भारत विभिन्न रीति रिवाजों वाला देश है. यहां हर नए चरण में प्रवेश करने जा रहे लोगों को कुछ रस्में निभानी पड़ती है. यह रस्में संस्कृतियों से जुड़ी होती हैं. ऐसा ही घर में संतान के पैदा होने पर भी होता है. बच्चा जब एक से तीन साल का होता है, तो उसका मुंडन करवाया जाता है. यह रस्म हिंदुओं, सिखों व मुस्लिम परिवारों में अक्सर देखने को मिलती है. इसे काफी ध्यान में रख कर ही करवाया जाता है.

आज लेख में आप जानेंगे कि बच्चों का मुंडन संस्कार क्यों करना चाहिए, कब करना चाहिए व कैसे होता है -

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  1. मुंडन संस्कार क्यों किया जाता है?
  2. मुंडन संस्कार कैसे किया जाता है?
  3. मुंडन संस्कार कब करना चाहिए?
  4. मुंडन के समय बरतें सावधानी
  5. सारांश

हिंदू धर्म में मुंडन करवाना सबसे ज्यादा जरूरी माना जाता है. इसके पीछे विभिन्न मान्यताएं हैं -

  • ऐसी धार्मिक मान्यता है कि जन्म के समय शिशु के सिर पर जो बाल होते हैं, वो अशुद्ध होते हैं. इसलिए, इन्हें हटाना जरूरी होता है.
  • इसके अलावा, मुंडन करने से बच्चे के बल, तेज व रोग से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है.
  • एक अन्य मान्यता के अनुसार मनुष्य योनी 84 लाख योनियों के बाद मिलती है. इसलिए, पिछले सभी जन्मों के पाप व ऋण को उतारने के लिए बच्चे का मुंडन किया जाता है.
  • मुंडन करने से बच्चे की बौद्धिक शक्ति में भी विकास होता है.
  • शुरू में बच्चे के बाल थोड़े अन इवन होते हैं. अगर एक बार इन्हें कटवा दिया जाए, तो आगे के बालों को एक जैसे और अच्छी तरह से बढ़ने में मदद मिल सकती है.

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भारतीय रीति रिवाजों में बच्चों के मुंडन को खास महत्व दिया जाता है. हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार माने गए हैं, जिनमें से मुंडन को 8वां संस्कार कहां जाता है. मुंडन यानी बच्चे के सिर से पहली बार बाल उतारना होता है. किसी-किसी धर्म में इसे चूड़ा संस्कार भी बोला जाता है. आइए, मुंडन संस्कार की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानते हैं -

  • कुछ लोग अपने बच्चे का मुंडन पवित्र नदी गंगा के किनारे करना पसंद करते हैं. मुंडन से पहले ब्राह्मण या पंडित को बुलाकर हवन या होम करवाया जाता है. फिर एक नाई को पास वाले मंदिर में ले जाकर उस्तरे से बच्चे के सिर को शेव करवा दिया जाता है.
  • उतरे हुए बालों को ऐसे ही नहीं फेंक दिया जाता है. हर बाल को इकठ्ठा करके भगवान को भेंट के रूप में चढ़ाया जाता है या फिर इन बालों को गंगा या उसकी सहायक नदियों में बहा दिया जाता है.
  • लड़के और लड़कियों का मुंडन अलग-अलग होता है. लड़कियों का सिर पूरी तरह से शेव करवा दिया जाता है, लेकिन लड़कों के थोड़े से बाल छोड़ दिए जाते हैं, जिसे चोटी या चूड़ा कहा जाता है. इसे शिखा भी कहा जाता है और यह उस बच्चे के गोत्र को दर्शाता है.
  • मुंडन होने के बाद बच्चे के सिर पर चंदन और हल्दी का एक पेस्ट लगाया जाता है. यह केवल शुद्धिकरण का ही एक भाग नहीं होता, बल्कि इसके द्वारा बच्चे के सिर में हल्दी और चंदन के एंटीसेप्टिक गुण पहुंचते हैं, जो उसे इंफेक्शन या किसी तरह की इरिटेशन से बचाते हैं. इस दिन बच्चे के सिर पर साबुन या शैंपू का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए.

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हिंदू धर्म की पुरानी मान्यताओं के अनुसार मुंडन बच्चे के 1 वर्ष या 3 वर्ष का होने पर ही किया जाता है. मान्यताओं अनुसार कुछ धर्म में केवल लड़कों का मुंडन होता है, तो कुछ धर्मों में लड़की का मुंडन लड़के के साथ किया जाता है.

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बच्चे का मुंडन करवाते समय कुछ खास सावधानी बरतना जरूरी है, ताकि बच्चे को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो. यहां कुछ ऐसी ही सावधानियों के बारे में बताया गया है -

  • बच्चे के बाल उतारने जो नाई आ रहा है वह उस काम में परफेक्ट हो, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है.
  • जिस ब्लेड का नाई प्रयोग कर रहा हो, वह एकदम नया हो.
  • जिस मंदिर या सैलून में जा रहे हैं, वहां का पहले से ही अपॉइंटमेंट लेना ठीक है. 
  • इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि इस दौरान बच्चा आराम से बैठा हुआ हो और वह ज्यादा इरिटेट न हो रहा हो. इसके लिए आप बच्चे के हाथ में उसका मनपसंद खिलौना पकड़ा सकते हैं.
  • बच्चे के सामने कोई शीशा नहीं होना चाहिए नहीं तो वह इसे देखकर डर भी सकता है.

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हिंदू धर्म में मान्यताओं के अनुसार बच्चे के शुद्धिकरण के लिए भी मुंडन किया जाता है. मुंडन यानी सिर से बालों को पहली बार हटाना. यह रस्म बच्चे के पहले या तीसरे वर्ष में पूरी की जाती है. मुंडन एक आवश्यक रस्म है, जिसे पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही करना चाहिए.

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