व्यक्ति की सुंदरता बढ़ाने में उसके दांतों की भूमिका अहम होती है। अगर दांत खूबसूरत हों तो मुस्कान में चार चांद लग जाते हैं। सभी माता-पिता बचपन से ही बच्चों के दांत सुंदर बनाने के प्रयास में लगे रहते हैं। अक्सर हमने देखा है कि छोटे बच्चों के दांत शुरू में टेढ़े मेढ़े निकलना शुरू होते हैं जिस पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चों के बड़े होने के बाद भी दांत टेढ़े ही रहते हैं।

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अक्सर बच्चों की आदत होती है दांतो को जीभ से धक्का देते रहने की लेकिन दादी-नानी के अनुसार कच्चे दांतों के टूटने के बाद जब पक्के दांत निकल रहे हों तो उन्हें जीभ से धक्का नहीं देना चाहिए इससे दांत टेढ़े निकलते हैं। यह एक भ्रम भी हो सकता है। ज्यादातर माताएं अपने बच्चे के टेढ़े मेढ़े दांतो को लेकर परेशान रहती हैं। आज का हमारा लेख भी इसी विषय में हैं, इस लेख के जरिए जानेंगे कि बच्चों के दांत टेढ़े मेढ़े निकलने की क्या वजहें हैं?

  1. बच्चों के टेढ़े मेढ़े दांत क्यों निकलते हैं? - Baccho ke tedhe-medhe daant niklne ke karan
  2. बच्चों के दांत टेढ़े मेढ़े निकलने से कैसे बचाएं - Baccho ke daant tedhe medhe nikalne se kaise roke

कई बार दांत बचपन से ही लापरवाही के कारण टेढ़े होते हैं और कई मामलों में इसके प्राकृतिक कारण भी होते हैं। कई मामलों में यह समस्या आनुवंशिक भी होती है जो एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में भी जा सकती है।

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निम्नलिखित कारणों से बच्चों के दांतों की प्राकृतिक संरचना में परिवर्तन आ जाता है:

  • ​कई बार बच्चों की अंगूठा चूसने की आदत ज्यादा समय तक रहती है जिसके कारण बड़े होने पर उनके दांत टेढ़े मेढ़े निकलने लगते हैं जिसे ओवरबाइट (दांतों का जबड़े और मुंह से बाहर निकलना) कहते हैं। ऐसा करने से जबड़े के आकार में भी परिवर्तन आ जाता है और इससे टेढ़े मेढ़े दांत निकलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • 3 वर्ष की आयु के बाद पेसिफायर का इस्तेमाल करना भी बच्चों के टेढ़े मेढ़े दांत निकलने का एक बड़ा कारण है। (और पढ़ें - बच्चों को चुप कराने का तरीका)
  • बच्चों को लम्बे समय तक बोतल से दूध पिलाने से भी दांतों के आकार में परिवर्तन आ जाता है।
  • अगर बच्चों को किसी प्रकार की चोट लग जाती है तो इससे उनके जबड़ों का आकार प्रभावित होता है, परिणामस्वरूप बच्चों के दांत टेढ़े निकलते हैं।
  • बिना किसी कारण से दूध का दांत किसी हादसे में टूट जाने से भी बच्चों के दांत टेढ़े निकलते हैं।
  • मुंह से सांस लेना, एलर्जी और टॉन्सिल से भी दांतों का आकार टेढ़ा हो सकता है। 

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निम्नलिखित तरीकों से बच्चों के दांतों को टेढ़े मेढ़े होने से बचाया जा सकता है:

  • बच्चों को लम्बे समय तक बोतल से दूध नहीं पिलाना चाहिए। (और पढ़ें - बच्चों में टॉन्सिल के लक्षण)
  • 3 वर्ष से बड़े बच्चों को पेसिफायर नहीं देना चाहिए।  
  • समय-समय पर दांतों की जांच चिकित्सक से करवाते रहना चाहिए क्योंकि कई मामलों में देखा गया है कि बच्चों के दूध के दांत नहीं टूटते और पक्के दांत आना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर द्वारा दूध के दांतों को निकलवा देना चाहिए।
  • बच्चे को अंगूठा चूसने से रोकें। (और पढ़ें - बच्चों के फोड़े फुंसी का इलाज)
  • बच्चे को अच्छे से ब्रश करवाना चाहिए।

कई बार होता है कि माता पिता बच्चों के दांतों पर बचपन से ही ध्यान नहीं देते और बड़े होने पर उनके दांत टेढ़े ही निकलते हैं। अगर बच्चों के दांतों पर बचपन से ही ध्यान दिया जाता है तो आगे चलकर यह समस्या थोड़ी कम हो सकती है। क्योंकि मनमोहक मुस्कान के लिए दांतों का सुंदर होना बहुत जरूरी होता है। ज्यादातर माता-पिता इसे आम समस्या समझकर छोड़ देते हैं लेकिन इसके विषय में डॉक्टर से सम्पर्क नहीं करते हैं। किसी भी समस्या के समाधान के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी होता है। 

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संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Teething
  2. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Teeth development in children
  3. government of United Kingdom [Internet] Oral lidocaine-containing products for infant teething: only to be available under the supervision of a pharmacist
  4. Macknin ML1, Piedmonte M, Jacobs J, Skibinski C. Symptoms associated with infant teething: a prospective study. Pediatrics. 2000 Apr;105(4 Pt 1):747-52. PMID: 10742315
  5. U. S Food and Drug Association. [Internet]. Safely Soothing Teething Pain and Sensory Needs in Babies and Older Children
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