ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम - Björnstad Syndrome in Hindi

Dr. Pradip JainBHMS

December 30, 2019

March 06, 2020

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम
ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम क्या है?

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार है जिसमें बाल असामान्य रूप से चपटे हो जाते हैं और मुड़ जाते हैं। अधिकतर मामलों में व्यक्ति को बहरापन (सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस) भी हो सकता है। बहरापन आमतौर पर दोनों कानों को प्रभावित करता है। जिन लोगों को ये विकार होता है आमतौर पर उनके सिर की त्वचा रूखी, नाजुक, बिना चमक की और मोटी हो जाती है। साथ ही इस स्थिति में गंजापन भी हो जाता है।

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम के लक्षण

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम अत्यंत दुर्लभ अनुवांशिक विकार है, जिसमें व्यक्ति के बाल झड़ने लगते हैं और असामान्य रूप से चपटे व मुड़ जाते हैं। इस विकार से ग्रस्त लोगों के बाल आमतौर पर नाजुक, रुखे व बेजान नजर आते हैं। झड़े हुऐ बालों पर किए गए अध्ययनों से पता चला कि ये बाल चपटे हैं और जगह-जगह मुड़े हुए हैं। मुड़ने के कारण बाल सख्त हो जाते हैं और उनमें रुखापन भी आ जाता है। शरीर के बालों में भी स्कैल्प के बालों की तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में, सिर व शरीर के कुछ हिस्सों में बाल उड़ जाते हैं और वह भाग चकत्ते की तरह दिखाई देता है। इस स्थिति को एलोपेसिया कहा जाता है। हालांकि भौंहे और पलकों पर इसका प्रभाव नहीं होता है। 

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम के कारण 

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम को अनुवांशिक स्थिति माना गया है, ऐसा माना जाता है कि यह ऑटोसोमल डोमिनेंट (अनुवांशिकता का एक पैटर्न जिसमें व्यक्ति के अंदर आए ऑटोसोमल क्रोमोसोम का एक जीन म्यूटेंट होता है और दूसरा जीन सामान्य होता है) या रीसेसिव ट्रेट की तरह बच्चे में आया है। अनुवांशिक रोग दो तरह के जीन से निर्धारित किए जाते हैं पहला माता से मिला और अन्य पिता द्वारा ग्रहण किया गया जीन। 

डोमिनेंट जेनेटिक डिसऑर्डर तब होता है जब रोग के लक्षण दिखने के लिए असामान्य जीन की एक कॉपी ही आवश्यक होती है। असामान्य जीन माता-पिता में से किसी के द्वारा भी बच्चे में आ सकता है, जिससे प्रभावित व्यक्ति में जीन म्यूटेशन (जीन में बदलाव) हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान असामान्य जीन का प्रभावित पेरेंट से बच्चे में जाने की 50 प्रतिशत आशंका होती है, यह होने वाले बच्चे के लिंग से प्रभावित नहीं होती।

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम का परीक्षण

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम का परीक्षण मुड़े हुए बालों की पहचान कर के किया जा सकता है जो कि जन्म के समय भी हो सकते हैं। इस परीक्षण की पुष्टि प्रभावित व्यक्ति के झड़े हुए बालों की इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप में जांच कर के की जाती है, जिसमें लगातार थोड़ी-थोड़ी जगह पर मुड़े हुए बाल होते हैं। चूंकि, बालों की यह असामान्यता ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम से जुड़ी हुई है, इसीलिए जन्म के समय जिन शिशुओं में ये लक्षण दिखाई देते हैं उनकी बहरेपन की जांच की जानी चाहिए। विशिष्ट हियरिंग टेस्ट (ऑडिटरी) से सेंसरीन्यूरल बहरेपन की पुष्टि करी जा सकती है।

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम का इलाज

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम का इलाज बच्चे में दिखाई दे रहे स्पष्ट लक्षणों के अनुसार किया जाता है। इसका  ट्रीटमेंट करने के लिए विशेषज्ञों की पूरी टीम की आवश्यकता हो सकती है। बाल-रोग विशेषज्ञ जो कि बच्चे के बहरेपन का इलाज करते हैं और त्वचा संबंधित जुड़े विकारों का इलाज व परीक्षण करने में डॉक्टर (डर्मेटोलॉजिस्ट) आदि मिलकर बच्चे का व्यापक और ठीक तरह से इलाज कर सकते हैं।

एलोपेसिया के ट्रीटमेंट में विग्स (नकली बाल) का प्रयोग या हेयर रिप्लेसमेंट थेरेपी शामिल हो सकते हैं। सेंसरीन्यूरल बहरेपन का इलाज जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि प्रभावित बच्चे को उम्र बढ़ने के साथ बोलने से जुड़ी समस्या से बचा जा सके। 

ब्योर्नस्टैड सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे का जल्दी इलाज करना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके  कि बच्चा सामान्य रूप से बढ़ रहा है। जो सेवाएं इसमें लाभदायक हो सकती हैं उनमें स्पेशल रेमेडियल एजुकेशन (बच्चों के विकास से संबंधित शिक्षा), कंजेनिटल सेंसरीन्यूरल बहरापन से ग्रस्त बच्चों के लिए विशेष सेवाएं और अन्य मेडिकल, सोशल व बात-चीत से जुड़ी सेवाएं आदि शामिल हैं।

प्रभावित व्यक्ति और उनके परिवार की जेनेटिक काउन्सलिंग भी लाभदायक हो सकती है। इसके अलावा इलाज लक्षणात्मक व सहायक इलाज भी शामिल हो सकते हैं।