जन्म के बाद बच्चे को कई गंभीर रोग होने की संभावनाएं रहती है। बच्चा इन रोगों से सुरक्षित रहें इसलिए उसको समय-समय पर कई टीके लगाएं जाते हैं। बच्चों को लगने वाले टीके में एमएमआर भी महत्वपूर्ण होता है। ये टीका आपके बच्चे का खसरा (measles), गलसुआ (mumps), रूबेला (rubella/ German measles) से बचाव करता हैं। इस टीके को दो खुराक में बच्चे को दिया जाता है। बच्चे के स्कूल जाने की उम्र से पहले ही एमएमआर टीके लगवा देना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को बचपन में एमएमआर टीका नहीं लगा है तो वह इसको बाद में भी लगवा सकता है।

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इस वैक्सीन की उपयोगिता को देखते हुए आपको इस लेख में एमएमआर टीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको एमएमआर टीकाकरण क्या है, एमएमआर टीके की खुराक, एमएमआर टीका किसे नहीं देना चाहिए, एमएमआर टीके के साइड इफेक्ट और एमएमआर टीके से होने वाले जोखिम कारक आदि के बारे में भी विस्तार से बताया जा रहा है। 

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  1. एमएमआर टीकाकरण क्या है? - MMR tikakaran kya hota hai
  2. एमएमआर टीके की खुराक - MMR tike ki khurak
  3. एमएमआर टीका किसको नहीं देना चाहिए? - MMR tika kisko nhi dena chahiye
  4. एमएमआर के साइड इफेक्ट - MMR ke side effect
  5. एमएमआर टीके से होने वाले जोखिम कारक - MMR tike se hone vale jokhim karak
  6. सारांश
एमएमआर टीके के डॉक्टर

एमएमआर टीका बच्चों को दिया जाने वाला महत्वपूर्ण वैक्सीन है। इस एक टीके से ही बच्चे का खसरा (measles), गलसुआ (mumps), रूबेला (rubella/ German measles) से बचाव होता है। यह तीनों गंभीर रोग होते हैं और कुछ मामलों में ये तीनों ही रोग बच्चे के लिए घातक हो सकते हैं।

खसरा क्या होता है:
खसरे के वायरस से शरीर में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें पूरे शरीर में रैशेज के साथ ही बुखार, खांसी, नाक का बहना, आंखों से पानी आना व लाल होना आदि के लक्षण होते हैं। इसके अलावा खसरे में कान का संक्रमण, दस्त और निमोनिया होने की भी संभावनाएं रहती है। इसके कुछ मामलों में मस्तिष्क को क्षति होने के लक्षण भी देखें जाते हैं।

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गलसुआ (Mumps):
 गलसुआ के वायरस से शरीर में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, थकान, भूख ना लगना और सूजन के लक्षण होते हैं। इसके अलावा कान के अंदरूनी हिस्से में स्थित लार ग्रंथियों को छूने में दर्द होता है। इस रोग से बहरापन, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन, अंडकोष में सूज व अंडाशय में सूजन होने की संभावना बढ़ जाती है।

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रूबेला (rubella/ German measles):
रूबेला के वायरस से बुखार, गले में दर्द, रैशेज, सिरदर्द और आंखों में जलन के लक्षण होते हैं। यह बीमारी पीड़ित किशोरों में से करीब आधे किशोरों और अधिक उम्र की महिलाओं में गठिया का कारण बनती है। गर्भावस्था में रूबेला होने से मिसकैरेज या बच्चे को जन्म से ही विकार होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

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ये तीनों बीमारियां एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैलती है। यहां तक कि खसरे में तो मरीज व्यक्ति के संपर्क में आने की भी जरूरत नहीं होती है। यदि किसी कमरे में खसरे से पीड़ित मरीज करीब दो घंटे पहले तक रहा हो, तो उस कमरे में स्वस्थ के व्यक्ति जाने मात्र से ही उसको खसरा होने की संभावना होती है।

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एमएमआर टीके की खुराक कब दी जानी चाहिए, इस बारे में आगे विस्तार से बताया गया है।

  • पहली खुराक: बच्चे के 12 से 15 माह का होने पर (0.5 मिली लीटर)
  • दूसरी खुराक: बच्चे के 4 से 6 वर्ष की उम्र में (0.5 मिली लीटर)

जो बच्चे किसी दूसरे देशों में यात्रा के लिए जाने वाले हों, उनको 6 से 11 महीने का होने तक कम से कम एमएमआर की एक खुराक जरूर लेनी चाहिए। इसके अलावा 12 महिनों का होने के बाद बच्चे को अपनी यात्रा से पहले एमएमआर की दोनों खुराक लेनी चाहिए। एक साल या उससे अधिक आयु के जिन बच्चों ने एमएमआर की एक खुराक ली होती है, उनको भी गलसुआ होने का खतरा अधिक होता है। ऐसे में बच्चे को एमएमआर की अन्य खुराक लेना जरूरी होता है।

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वयस्कों को भी एमएमआर वैक्सीन लेने की आवश्यकता होती है। 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के वयस्क जिनको खसरा (measles), गलसुआ (mumps), रूबेला (rubella/ German measles) होने की संभावना अधिक होती है, उनको एमएमआर टीके की तीसरी खुराक दी जा सकती है। 

