फ्री टी4 की जांच इस टेस्ट में की जाती है।
    • थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) - मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि टीएसएच हार्मोन का उत्पादन करती है। टीएसएच थायराइड हार्मोन के स्तरों को नियंत्रित करता है। यदि थायराइड हार्मोन के स्तर कम हैं तो पिट्यूटरी ग्रंथि अत्यधिक टीएसएच अवषोशित करती है इसी तरह हार्मोन अधिक होने पर पिट्यूटरी ग्रंथि को कम टीएसएच अवषोशित करती है। टीएसएच का अत्यधिक स्तर होने का मतलब है की थायराइड ग्रंथि के साथ कोई समस्या है।
  • लिपिड प्रोफाइल - लिपिड प्रोफाइल में निम्न टेस्ट आते हैं -

    • टोटल कोलेस्ट्रॉल -   कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसा है, जिसकी जरूरत शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए होती है। टोटल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट आपके शरीर में दोनों ही अधिक घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रॉल) और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रॉल) की जांच करता है।
    • ट्राइग्लिसराइड - ट्राइग्लिसराइड रक्त में पाया जाने वाला एक वसा है। आपके ट्राइग्लिसराइड के स्तर जो भोजन आप खाते हैं उससे प्रभावित होते हैं। यदि आप सामान्य से अधिक मात्रा में भोजन खाते हैं तो कैलोरी ट्राइग्लिसराइड में परिवर्तित हो जाएगी। ट्राइग्लिसराइड के अधिक स्तर शरीर के ऊतकों में जमा हो जाते हैं और ये हृदय रोग व रक्त वाहिकाओं के रोगों की आशंका को बढ़ा देते हैं।
    • एचडीएल कोलेस्ट्रॉल - डायरेक्ट - एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को "गुड कोलेस्ट्रॉल" माना जाता है, क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल हटा देता है और कोरोनरी हार्ट डिजीज के खतरे को कम कर देता है।
    • एलडीएल कोलेस्ट्रॉल - एलडीएल को बैड कोलेस्ट्रॉल माना जाता है क्योंकि यह धमनियों में कोलेस्ट्रॉल ले जाता है और कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। 
    • वीएलडीएल (वैरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) - वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल एक तरह का बैड कोलेस्ट्रॉल है। कोलेस्ट्रॉल के अधिक स्तर धमनियों में जमा हो सकते हैं। वीएलडीएल के स्तर अधिक मोटे लोगों में देखे जा सकते हैं और इससे कार्डियोवैस्कुलर रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
    • कोलेस्ट्रॉल/एचडीएल रेश्यो - कोलेस्ट्रॉल/एचडीएल रेश्यो में टोटल कोलेस्ट्रोल वैल्यू को एचडीएल वैल्यू की तुलना करके मापा जाता है। यह आपके कोरोनरी हार्ट डिजीज और स्ट्रोक होने के खतरे का पता लगाता है।
    • एलडीएल/एचडीएल रेश्यो - एलडीएल/एचडीएल रेश्यो आपकी कार्डियोवैस्क्युलर समस्याओं के खतरे के बारे में पता लगा सकता है। यह अनुपात कोलेस्ट्रॉल/एचडीएल रेश्यो के बराबर ही होता है क्योंकि संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल का दो तिहाई हिस्सा एलडीएल है और टोटल कोलेस्ट्रॉल व एलडीएल बहुत करीबी से जुड़े हुए हैं।
    • क्रिएटिनिन - क्रिएटिनिन एक सामान्य अपशिष्ट पदार्थ है जो कि तब बनता है जब आप अपनी मांसपेशियों का उपयोग करते हैं। यदि आपकी किडनी स्वस्थ हैं तो वे अधिकतर क्रिएटिनिन को निकाल देती हैं। हालांकि अगर आपकी किडनी खराब हैं तो आपके शरीर में क्रिएटिनिन के स्तर अधिक हो सकते हैं। ऐसे में यह टेस्ट आपकी किडनी की कार्यक्षमता का पता लगाता है।
    • प्रोटीन टोटल - यह टेस्ट आपके रक्त में दो प्रोटीन एल्ब्यूमिन और ग्लोब्युलिन के स्तरों की जांच करता है। एल्ब्यूमिन रक्त वाहिकाओं से द्रव के स्त्राव को बचाने में मदद करता है वहीं ग्लोब्युलिन इम्युनिटी बनाए रखने में मदद करता है।
    • इलेक्ट्रोलाइट (सोडियम, पोटैशियम और क्लोराइड) - यह टेस्ट आपके शरीर में सोडियमपोटेशियम और क्लोराइड के स्तरों की जांच करता है। इलेक्ट्रोलाइट वे चार्ज पदार्थ होते हैं जो कि अम्ल और क्षार का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। सोडियम नसों और मांसपेशियों के ठीक तरह से कार्य करने में मदद करता है। अधिकतर पोटेशियम कोशिकाओं के अंदर पाया जाता है, लेकिन इसकी कुछ मात्रा रक्त में भी संचारित होती है। पोटेशियम आपके हृदय  के ठीक तरह से कार्य करने के लिए, नर्व कंडक्शन और मांसपेशियों के सिकुड़ने आदि में मदद करता है। क्लोराइड रक्त वाहिकाओं में द्रवों की आवाजाही में मदद करता है।
  • कैल्शियम - कैल्शियम शरीर में फ्री और बाउंड ( एल्ब्यूमिन जैसे प्रोटीन से) दोनों रूपों में पाया जाता है। कैल्शियम टेस्ट आपके रक्त में कैल्शियम के दोनों रूपों की जांच करने के लिए किया जाता है। कैल्शियम हृदय के कार्यों, मांसपेशियों के कार्यों, हड्डियों और दांतों, ब्लड क्लॉटिंग और नसों द्वारा सिग्नल आदि भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • फॉस्फोरस - फॉस्फोरस एक खनिज है जो कि आपकी हड्डियों और दांतों की मजबूती बनाए रखने में मदद करता है। अध्ययनों के अनुसार यह पता चलता है कि फोस्फरस के कम स्तर से आपके वजन बढ़ने और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। फॉस्फोरस के असामान्य स्तर स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अनियंत्रित डायबिटीज या किडनी के ठीक तरह से कार्य न कर पाने की तरफ संकेत करते है। 

