एक सीमा से ज्यादा शराब पीना हैंगओवर की वजह बन जाता है। हालांकि शराब के खुमार के आगे वे इसे बर्दाश्त करते चले जाते हैं। वे हैंगओवर से निजात पाना चाहते हैं, लेकिन अल्कोहल के सेवन को त्यागना नहीं चाहते। ऐसे ड्रिकिंग लवर्स इस खबर से खुश हो सकते हैं। दरअसल, फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने शायद हैंगओवर की समस्या का इलाज ढूंढ लिया है। अल्कोहल एंड अल्कोहोलिज्म नामक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिंकी और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि एल-सिसटिन अमीनो एसिड से अल्कोहल से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है। इनमें उल्टी, सिरदर्द, तनाव और एंग्जाइटी शामिल है।

अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के मुताबिक, अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 19 पुरुषों के एक समूह पर एल-सिसटिन अमीनो एसिड को आजमाया। वहीं, इस मॉलिक्यूल के प्रतिभागियों पर पड़ने वाले प्रभावों की तुलना करने के लिए एक अलग समूह में शामिल लोगों को प्लसीबो ड्रग दिया गया। शोधकर्ताओं ने मुख्य समूह के प्रतिभागियों को शराब के सेवन के बाद 1200 मिलीग्राम और 600 मिलीग्राम के डोज दिए।

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शोध के दौरान प्रतिभागियों को तीन घंटे से ज्यादा समय तक शराब पीने को कहा गया था। उसके बाद उन्हें प्लसीबो या एल-सिसटिन की टैबलेट लेने की सलाह दी गई। इसके बाद की गई जांच में पता चला कि एल-सिसटिन ने प्रतिभागी ड्रिंकर्स में उल्टी, सिरदर्द, स्ट्रेस और एंग्जाइटी जैसे हैंगओवर लक्षणों को कम या खत्म कर दिया था। परिणामों के मुताबिक, एंग्जाइटी और स्ट्रेस जैसे लक्षण हल्के डोज से ही कम होते पाए गए। वहीं, उल्टी और सिरदर्द को कम या खत्म होने के लिए 1200 मिलीग्राम वाले डोज की जरूरत पड़ी। हालांकि अध्ययन के दौरान सही परिणाम पाने के प्रयास में कुछ अड़चनें भी आई जो इस प्रकार हैं-

  • अध्ययन में शामिल कुछ प्रतिभागी परिणाम हासिल करने के लिए दी गई शराब की न्यूनतम मात्रा भी नहीं पी सके और पहले ही बाहर हो गए
  • कुछ प्रतिभागियों की अल्कोहल बर्दाश्त करने की क्षमता इतनी ज्यादा थी कि उनमें हैंगओवर के लक्षण दिखाई ही नहीं दिए
  • पूरी शराब पीने के बाद कुछ प्रतिभागियों को नहीं लगा कि उन्हें पर्याप्त मदिरा दी गई है और वे अध्ययन को छोड़ कर चले गए

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क्या है एल-सिसटिन?
यह सिसटिन नाम के अमीनो एसिड का एक प्रकार है, जो प्रोटीन और अन्य मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं के लिए जरूरी माना जाता है। अध्ययन से जुड़ी रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ रॉचस्टर मेडिकल सेंटर के हवाले से बताया गया है कि एल-सिसटिन अमीनो एसिड को आर्थराइटिस और धमनियों में रुकावट (एथेरोस्क्लोरोसिस) के इलाज में इस्तेमाल किया जा चुका है। यूनिवर्सिटी की मानें तो फेफड़ों से जुड़ी कुछ विशेष बीमारियों में भी एल-सिसटिन आजमाई जाती रही है। गौरतलब है कि एल-सिसटिन अमीनो एसिड बतौर मॉलिक्यूल शरीर में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में भी इसकी प्रचुरता होती है।

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