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एमएमआर वैक्सीन हर बच्चे या व्यक्ति को नहीं दी जाती है। इसीलिए आपको इस टीके को बच्चे को लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। निम्न तरह की परिस्थितियों में एमएमआर वैक्सीन नहीं दी जाती है या बच्चे को कुछ समय के लिए इंतजार करने के लिए कहा जाता है।

  • कोई गंभीर एलर्जी होना:
    एमएमआर की पिछली खुराक के बाद बच्चे या व्यक्ति को गंभीर एलर्जी हुई हो या इंजेक्शन की जगह पर एलर्जी हुई हो, तो ऐसे में उसको एमएमआर देने की सलाह नहीं दी जाती है। 

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  • गर्भवती महिला या प्रेग्नेंसी के लिए प्रयास करने वाली महिलाएं:
    प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रेग्नेंसी का अधिक समय होने के बाद ही एमएमआर वैक्सीन लेनी चाहिए। जबकि प्रेग्नेंसी की इच्छा रखने वाली महिलाओं को एमएमआर टीका लगाने के कम से कम एक महीने बाद ही गर्भधारण करने का प्रयास करना चाहिए।

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  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने पर:
    किसी रोग (जैसे कैंसर या एचआईवी) या इलाज (जैसे रेडिएशन, कीमोथेरेपी आदि) की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर आपको एमएमआर टीका लगाने से पहले डॉक्टर से पूछना चाहिए।  
     
  • परिवार के किसी सदस्य को स्वास्थ्य समस्या: 
    यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को पहले कभी रोग प्रतिरोधक क्षमता से संबंधित समस्या हो।

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  • हाल ही में खून चढ़ाया हो या खून के किसी तत्व को ग्रहण किया हो: 
    इस स्थिति में एमएमआर टीका लेने से पहले करीब तीन महीने या अधिक समय के लिए इंतजार करना चाहिए।
     
  • टीबी: 
    टीबी के मरीज को एमएमआर वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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  • किसी अन्य वैक्सीन को लेना:
     पिछले चार महिनों में किसी अन्य टीके या वैक्सीन को लेना।
     
  • तबीयत खराब होना: आमतौर पर किसी बीमारी के हल्के लक्षण (जैसे सर्दी जुकाम आदि) होने पर एमएमआर के टीके को लगाने के लिए इंतजार नहीं करना होता है। लेकिन अगर बीमारी के लक्षण ज्यादा गंभीर हैं तो ऐसे में टीके को लेने से पहले डॉक्टर की राय लेनी चाहिए।   
     
  • जल्द खून निकलने लगना: 
    अगर आसानी से घाव लग जाते हैं या जल्द खून रिसने लगता है तब टीका लगाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें। 

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अन्य दवाओं की तरह एमएमआर वैक्सीन से भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। हालांकि, अधिकतर मामलों में इसके हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिलते हैं। खसरा (measles), गलसुआ (mumps), रूबेला (rubella/ German measles) में इस टीके को सुरक्षित माना जाता है। लेकिन फिर भी इससे होने वाले कुछ साइड इफेक्ट को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

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इसके अलावा एमएमआर वैक्सीन से ज्वर दौरे (Febrile Seizures) होने का खतरा भी रहता है। ज्वर दौरे में बुखार की वजह से दौरे और शरीर में ऐंठन आ जाती है। दुर्लभ मामलों एमएमआर वैक्सीन लेने के बाद ज्वर दौरे की समस्या होती है और यह परेशानी लंबे समय तक नहीं होती है। लेकिन शिशु के बड़े होने के साथ ही उसमें ज्वर दौरे होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

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सामान्यतः एमएमआर टीका सुरक्षित होता है, लेकिन एमएमआर टीका लगाने के बाद बच्चों और वयस्कों को कुछ समस्याएं होने का खतरा रहता है। कई बार एमएमआर टीके की पहली खुराक में होने वाली परेशानियों का खतरा, उसकी दूसरी खुराक में नहीं होता है। आगे एमएमआर से होने वाले जोखिम को विस्तार से बताया गया है।  

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एमएमआर टीका खसरा, कण्ठमाला (मम्प्स) और रूबेला (जर्मन खसरा) से बचाव के लिए दिया जाने वाला एक टीका है। यह टीका बच्चों को आमतौर पर 12 से 15 महीने की उम्र में पहली खुराक के रूप में और 4 से 6 साल की उम्र में दूसरी खुराक के रूप में दिया जाता है। एमएमआर टीका बेहद प्रभावी और सुरक्षित माना जाता है। यह तीनों बीमारियों के खिलाफ इम्यूनिटी को मजबूत करता है, जो गंभीर जटिलताएं जैसे निमोनिया, मस्तिष्क की सूजन और जन्मजात विकारों का कारण बन सकती हैं। टीकाकरण के बाद हल्के साइड इफेक्ट्स जैसे बुखार या हल्की त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं, लेकिन गंभीर दुष्प्रभाव अत्यंत दुर्लभ होते हैं। एमएमआर टीका सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समुदाय में इन बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करता है।

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