अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने विजडम यानी बुद्धिमत्ता के लिए जरूरी माने गए मानकों में अध्यात्म को भी शामिल किया है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी पत्रिका जर्नल ऑफ साइकिएट्रिक रिसर्च ने अपने एक हालिया ऑनलाइन एडीशन में इस जानकारी को प्रकाशित किया है। पिछले अध्ययनों में बुद्धिमत्ता के मानकों के रूप में छह कॉम्पोनेंट्स को आइडेंटिफाई किया गया है। इनमें प्रो-सोशल बिहेवियर या कहें समाज के प्रति संवेदनशील व्यवहार रखने के अलावा, भावनाओं पर नियंत्रण, आत्म-निरीक्षण या चिंतन, विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोणों की स्वीकृति, निर्णय लेने की क्षमता और सामाजिक निर्णय लेने में भूमिका जैसे मानक शामिल हैं। अब यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने इसमें अध्यात्म को भी जोड़ दिया है।

इस दावे को लेकर यूनिवर्सिटी के एक सीनियर एसोसिएट डीन और अध्ययन के लेखक दिलीप वी जेस्ते कहते हैं, 'इसे लेकर काफी विवाद रहा है कि अध्यात्म बुद्धिमत्ता का चिह्नक है या नहीं। हमारे अध्ययन में पता चला है कि अध्यात्म का बेहतर मानसिक स्वास्थ्य और भले व्यवहार से उल्लेखनीय संबंध है और यह किसी व्यक्ति की संपूर्ण बुद्धिमत्ता को बढ़ाने का काम कर सकता है।' यह दावा करने से पहले शोधकर्ताओं ने अमेरिका में रह रहे 20 से 82 वर्ष की उम्र के 1,786 लोगों का राष्ट्रीय सैंपल डेटा इकट्ठा किया था। प्रतिभागियों को सैन डिएगो विजडन स्केल के तहत 24 काम पूरे करने थे। साथ ही अध्यात्म/धार्मिकता, व्यवहार, लचीलेपन, प्रसन्नता, अवसाद, चिंता, अकेलेपन और सोशल नेटवर्क की क्षमता जैसे मानकों पर खरा उतरना था।

अध्ययन से जुड़े एक वैज्ञानिक माइकल थॉमस ने बताया कि हालांकि अध्ययन में प्रो-सोशल बिहेवियर समग्र बुद्धिमत्ता के लिए ज्यादा जरूरी मानक पाया गया है, फिर भी अध्यात्म विजडम का एक महत्वपूर्ण संकेतक तो है ही। उन्होंने यह भी बताया कि ज्यादा उम्र के लोग अध्यात्म को लेकर अधिक संवेदनशील रहते हैं और महिलाओं का स्पिरिचुअलिटी स्कोर पुरुषों से ज्यादा है। इस बारे में डॉ. जेस्ते का कहना है, 'अध्यात्म के लिए धार्मिक आस्था की जरूरत नहीं होती। इसकी विशेषता नम्रता और खुद से तथा दूसरों से जुड़ाव है, एक ऐसी सत्ता (या शक्ति) के लिए जो सब सीमाओं से बाहर है। जैसे प्रकृति या भगवान या आत्मा। यह (अध्यात्म) कई लोगों के तनाव कम करता है और उन्हें ज्यादा शांति देने, खुश तथा स्वस्थ रखने में मदद करता है। किसी चीज से जुड़ाव आपको कम अकेला महसूस कराता है।'

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