ब्लड ट्रांसफ्यूजन को हिंदी में रक्ताधान कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे खून चढ़ाना कहा जाता है। रक्त दान से प्राप्त लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा को किसी व्यक्ति के शरीर में चढ़ाने की प्रक्रिया को ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन या रक्ताधान कहा जाता है।

ट्रॉमा, खून बहने का विकार या ऑपरेशन के कारण खून अधिक बह जाना इत्यादि परेशानियों के लिए खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। खून चढ़ाने की जरूरत तब भी पड़ती है जब शरीर खुद किसी कारण से आवश्यकता के अनुसार प्रयाप्त रक्त या रक्त के अन्य घटक बनाने में सक्षम नहीं होता है।

खून चढ़ाने के लिए आमतौर पर खून दान करने वाले स्वैच्छिक रक्तदाताओं से एकत्रित किया जाता है। दान किए गये खून की गहन जाँच होती है, ताकि किसी भी तरह के संक्रमण वाले खून को न चढ़ाया जा सके।

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इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि खून चढ़ाना क्या होता है, रक्ताधान की प्रक्रिया क्या होती है और खून चढ़ाने के फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि खून चढ़ाने की जरूरत किसे होती है।

  1. खून चढ़ाना क्या होता है - Blood transfusion kya hota hai in hindi
  2. रक्ताधान की प्रक्रिया - Blood transfusion procedure in hindi
  3. खून चढ़ाने के फायदे - Blood transfusion benefits in hindi
  4. खून चढ़ाने के नुकसान - Blood transfusion side effects in hindi

खून चढ़ाना एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें दान किया गया खून एक पतली नली से आपके हाथ की नस में चढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया से किसी का जीवन बचाया जा सकता है। अगर किसी को चोट या किसी ऑपरेशन की वजह से खून अधिक बह जाता है तो इस प्रक्रिया से खून चढ़ा कर उसे बचाया जा सकता है।

ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रक्रिया आमतौर पर बिना किसी जटिलता के हो जाती है। अगर कभी जटिलता होती भी है तो वो बहुत कम होती है। लोगों को कई कारणों से खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है, जैसे चोट लगना, ऑपरेशन के दौरान, ब्लीडिंग सम्बन्धी विकार आदि।

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खून के कुछ घटक होते हैं जो निम्नलिखित है -

  • लाल रक्त कोशिकाएं ऑक्सीजन को शरीर में धारण करती हैं और शरीर से अपशिष्ट हटाती हैं।
  • सफेद रक्त कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। (और पढ़े - सफेद रक्त कोशिकाएं बढ़ाने का उपाय)
  • प्लाज्मा खून का तरल भाग होता है।
  • प्लेटलेट्स सही से ब्लड क्लॉट होने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - प्लेटलेट्स बढ़ाने के उपाय)

ट्रांसफ्यूजन या रक्त आधान आपके शरीर को जरूरत पड़ने वाले घटक प्रदान करता है। लाल रक्त कोशिकाएं सबसे अधिक चढ़ाई जाने वाली घटक है। आपको सारे घटक एक साथ मौजूद हो इस तरह का खून भी चढ़ाया जा सकता है किंतु ऐसे कम किया जाता है।

शोधकर्ता कृत्रिम रक्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं किंतु अब तक मानव रक्त का कोई उचित विकल्प नहीं मिला है।

जब किसी को भी खून चढ़ाया जाता है तो यह देखा जाता है कि उसका खून कौन से प्रकार का है, जैसे कि ए, बी, एबी या ओ। अगर किसी को गलत खून चढ़ा दिया जाता है तो शरीर की एंटीबॉडीज इसे हस्तक्षेप समझ कर हमला करती है जिससे परेशानियां हो सकती है।

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लगभग 40 प्रतिशत लोगों का खून “ओ” समूह का होता है जो लगभग अधिकांश लोगों को चढ़ाया जा सकता है। अगर आपका समूह ओ है तो आपके समूह के लोगों को “यूनिवर्सल डोनर” कहा जाता है। अगर आपका रक्त समूह एबी है तो आप को किसी भी समूह का रक्त चढ़ाया जा सकता है। इसलिए आपके समूह के लोगों को “यूनिवर्सल रेसिपिएंट” कहा जाता है। अगर आपका आरएच मान नेगेटिव है तो आप आरएच नेगेटिव मान वाला ही खून ले सकते हैं।

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खून चढ़ाने की प्रक्रिया या रक्ताधान प्रक्रिया शुरू करने से पहले आपको पूरी प्रक्रिया समझा दी जाती है और आपसे एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं।

आपके रक्त समूह को जाँचने के लिए रक्त का नमूना लिया जाता है। आपको केवल वही रक्त चढ़ाया जाता है जो आपके रक्त समूह के किसी भी व्यक्ति के लिए सुरक्षित हो।

खून चढ़ाने के दौरान -

  • आपको बेड पर सुला दिया जाता है या चेयर पर बैठाया जाता है।
  • आपकी बांह या हाथ में एक सुई चुभाई जाती है।
  • इस सुई को एक ब्लड बेग की नली से जोड़ा जाता है।
  • नली से होता हुआ खून आपकी नसों में जाता है।
  • एक ब्लड के बेग को चढ़ाने के लिए लगभग 4 घंटे लग सकते है।

यदि आप गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं है या आपको बहुत अधिक रक्त की जरुरत नहीं है तो इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद आराम से घर जा सकते हैं।

(और पढ़े - खून की कमी का इलाज)

खून चढ़ा कर पूरी दुनिया में हर दिन हजारों रोगियों की जान बचाई जाती है। नाड़ियों से खून निकलने के कारण बहने वाले खून की पूर्ति खून चढ़ा कर की जा सकती है।

लाल रक्त कोशिका को चढ़ा कर रक्त में ऑक्सीजन की कमी पूरी की जा सकती है।

कीमोथेरेपी करवाने वाले रोगी को प्लेटलेट्स की जरुरत पूरी की जा सकती है या ऑपरेशन के कारण खून बह जाने की पूर्ति भी की जा सकती है।

प्लाज्मा रक्त के थक्के जमाने की क्षमता बनाए रख कर हेमोफिलिएक्स (एक ऐसी बीमारी जिसमें रक्त के थक्के नहीं जमते) को एक सामान्य जीवन जीने में मदद करता है और इसमें इम्युनोग्लोबुलिन (प्रतिरक्षा तंत्र की कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन का एक प्रकार जो एंटीबॉडी की तरह काम करता है) पाया जाता है जो निश्चित संक्रमण के जोखिम वाले व्यक्ति को निष्क्रिय रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।

(और पढ़े - प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ)

खून चढ़ाना आधुनिक चिकित्सा का एक उपयोगी अंग बन चुका है किंतु जब जरूरत हो तभी खून चढ़ाया जाना चाहिए।

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खून चढ़ाना एक सुरक्षित प्रक्रिया मानी जाती है किंतु फिर भी कुछ रोगियों को इससे असुविधा हो सकती है। खून चढ़ाने से होने वाले कुछ साइड इफेक्ट्स निम्नलिखित हैं -

ये हल्के साइड इफेक्ट्स सभी रोगियों को नहीं प्रभावित करते हैं और यदि आपको सही खून चढ़ाया गया हो तब भी ये प्रभाव हो सकते हैं। अगर गलत प्रकार का खून चढ़ा दिया जाता है तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है। हालाँकि, इस बात की संभावना न के बराबर है क्योंकि खून चढ़ाने से पहले अच्छे से जाँच की जाती है।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

संदर्भ

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