  • यूरिन रूटीन और माइक्रोस्कोप (आर/एम) - यह एक पूरा यूरिन एनालिसिस है जो कि पेशाब में निम्न की जांच करता है -

    • पेशाब का रंग और बदबू। किसी भी रोग की स्थिति से जुड़ी असामान्यता
    • यूरिन में रक्त, शुगर और प्रोटीन की मौजूदगी जो कि पेपर स्ट्रिप से देखा जाता है। यह टेस्ट इस बात की भी जांच करता है कि आपके पेशाब में अम्ल की मात्रा कितनी है।
    • रक्त कोशिकाओं, सूक्ष्मजीवों और ट्यूमर कोशिकाओं  की मौजूदगी की जांच जो कि सूक्ष्मदर्शी में की जाती है।

यूरिक एसिड - यूरिक एसिड प्यूरिन के टूटने से बना एक पदार्थ है। प्यूरिन एक पदार्थ है जो कि मटर, मैकेरल, सूखी फलियों और बियर में पाया। अत्यधिक यूरिक एसिड यूरिन द्वारा निकल जाता है, लेकिन अगर यह रक्त में जमता है तो इससे गाउट और किडनी रोग हो सकते हैं।

  1. ओबेसिटी पैनल क्यों किया जाता है - Why Obesity Profile is done in Hindi
  2. ओबेसिटी पैनल से पहले - Before Obesity Profile test in Hindi
  3. ओबेसिटी पैनल के दौरान - During Obesity Profile test in Hindi
  4. ओबेसिटी पैनल के परिणाम का क्या मतलब है - What does Obesity Profile test result mean in Hindi

ओबेसिटी पैनल क्यों किया जाता है?

