महाधमनी विच्छेदन (एओर्टिक डायसेक्शन) - Aortic Dissection in Hindi

Dr. Suvansh Raj NirulaMBBS

August 22, 2020

January 04, 2021

महाधमनी विच्छेदन
महाधमनी विच्छेदन

महाधमनी, शरीर की सबसे बड़ी और मुख्य बड़ी धमनी होती है, जो पूरे शरीर में रक्त का संचार करती है। कई बार तमाम परिस्थितियों के कारण महाधमनी में विच्छेदन हो जाता है, इसे एओर्टिक डायसेक्शन के नाम से जाना जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें धमनी के आंतरिक परत लुमेन से रक्त लीक करने लगता है। लीक होने वाला रक्त महाधमनी के दीवार की आंतरिक और मध्य परतों के बीच विभाजन करने लगता है। यही रक्त अगर महाधमनी की बाहरी दीवार से भी बाहर निकलने लगे तो यह जानलेवा हो सकता है। हृदय और फेफड़ों के आसपास रक्त पहुंचने पर खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

एओर्टिक डायसेक्शन की स्थिति खतरनाक होने के साथ दुर्लभ भी है। यह शिकायत ज्यादातर 60 और 70 साल की उम्र वाले लोगों में ज्यादा होती है। इस बीमारी के लक्षण बहुत ज्यादा स्पष्ट नहीं होते क्योंकि इसमें भी हृदय संबंधी अन्य बीमारियों के तरह ही लक्षण दिखाई देते हैं। यदि समय रहते एओर्टिक डायसेक्शन का पता चल जाए और तुरंत ही इसका इलाज शुरू हो जाए तो स्थिति के सुधरने और जान जाने का खतरा कम हो जाता है। इस लेख में हम महाधमनी विच्छेदन के लक्षण, कारण और के बारे में जानेंगे।

महाधमनी विच्छेदन के लक्षण - Aortic Dissection symptoms in hindi

जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि महाधमनी विच्छेद के लक्षण भी हृदय की अन्य बीमारियों की तरह होते हैं, यही कारण है कि इसके शुरुआती लक्षणों को समझने में दिक्कत होती है। सीने और पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द इसके प्रमुख लक्षण होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि महाधमनी में विच्छेदन शुरू होने के साथ ही दिल में अचानक से दर्द शुरू होता है जोकि चारों ओर बढ़ने लगता है। इसके अलावा जिन लोगों को निम्न प्रकार की समस्याएं आ रही हों उन्हें एओर्टिक डायसेक्शन की शिकायत हो सकती है।

यदि आपको सीने में दर्द, बेहोशी, सांस की तकलीफ या स्ट्रोक जैसे लक्षणों का अनुभव हो ता तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। वैसे तो हर बार इस तरह के लक्षण गंभीर नहीं होते हैं लेकिन इनका यथाशीघ्र जांच और उपचार बहुत आवश्यक होता है। यदि आपमें यह लक्षण महाधमनी विच्छेद के हैं और समय पर इनका उपचार नहीं हो पाता है तो यह आंतरिक रक्तस्राव और हार्ट डैमेज का भी कारण बन सकता है।

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महाधमनी विच्छेदन के कारण - Aortic Dissection causes in hindi

एओर्टिक डायसेक्शन, मुख्य रूप से महाधमनी के उन हिस्सों में होता है जो अपेक्षाकृत कमजोर होती हैं। क्रोनिक हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में महाधमनी के ऊतकों में तनाव उत्पन्न होता है और उनमें से रक्त का रिसाव शुरू हो जाता हो जाता है। इसके अलावा कुछ लोगों में जन्म से ही महाधमनी में कमजोरी होती है। मार्फन सिंड्रोम, बाइसीपिड एओर्टिक वाल्व और कई अन्य प्रकार की बीमारियां भी महाधमनी की दीवारों को कमजोर बना सकती हैं। दुर्घटना के दौरान छाती में लगने वाले चोट के कारण यह समस्या हो सकती है लेकिन ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।

एओर्टिक डायसेक्शन मुख्यरूप से दो प्रकार का होता है।

टाइप ए (एसेंडिंग एओर्टा): एओर्टिक डायसेक्शन का एक रूप है एसेंडिंग एओर्टा। ज्यादातर लोगों में यही समस्या देखने को मिलती है और यह सबसे खतरनाक भी है। इसमें महाधमनी के ऊपरी हिस्से से रक्त निकलता है। इसके पेट या उस क्षेत्र में भी बढ़ने का सबसे ज्यादा डर रहता है जहां महाधमनी और हृदय अलग होते हैं।

