किसी व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पहचान करने के लिए रियल-टाइम पॉलिमरेस चेन रिएक्शन यानी आरटी-पीसीआर टेस्ट को 'गोल्ड स्टैंडर्ड' का दर्जा प्राप्त है। भारत में अगर कोई अलग से इस टेस्ट को कराना चाहे तो इसके लिए उसे 4,500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान यानी आईसीएमआर ने इस टेस्ट के लिए यह कीमत तय की थी। लेकिन अब उसने इस संबंध में कुछ बदलाव किया है। खबर है कि आईसीएमआर ने आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमत से संबंधित निर्धारित शर्त हटा ली है। उसने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) से कहा है कि वे प्राइवेट लैबों के साथ समझौता कर इस टेस्ट की कीमत अपने हिसाब से तय कर सकते हैं।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिख कर कहा है कि घरेलू स्तर पर टेस्टिंग किट्स के उत्पादन के चलते कोविड-19 की डायग्नॉस्टिक सप्लाई में स्थिरता आई है। पत्र में उन्होंने लिखा है, 'इसे और टेस्टिंग से जुड़ी चीजों की कीमतों में हो रही वृद्धि को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि (आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए) बीती 17 मार्च को निर्धारित की गई 4,500 रुपये की कीमत अब से लागू नहीं रहेगी।' इसके बाद पत्र कहता है, 'लिहाजा सभी राज्यों/यूटी के प्रशासनों को सूचित किया जाता है कि वे प्राइवेट लैबों के साथ समझौता कर आपसी सहमति से सरकार द्वारा भेजे जा रहे सैंपलों की कीमत तय कर सकते हैं।'

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आईसीएमआर महानिदेशक का कहना है कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत में विश्व भर में टेस्टिंग किट का संकट था। उन्होंने कहा कि मॉलिक्यूलर डिटेक्शन के लिए जरूरी उपकरणों की उपलब्धता के लिए भारत आयातित उत्पादों पर निर्भर था। वहीं, मार्च के मध्य तक देश में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए कोई निर्धारित कीमत तय नहीं की गई थी। इस बारे में पत्र में लिखा है, 'आयात की गई किट्स की लागत को ध्यान में रखते हुए आईसीएमआर ने 4,500 रुपये की सीमा तय कर दी थी। (लेकिन) अब टेस्टिंग की आपूर्ति हो रही है और आप (राज्यों) में से कइयों को ये किट्स स्थानीय बाजार में भी मिल रही हैं। टेस्टिंग किट और मटेरियल के कई विकल्प होने के चलते उनके दामों को लेकर प्रतिस्पर्धा पैदा हो गई है और कीमतें कम होने लगी हैं।'

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इसके अलावा आईसीएमआर प्रमुख ने कहा कि देश की टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा, 'स्वदेशी कंपनियों का साथ देकर और उनका प्रचार कर उन्हें आगे बढ़ाने के कई प्रयास किए गए हैं। स्थानीय तौर पर स्वैब की मैन्युफैक्चरिंग, वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया और आरएनए एक्सट्रैक्शन किट्स की उपलब्धता के लिए जरूरी अप्रूवल दिए गए हैं। इसके अलावा, स्वदेशी डायग्नॉस्टिक किट्स को तेजी से मंजूरी दी जा रही है।'

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