यदि आप अस्वस्थ हैं या फिर पहले से ही मोटापे के शिकार हैं तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं ताकि आपके मोटापे के कारण का पता लगाया जा सके।

इसके साथ ही यदि मोटापे के अलावा आपके शरीर में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह आपको दे सकते हैं। क्योंकि कुछ अन्य लक्षणों से आपका जीवन प्रभावित हो सकता है। निम्न लक्षणों के चलते आपको ओबेसिटी पैनल करवाने के लिए कहा जा सकता है -

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फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट के लिए आपसे टेस्ट से पहले बारह घंटे तक भूखे रहने को कहा जा सकता है। किसी भी तरह की हाइपोग्लाइसेमिक दवा जैसे इंसुलिन या ओरल मेडिसिन टेस्ट से पहले तब तक न लें जब तक कि आपके डॉक्टर आपको इसकी सलाह न दे। फास्टिंग हो जाने के बाद आपसे 75 ग्राम कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करने के लिए कहा जाएगा। भोजन के दो घंटे बाद और पीपी टेस्ट के बीच के समय में कुछ भी न खाएं। यदि आप गर्भवती हैं तो आपको भूखे रहने की जरूरत नहीं है। आप जो भी दवाएं ले रहे हैं उनके बारे में डॉक्टर को बता दें क्योंकि कुछ दवाएं टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।

टी3 टेस्ट के लिए आपको किसी भी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं है। कुछ विशेष दवाएं जैसे स्टेरॉइड्स, दौरे की दवाएं और गर्भ निरोधक गोलियां आदि इस टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। यदि आप इनमें से कोई भी ले रहें हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसे ही टी4 टेस्ट के लिए भी किसी तरह की तैयारी की जरूरत नहीं है। हालांकि, आप जो भी दवाएं ले रहे हैं उनके बारे में डॉक्टर को सूचित कर दें जैसे गर्भ निरोधक गोलियां, कार्डियक ड्रग्स, मिर्गी की दवाएं और एस्पिरिन क्योंकि ये टेस्ट के परिणाम पर असर कर सकती हैं। टीएसएच टेस्ट के लिए भी किसी तैयारी की जरूरत नहीं है।

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के लिए आपको टेस्ट से बारह घंटे पहले भूखे रहने को कहा जा सकता है। हार्ट अटैक, संक्रमण, सर्जरी, चोट और गर्भावस्था टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। इसीलिए सटीक परिणामों के लिए इस बात की सलाह दी जाती है कि इनमें से किसी भी स्थिति के होने के दो माह बाद लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाएं। यदि टेस्ट से दो दिन पहले या एक हफ्ते में आपके आहार में कोई बदलाव आए हैं, तो इसके बारे में भी डॉक्टर को बता दें। साथ ही आप अगर कोई भी दवा ले रहे हैं तो इस बारे में भी डॉक्टर को बता दें, क्योंकि टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

क्रिएटिनिन टेस्ट के लिए आपको किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं है। हालांकि, कुछ स्थितियां हैं जो इस टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे -

  • अत्यधिक मांस खाने से
  • गर्भावस्था
  • अत्यधिक विटामिन सी खाने से
  • सीमेटिडीन, रेनीटीडीन, फेमोटिडीन और ट्रीमिथोप्रिम

यदि आप इनमें से किसी भी स्थिति में हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

पानी की कमी की स्थिति में अत्यधिक द्रव पीने से आपके शरीर में प्रोटीन के स्तर बढ़ सकते हैं। इलास्टिक बैंड को रक्त लिए जा रहे समय पर अधिक देर के लिए बांह पर लगाकर न रखें, क्योंकि इससे एल्ब्यूमिन के स्तर बढ़ सकते हैं। इसके अलावा अपने डॉक्टर को उन सभी दवाओं के बारे में बता दें जो आप ले रहे हैं, क्योंकि कुछ दवाएं टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।