टाइप बी (डिसेंडिंग एओर्टा): इसमें एओर्टा के निचले हिस्से से रिसाव होता है। इससे निकलने वाले रक्त के पेट के विभिन्न हिस्सों में पहुंचने का डर रहता है।

महाधमनी विच्छेदन के जोखिम कारक - Risk Factors of Aortic Dissection in hindi

कई सारी बीमारियों के चलते एओर्टिक डायसेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि अगर आपको निम्न समस्याएं हैं और एओर्टिक डायसेक्शन के बताए गए संभावित लक्षण नजर आ रहे हैं तो यशाशीघ्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। शुरुआती स्तर में इलाज मिल जाने से खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

  • अनियंत्रित उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन)
  • धमनियों का सख्त होना (एथेरोस्क्लेरोसिस)
  • धमनी में कमजोरी और उभार होना (महाधमनी धमनीविस्फार)
  • महाधमनी की वाल्व में किसी प्रकार का दोष (बाइसेपिड एओर्टिक वाल्व)
  • जन्म के समय से ही महाधमनी में संकुचन (महाधमनी का संकुचन)

इसके अलावा कुछ आनुवंशिक रोगों भी महाधमनी विच्छेदन का खतरा बढ़ा सकते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।

टर्नर सिंड्रोम: इस विकार के परिणामस्वरूप हाई ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी समस्याएं और कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं जो महाधमनी विच्छेदन के जोखिमों को बढ़ा सकती हैं।

मार्फन सिन्ड्रोम: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में विभिन्न संरचनाओं के सहायक संयोजी ऊतकों में कमजोरी आने लगती है। जिन लोगों के परिवार के सदस्यों को महाधमनी और अन्य रक्त वाहिकाओं के विस्फार की अथवा महाधमनी विच्छेदन की शिकायत रह चुकी हो उनमें मार्फन सिन्ड्रोम होने का खतरा रहता है।

अन्य स्थितियां: महिलाओं के अपेक्षा पुरुषों महाधमनी विच्छेदन का खतरा दोगुना होता है। 60 से 80 साल की आयु वाले लोगों में खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा ड्रग्स का सेवन करने वाले और गर्भवती महिलाओं में भी एओर्टिक डायसेक्शन का जोखिम रहता है। व्यायाम के दौरान बहुत अधिक वजन उठाने वालों को भी इस समस्या से सर्तक रहने की आवश्यकता होती है, क्योंकि व्यायाम के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

एओर्टिक डायसेक्शन का निदान - Diagnosis of Aortic Dissection in hindi

जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि एओर्टिक डायसेक्शन का पता जितनी जल्दी चल जाए, बीमारी के ठीक होने और रोगी के बचने की संभावना उतनी बढ़ जाती है। कई बार यह जानलेवा स्थिति अचानक से होती है जिसमें आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत पड़ती है।

बीमारी का निदान करने के लिए डॉक्टर आपसे मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछने के साथ हृदय गति की जांच करते हैं। उपकरणों के माध्यम से डॉक्टर सीने से आ रही तेज़ ध्वनि या घरघराहट की आवाज को सुनने की कोशिश करते हैं जो महाधमनी वाल्व में किसी प्रकार की समस्या का संकेत हो सकता है। इसके अलावा रोगी के दोनों हाथों से ब्लड प्रेशर की जांच की जाती है। यदि दोनों हाथों की जांच में कोई भिन्नता पाई जाती है तो यह महाधमनी विच्छेदन का संकेत हो सकता है।

बीमारी की पुष्टि के लिए डॉक्टर आपको कई सारे परीक्षण कराने को कह सकते हैं। उनमें से कुछ टेस्ट निम्नलिखित हैं।

  • एक्स-रे: इस परीक्षण के माध्यम से दिल, फेफड़ों और महाधमनी की स्थिति को देखा जा सकता है। एक्स-रे से यह पता लगाया जा सकता है कि महाधमनी की चौड़ाई बढ़ तो नहीं रही है? महाधमनी का बढ़ना विच्छेदन का संकेत हो सकता है।
  • सीटी स्कैन: यह परीक्षण आपकी छाती और पेट के क्रॉस-सेक्शन को दर्शाता है। महाधमनी विच्छेदन के स्थान और आकार की जांच करने में सीटी स्कैन काफी प्रभावी होता है।
  • मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई): महाधमनी के क्रॉस-सेक्शन को देखने के लिए डॉक्टर एमआरआई टेस्ट की सलाह देते हैं।
  • मैग्नेटिक रेज़ोनेंस एंजियोग्राम (एमआरए): महाधमनी और रक्त वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह की स्थिति  को जानने के लिए एमआरए टेस्ट कराया जाता है।
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महाधमनी विच्छेदन का इलाज-Treatment of Aortic Dissection in hindi

