एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में कौन नहीं जानता? सर्दी-जुखाम जैसी छोटी-मोटी बीमारियों में भी हम सब धड़ल्ले से एंटीबायोटिक दवा खा लेते हैं। ऐसे मामलों में तो अक्सर ज्यादातर लोग डॉक्टर की सलाह भी नहीं लेते, लेकिन उनकी यही नादानी उनको स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानी में भी डाल सकती है। एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल पूरी दुनिया में बड़ा खतरा बनता जा रहा है। यही वजह है कि दुनियाभर में हर साल 18-24 नबंवर के बीच वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस सप्ताह मनाया जाता है। इसका उदेश्य एंटीबायोटिक दवाओं से सेहत पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

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क्या है एंटीबायोटिक और कितनी घातक?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एंटीबायोटिक दवाएं, वायरस या संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) तब होता है, जब इन दवाओं के उपयोग से बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि-

  • एंटीबायोटिक के गलत इस्तेमाल से बैक्टीरिया दवा के प्रति अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा लेते हैं और फिर ये बैक्टीरिया किसी भी व्यक्ति या जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं।
  • ऐसी स्थिति में दवा रोधी बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है, जबकि आम बैक्टीरिया का इलाज बेहद आसान और सुलभ है।
  • दवा रोधी बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण का इलाज काफी महंगा तो है ही, इसके अलावा लंबे समय तक अस्पताल में रहकर इलाज कराना पड़ सकता है और इससे मृत्यु का जोखिम भी बढ़ाता है।

क्यों ठीक नहीं ज्यादा एंटीबायोटिक?
एंटीबायोटिक्स वर्तमान में मेडिकल क्षेत्र में सबसे अधिक प्रिस्क्राइब (डॉक्टरों द्वारा दी) की जाने वाली दवाओं में से हैं। ये दवाएं बैक्टीरिया को मारकर बीमारी का इलाज करती हैं। मगर एंटीबायोटिक दवाओं में साइड इफेक्ट भी होते हैं। एंटीबायोटिक्स लेने से मरीज को फायदा तो होता है, लेकिन इनके ज्यादा सेवन से ज्यादा बड़ी समस्या हो सकती है। कैसे, ये जानना जरूरी है, मगर उससे पहले इन तथ्य को जानें -

  • कुछ लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं से एलर्जी या अन्य दिक्कतें हो सकती हैं, जिनमें गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं।
  • दवा रोधी बैक्टीरिया वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। क्योंकि, ये बैक्टीरिया किसी भी देश में, किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।
  • निमोनिया, तपेदिक (टीबी), सूजाक (गोनोरिया- एक यौन संचारित बीमारी) और साल्मोनेलोसिस (आंतों को प्रभावित करने वाली बैक्टीरियल बीमारी) जैसी इंफेक्शन लगातार बढ़ रहे हैं और उनका इलाज भी कठिन होता जा रहा है, क्योंकि इनके इलाज के लिए जिन एंटीबायोटिक का इस्तेमाल होता है उनका असर कम हो रहा है।
  • एंटीबायोटिक्स हर मर्ज की दवा नहीं हैं। एंटीबायोटिक सर्दी और फ्लू जैसी बीमारियों का इलाज नहीं करते।

जागरुकता सप्ताह क्यों जरूरी?
68वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने साल 2015 में रोगाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) और दवा रोधी बैक्टीरिया के खिलाफ कार्ययोजना बनाई। इसके तहत दवा रोधी वैक्टीरिया के प्रति आम लोगों की समझ विकसित करना और जागरुकता बढ़ाना प्रमुख उद्देश्य था। एंटीबायोटिक्स पर वैश्विक जागरुकता बढ़ाने, उनका किस तरह से इस्तेमाल हो और दवा रोधी बैक्टीरिया के खतरे के प्रति लोगों की समझ विकसित करने के लिए नवंबर माह में एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक मनाया जाता है। चिंताजनक है कि इनके संबंध में लोगों को काफी कम जानकारी है।

क्या है डॉक्टर की राय?
myUpchar से जुड़ी डॉक्टर शहनाज़ जफ़र के मुताबिक एंटीबायोटिक प्रतिरोध बहुत घातक है। क्योंकि शरीर पर दवा का दुष्प्रभाव भी हो सकता है और बाद में इसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, वर्तमान में डॉक्टर इसकी परवाह किए बगैर वायरल फीवर (एक प्रकार का बुखार) में भी एंटीबायोटिक दवा की सलाह देते, जो एक तरह से सही नहीं है। दरअसल 24 घंटे के भीतर एंटीबायोटिक लेना ठीक नहीं माना जाता है। इसलिए अगर बुखार है तो उसकी जांच जरूरी है कि बुखार किस प्रकार का है। 

कुल मिलाकर हमारे शरीर में मौजूद ज्यादातर बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जो आपको नुकसान पहुंचाते हैं, जबकि कुछ बैक्टीरिया थोड़े मददगार भी होते हैं। मगर एंटीबायोटिक का अनावाश्यक रूप से सेवन करना उन अच्छे बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देता है, इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस सप्ताह का भी यही मसकद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसके लिए प्रति जागरुक हों, जिससे दवा प्रतिरोधक बैक्टीरिया के बढते जोखिम से बचा जा सके।

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