सोडियम टेस्ट से पहले आपको कुछ देर भूखे रहना होगा। आप जो भी दवाएं ले रहे हैं उनके बारे में डॉक्टर को बता दें। आपसे टेस्ट से पहले कुछ दवाएं न लेने को कहा जाएगा। पोटेशियम टेस्ट के लिए आपसे कुछ दवाएं छोड़ने को कहा जाएगा। दवाएं जैसे एपिनेफ्रीन, हेपारिन, हिस्टामिन, आइसोनायजिड, मनिटोल, सक्सिनिलकोलिन, एमिनोकैपरोइक एसिड, एंजियोटेनसिन रिसेप्टर ब्लॉकर, एंटीनियोप्लास्टिक ड्रग्स, एसीई इन्हीबिटर और पोटेशियम-स्प्रिंग डाईयुरेटिक से पोटेशियम के स्तर बढ़ सकते हैं। दूसरी तरफ एसेटोज़ोलामाइड, एमिनोसेलीसिलिक एसिड, एमफोटेरिसिन बी, कार्बेनीसिलिन, सिस्प्लास्टिन, जेंटामाइसिन, इंसुलिन, लैक्सेटिव, नैफेसिलिन, पेनिसिलिन जी, फेनोथायज़िन, सेलीसिलेट्स और सोडियम पोलिस्टेरेन सल्फोनेट से पोटेशियम के स्तर कम हो सकते हैं। यदि आपने बहुत अधिक पेय पदार्थ पीए हैं तो इससे आपके पोटेशियम के स्तर कम हो सकते हैं। आपको इन दवाओं को न लेने की सलाह दी जा सकती है। यदि उल्टी और दस्त के कारण आपके शरीर से द्रवों की क्षति हुई है तो आपके शरीर में क्लोराइड के स्तर कम हो सकते हैं। कैफीन युक्त पेय से आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

ऐसी दवाएं जो कि कैल्शियम टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं डॉक्टर उन्हें लेने से मना कर सकते हैं, जिनमें लिथियम, थायरोक्सिन, कैल्शियम के साल्ट वाले सप्लीमेंट और एंटासिड, थायज़िड डाईयुरेटिक और विटामिन डी। अत्यधिक मात्रा में दूध और डायरी पदार्थ लेने व विटामिन डी सप्लीमेंट से भी कैल्शियम के स्तर बढ़ सकते हैं।

रात के बाद से आपको फोस्फोरस टेस्ट के लिए भूखे रहने को कहा जा सकता है। कुछ भोज्य पदार्थ जैसे चॉकलेट, कुछ प्रकार की फलियां, पनीर, बियर, कोला और मछली से टेस्ट के रिजल्ट प्रभावित हो सकते हैं। डायलिसिस से भी टेस्ट के परिणामों पर असर पड़ सकता है। यदि आप कोई भी दवा ले रहे हैं तो डॉक्टर को बता दें और अगर विशेष निर्देशों की जरूरत है, तो इसके बारे में भी डॉक्टर से बात कर लें।

पीरियड्स का ब्लड भी यूरिन सैंपल को संक्रमित कर सकता है। कुछ विशेष पदार्थ जैसे भोजन में डाला जाने वाला रंग, बीट्स और विटामिन सी सप्लीमेंट से यूरिन का रंग प्रभावित हो सकता है। कुछ विशेष दवाएं एल-डोपा, एन्थ्राक्विनोन लैक्सेटिव, मेथोकार्बमोल, निट्रोफ्यूरेंटोइन, फैन्जोपाइरिडिन, राइबोफ्लेविन, रिफेम्पिसिन और सल्फासलाज़ीन से टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं और अगर आप ये ले रहे हैं तो इनके बारे में डॉक्टर को बता दें।

यूरिक एसिड टेस्ट के लिए आपको टेस्ट से चार घंटे पहले भूखे रहने को कहा जाएगा। डॉक्टर आपसे कुछ दवाएं लेने से मना कर सकते हैं, क्योंकि इससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। ऐसी दवाएं जो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकती हैं वे निम्न हैं -

  • एस्पिरिन
  • एस्कॉर्बिक एसिड
  • कैफीन
  • डियाज़ॉक्सिड
  • सिस्पलेटिन
  • डाईयुरेटिक
  • इथाम्बुटोल
  • एपिनेफ्रीन
  • लेवोडोपा
  • निकोटिनिक एसिड
  • मिथाइलडोपा
  • थेयोफीलिन
  • फेनोथायजिन

अल्कोहल से भी यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकतै है।

वे  दवाएं जो यूरिक एसिड के स्तर को कम कर सकती हैं, निम्न हैं -

  • एलोप्यूरिनोल
  • क्लोफिब्रेट
  • एज़ाथियोप्रिन
  • कॉर्टिकोस्टेरॉयड
  • फेबुक्सोस्टेट
  • एस्ट्रोजन
  • ग्लूकोज
  • प्रोबेनेसिड
  • गुयाफेनेसिन
  • मनिटोल 
  • वारफेरिन