रोग की पुष्टि के लिए किए गए परीक्षणों के आधार पर महाधमनी की स्थिति का अंदाजा लग जाता है। एओर्टिक डायसेक्शन, आमतौर पर आपातकालीन स्थिति होती है जिसमें रोगी को त्वरित रूप से उपचार की आवश्यकता होती है। एओर्टिक डायसेक्शन के मुख्य रूप से दो उपचार माध्यम होते हैं। पहला दवाइयां और दूसरा सर्जरी।

दवाइयों से इलाज

रोगी के ब्लड प्रेशर को कम रखने और हृदय की गति को कम रखने के लिए बीटा-ब्लॉकर्स और सोडियम नाइट्रोप्यूरीसाइड (नाइट्रोप्रेस) का इस्तेमाल किया जाता है। टाइप ए और टाइप बी दोनों के लिए इन्हीं दवाइयों को प्रयोग में लाया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर आपको हृदय गति और ब्ल्ड प्रेशर की जांच कराते रहने की सलाह दे सकते हैं।

सर्जरी

एओर्टिक डायसेक्शन किस प्रकार का है, उसी के आधार पर सर्जरी की जाती है।

टाइप ए: इसमें महाधमनी का जितना भाग विच्छेदित होता है सर्जरी उसे निकाल देते हैं और ग्राफ्ट नाम के ट्यूब से उस भाग को कवर कर दते हैं जिससे सामान्य प्रक्रिया जारी रह सके। यदि महाधमनी के क्षतिग्रस्त होने के परिणामस्वरूप वाल्व लीक हो रहा होता है, तो उसकी जगह ग्राफ्ट को सेट किया जाता है।

टाइप बी: टाइप ए की तरह टाइप बी में भी ग्राफ्ट प्रक्रिया वही रहती है। टाइप बी की सर्जरी के दौरान आवश्यकतानुसार स्टेंट का भी प्रयोग किया जाता है।

उपचार के बाद आपको हमेशा ब्लड प्रेशर को कम रखने वाली दवाइयों को लेने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा स्थिति की निगरानी रखने के लिए समय-समय पर सीटी स्केन और एमआरआई जैसे जांच कराते रहना होता है।

महाधमनी विच्छेदन से बचाव के तरीके- Prevention of Aortic Dissection in hindi

कुछ उपायों को ध्यान में रखकर आप एओर्टिक डायसेक्शन की समस्या से स्वयं को बचा सकते हैं। अगर आपको हृदय संबंधी कोई समस्या हो और महाधमनी विच्छेदन का खतरा हो तो नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहें। इससे नियमित रूप से हृदय की जांच होती रहेगी और अगर एओर्टिक डायसेक्शन की समस्या होती भी है तो उसे शुरुआती स्तर पर ठीक किया जा सकेगा। एओर्टिक डायसेक्शन से बचने के लिए निम्न उपायों को भी प्रयोग में लाएं।

ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें: यदि आपको उच्च रक्तचाप की शिकायत है तो दवा, आहार और व्यायाम जैसे माध्यमों से इसे नियंत्रण में रखें। आपको ब्लड प्रेशर की जांच करने वाली मशीन भी अपने पास रखनी चाहिए जिससे समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच कर सकें।

धूम्रपान न करें: यदि आप धूम्रपान करते हैं तो इसे छोड़ दें। यदि आपसे यह आदत नहीं छूट रही हो तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बताएं, वह आपकी मदद कर सकते हैं।

हृदय को स्वस्थ रखें: साबुत अनाज, फल, सब्जियां का सेवन करें और नियमित व्यायाम करें। खाने में नमक की मात्रा को कम करें। इस प्रकार से खान पान की आदतों को सुधार कर आप अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं।

सीट बेल्ट पहनिए: सफर के दौरान हमेशा सीट बेल्ट पहन कर रखें। इससे किसी दुर्घटना की स्थिति में छाती पर लगने वाली चोट के खतरे को कम किया जा सकता है।