ओबेसिटी पैनल में यूरिन आर/एम के अलावा सभी टेस्टों के लिए एक ब्लड सैंपल की जरूरत होगी। टेक्नीशियन आपकी बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड निकाल लेंगे। यह निम्न प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा -

  • डॉक्टर आपकी बांह के ऊपरी हिस्से में एक इलास्टिक बैंड बांधेंगे और सुई लगने वाली जगह को एंटीसेप्टिक से साफ किया जाएगा।
  • नस मिल जाने पर वहां सुई से पंक्चर करके रक्त ले लिए जाएगा। इस दौरान आपको हल्की सी चुभन महसूस हो सकती है।
  • एक बार रक्त ले लेने के बाद वे टूनिकेट और सुई निकाल देंगे रुई लगा देंगे।
  • इसके बाद सैंपल को एक कंटेनर में डालकर उस पर लेबल लगा दिया जाएगा और इसे लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाएगा

यूरिन आर/एम के लिए एक यूरिन सैंपल लेने की जरूरत होगी। यह एक चौबीस घंटे का सैंपल भी हो सकता है और दिन के किसी भी समय पर भी लिया जा सकता है। दिन के किसी भी समय पर यदि सैंपल लिया जाता है तो उसके लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जाएगी -

  • अपने हाथों को अच्छे से पानी और साबुन से धोएं
  • अपने जननांगों को अच्छी तरह से साफ करें और पेशाब की शुरुआती बूंदें टॉयलेट बाउल में करें
  • इसके बाद कंटेनर में पेशाब करें और इसे आधा भर लें
  • पेशाब खत्म करें और सैंपल को लेबल लगाकर लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दें

चौबीस घंटे के सैंपल के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जाएगी -

  • वैसे आप यूरिन किसी भी समय से इकठ्ठा करना शुरू कर सकते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में सुबह से करने की सलाह दी जाती है
  • सबसे पहला यूरिन इकट्ठा न करें, लेकिन उसका समय लिख लें, क्योंकि यह कलेक्शन के समय का पहला यूरिन होगा
  • अगले चौबीस घंटे के सारे पेशाब का सैंपल लें और इसे किसी ठंडी जगह पर या फिर फ्रिज में रखें
  • एक बार पेशाब इकट्ठा हो जाने पर इसे लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दें
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सामान्य परिणाम -

ओबेसिटी पैनल के सामान्य परिणाम निम्न हैं -

  • ब्लड शुगर (फास्टिंग) - 100 mg/dl से कम
  • ब्लड शुगर (पीपी ) -
    • डायबिटीज के मरीजों में - 180 mg/dL से कम
    • जो लोग डायबिटीज के मरीज नहीं है - 140 mg/dL से कम

थायराइड प्रोफाइल -

  • टी3 1-5 वर्ष के लिए - 105-270 ng/dL
  • टी3 6-10 वर्ष के लिए - 95-240 ng/dL
  • टी3 11-15 वर्ष के लिए - 80-215 ng/dL
  • टी3 16-20 वर्ष के लिए - 80-210 ng/dL
  • टी3 20-50 वर्ष के लिए - 70-205 ng/dL
  • टी3 50 से अधिक वर्ष के लिए - 40-180 ng/dL
  • टी4 1-5 वर्ष के लिए - 7-15 mcg/dL
  • टी4 5-10 वर्ष के लिए - 6-13 mcg/dL
  • टी4 10-15 वर्ष के लिए - 5-12 mcg/dL
  • टी4 के स्तर वयस्क पुरुष - 4-12 mcg/dL
  • टी4 के स्तर वयस्क महिला - 5-12 mcg/dL
  • टी4 60 वर्ष से अधिक - 5-11 mcg/dL
  • टी4 गर्भावस्था में  - 9-14 mcg/dL
  • टीएसएच  वयस्कों में - 2-10 mcU/mL

लिपिड प्रोफाइल -

  • बीस वर्ष या उससे कम के लिए टोटल कोलेस्ट्रॉल - 75-169 mg/dL
  • 21 वर्ष से अधिक के लिए टोटल कोलेस्ट्रॉल - 100-199 mg/dL
  • एचडीएल - 40 mg/dL से अधिक
  • जिनमें हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोग होते हैं या फिर होने का अधिक खतरा होता है उनमें - एलडीएल के सामान्य स्तर - 70 mg/dL से कम
  • अधिक रिस्क वाले मरीज में एलडीएल के स्तर - 100 mg/dL से कम 
  • जिन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज का कम खतरा होता है उनमें एलडीएल के स्तर - 130 mg/dL से कम
  • ट्राइग्लिसराइड  - 150 mg/dL से कम
  • वीएलडीएल - 30 mg/dL तक
  • कोलेस्ट्रॉल /एचडीएल - 3.5 -1 से कम

क्रिएटिनिन -

  • पुरुष - 0.9-1.3 mg/dL
  • महिला - 0.6-1.1 mg/dL
  • 3 और 18 वर्ष के बीच में - 0.5-1.0 mg/dL
  • 3 वर्ष से कम- 0.3-0.7 mg/dL

टोटल प्रोटीन  - 6-8.3 g/dL

सोडियम - 136-145 mmol/L

पोटेशियम -

  • वयस्क - 3.5-5.2 mEq/L 
  • बच्चे (1-18 वर्ष) - 3.4-4.7 mEq/L[52]

क्लोराइड -

  • व्यस्क - 98-106 mEq/L
  • बच्चे - 90-110 mEq/L
  • नवजात - 96-106 mEq/L
  • नवजात शिशु - 95-110 mEq/L
  • कैल्शियम - 8.5-10.2 mg/dL

फॉस्फोरस -

  • वयस्क - 2.8-4.5 mg/dL
  • बच्चे - 4.0-7.0 mg/dL

यूरिन आर/एम टेस्ट - यदि यूरिन का रंग पूरी तरह से रंगहीन से लेकर गाढ़ा पीला है, तो यह सामान्य रंग होता है।हालांकि, कुछ भोजन खाने से जैसे बीट्स और ब्लैक बेरी से रंग लाल हो सकता है। आमतौर पर सामान्य स्थितियों में यूरिन में निम्न मौजूद नहीं होते हैं -

यूरिक एसिड - 3.5-7.2 mg/dL

असामान्य परिणाम -

यदि ग्लूकोज टेस्ट (फास्टिंग और पीपी) के परिणाम अधिक हैं तो इसका मतलब है कि आपको डायबिटीज है -

यदि टी3 के स्तर सामान्य से अधिक हैं यह निम्न की तरफ संकेत करता है -

  • ग्रेव्स डिजीज
  • टॉक्सिक थायराइड एडेनोमा
  • प्लम्मर डिजीज
  • एक्यूट थाइरोडिटिस
  • स्ट्रुमा ओवरी
  • फैटिटियस हाइपरथायराइडिज्म
  • हेपेटाइटिस
  • कंजेनिटल हाइपरप्रोटीनेमिया

यदि टी3 के परिणाम सामान्य से कम हैं तो इसके निम्न मतलब हो सकते हैं -

यदि टी4 के परिणाम सामान्य से अधिक हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • ग्रेव्स डिजीज
  • एक्यूट थायरॉइडिटिस
  • टॉक्सिक थायराइड एडीनोमा
  • फैक्टीटियस हाइपरथायराइडिज्म
  • हेपेटाइटिस
  • कंजेनिटल हाइपरप्रोटीनेमिया
  • स्ट्रुमा ओवरी
  • थायराइड कैंसर
  • टॉक्सिक मल्टीनोड्यूलर गोइटर

यदि टी4 के स्तर सामान्य से कम हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • कंजेनिटल हाइपोथायराइडिज्म
  • मिक्सोडिमा
  • हाइपोथैलमस काम करना बंद कर देना
  • पिट्यूटरी ग्रंथि ठीक से काम न कर पाना
  • गुर्दे काम करना बंद कर देना
  • आयोडीन की कमी
  • सिरोसिस
  • कुशिंग सिंड्रोम
  • टीएसएच रिसेस्प्टर में कमी
  • थायराइड एजेन्सिस
  • हाशिमोटो थायरॉइडिटिस

टीएसएच के स्तर बढ़ने का निम्न में से कोई कारण हो सकता है -

  • थायरॉइडिटिस
  • प्राइमरी हाइपोथायराइडिज्म
  • कंजेनिटल हाइपोथायराइडिज्म
  • थायराइड एजेन्सिस
  • आयोडीन के अधिक खुराक
  • पिट्यूटरी टीएसएच-सिक्रेटिंग ट्यूमर

टीएसएच के स्तर कम होने का निम्न कारण हो सकते हैं -

  • हाइपरथायराइडिज्म
  • सेकेंडरी हाइपोथायराइडिज्म
  • पिट्यूटरी हाइपोफंक्शन

यदि लिपिड प्रोफाइल के स्तर असामान्य हैं तो यह हृदय संबंधी रोगों की ओर संकेत कर सकता है।

यदि आपके क्रिएटिनिन के स्तर सामान्य से अधिक हैं तो यह निम्न स्थितियों की तरफ संकेत कर सकता है -

यदि आपके क्रिएटिनिन के स्तर सामान्य से कम हैं तो यह निम्न स्थितियों के कारण हो सकता है -

यदि टोटल प्रोटीन के स्तर अधिक हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत करता है -

यदि आपके टोटल प्रोटीन के स्तर कम हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

यदि आपके शरीर में सोडियम के स्तर सामान्य से अधिक हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • किडनी में कोई विकार
  • दस्त
  • एड्रिनल ग्रंथि का विकार
  • डायबिटीज इन्सिपिडस

यदि आपके शरीर में सोडियम का स्तर सामान्य से कम है तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • दस्त
  • किडनी के रोग
  • उल्टी
  • एडिसन रोग
  • कुपोषण
  • सिरोसिस
  • हार्ट फेलियर

पोटेशियम का कम स्तर निम्न के कारण हो सकते हैं -

  • दस्त, पसीना आना या उल्टी
  • गंभीर जलन, या घाव
  • पोषण की कमी जो कि अत्यधिक शराब पीने के मामले में हो सकता है
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस
  • प्राइमरी एल्डोस्टेरोनिस्म
  • अत्यधिक शराब पीना

यदि आपके पोटेशियम के अधिक स्तर हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • किडनी डिजीज या किडनी फेलियर
  • अनियंत्रित डायबिटीज
  • सिस्टमिक लुपस एरिथमाटोसस
  • सिकल सेल
  • एडिसन डिजीज
  • ट्रामा जैसे जलना, एक्सीडेंट या सर्जरी

यदि आपके क्लोराइड के स्तर सामान्य से अधिक हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • रीनल ट्यूबूलर एसिडोसिस
  • एडिसन डिजीज
  • मेटाबोलिक एसिडोसिस
  • दस्त
  • रेस्पिरेटरी अल्कालोसिस

यदि आपके क्लोराइड के स्तर कम हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है - 

  • बार्टर सिंड्रोम
  • कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
  • जलना
  • पानी की कमी 
  • एसआईएडीएच सिक्रेशन
  • हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म
  • अत्यधिक पसीना आना
  • मेटाबोलिक एल्केलोसिस
  • रेस्पिरेटरी एसिडोसिस
  • उल्टी

आपके कैल्शियम के स्तर निम्न के कारण अधिक हो सकते हैं -

यदि आपका कैल्शियम के स्तर कम है तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

फॉस्फोरस के अधिक स्तर निम्न के कारण हो सकते हैं -

यदि आपके फास्फोरस के स्तर कम हैं तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • अत्यधिक शराब पीना
  • प्राइमरी हाइपोपैराथायरॉइडिज्म
  • बहुत खराब पोषण
  • हाइपरकैल्सीमिया
  • आहार में फॉस्फेट के कम स्तर
  • विटामिन डी की कमी, जिससे रिकेट्स या ओस्टोमलेसिया

यदि आपके यूरिन आर/एम टेस्ट के परिणाम असामान्य आते हैं तो यह निम्न स्थिति की ओर संकेत कर सकते हैं -

यदि आपके यूरिक एसिड के स्तर सामान्य से अधिक हैं तो यह निम्न की तरफ संकेत कर सकता है -

यदि आपके यूरिक एसिड के स्तर सामान्य से कम है तो यह निम्न के कारण हो सकता है -

  • विल्सन डिजीज
  • फैन्कोनी सिंड्रोम
  • आहार में प्यूरिन की कमी
  • एसआईएडीएच का स्त्राव

संदर्भ

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