उम्र से पहले बालों का सफेद होना आज के दौर में एक आम समस्या है। घने-मुलायम-काले बालों की चाहत में बहुत से लोग डाई का इस्तेमाल करते हैं। सफेद बालों से भी बड़ी समस्या यह है कि बालों को रंगने वाले कैमिकल युक्त पदार्थ जानलेवा साबित हो सकते हैं। आधुनिकता की आड़ में आंखें मूंदकर हम फैशन की जिस दौड़ के प्रतिभागी हम बन रहे हैं उसकी एवज में बाल स्ट्रेट (स्ट्रेटनिंग) करना भी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। दरअसल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च में ये बात सामने आई है। रिसर्च के अनुसार बाल डाई या स्ट्रेट कराने से महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का जोखिम बढ़ा है।

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क्या कहती है रिसर्च?
इंटरनेशनल जरनल ऑफ कैंसर में प्रकाशित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के मुताबिक नियमित तौर पर इन कैमिकल के इस्तेमाल से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ाता है। एनआईएच की एक अन्य स्टडी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरनमेंट हेल्थ साइंस ने 46,709 महिलाओं ये आंकड़े जुटाए हैं।

  • अध्ययनकर्ताओं पाया कि जो महिलाएं हेयर डाई इस्तेमाल नहीं करती, उनकी तुलना में जो महिलाएं सालभर नियमित रूप से बालों को डाई करती हैं, उनमें ब्रैस्ट कैंसर का जोखिम 9 प्रतिशत अधिक था।
  • नियमित रूप से यानि हर पांच से आठ हफ्ते के बीच डाई करने वाली अफ्रीकी मूल की अमेरिकी महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर का खतरा 60 फीसद था, जबकि ऐसा करने वाली गोरी महिलाओं में यह जोखिम सिर्फ 8 प्रतिशत बढ़ा।
  • हालांकि, इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं अस्थाई तौर पर बालों में डाई का इस्तेमाल करती हैं, उनमें स्तन कैंसर का कोई जोखिम नगण्य था।

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विशेषज्ञों की राय
एनआईईएचएस एनवायरनमेंट एंड कैंसर एपिडेमियोलॉजी समूह के हेड और कोर्रेसपोंडिंग ऑथर डॉक्टर एलेक्जेंड्रा वाइट का कहना है कि शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के दौरान लंबे समय तक हेयर डाई और ब्रैस्ट कैंसर के बीच के संभावित संबंध को जानने कोशिश की, लेकिन इसके बाद मिले परिणाम थोड़े असंगत रहे। अध्ययन के जरिए शोधकर्ताओं ने पाया कि बालों में डाई का इस्तेमाल करने से स्तन कैंसर का जोखिम अधिक था और इसका प्रभाव अमेरिकन मूल की अफ्रीकी महिलाओं में ज्यादा पाया गया, जो हेयर डाई की सबसे बड़ी उपभोक्ता थी।

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हेयर स्ट्रेटनर से स्तन कैंसर का खतरा
कैमिकल हेयर स्ट्रेटनर और ब्रैस्ट कैंसर के बीच संबंध का अध्ययन करना, एक मुश्किल काम था, लेकिन डॉक्टर वाइट और उनके अन्य साथियों ने रिसर्च के दौरान पाया कि जिन महिलाओं ने कम से कम हर पांचवें और आठवें हफ्ते में हेयर स्ट्रेटनर (बालों को सीधा करने वाली कैमिकल क्रीम) का इस्तेमाल किया। उनमें ब्रैस्ट कैंसर होने की आशंका करीब 30 प्रतिशत तक अधिक थी।

  • बालों को डाई करने की तुलना में अफ्रीकी मूल की अमेरिकी महिलाओं और गोरी महिलाओं में स्ट्रेटनर के उपयोग और स्तन कैंसर के बीच संबंध एक सामान पाए गए।
  • अफ्रीकी मूल की अमेरिकी महिलाओं के बीच स्ट्रेटनर का उपयोग एक आम बात है और इसलिए उनमें जोखिम भी ज्यादा है।

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एनआईईएचएस एपिडेमियोलॉजी ब्रांच के चीफ और रिसर्च के सह-लेखक डेल सैंडलर ने चेताया कि रिसर्च के दौरान कैमिकल स्ट्रेटनर और स्तन कैंसर के बीच संबंध को दर्शाने वाले आंकड़े, पूर्व के कुछ साक्ष्यों को सही साबित करते हैं। फिर भी रिसर्च से जुड़े आकंड़ों को अन्य अध्ययनों के साथ दोहराने की जरूरत है।

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अगर महिलाएं अपने बालों को डाई करना और स्ट्रेट करना छोड़ देती हैं तो इस सवाल का जवाब देते हुए सैंडलर कहते हैं कि हम कई चीजों के संपर्क में हैं, जो संभावित रूप से स्तन कैंसर में योगदान कर सकते हैं। यह संभव नहीं है कि कोई भी एक कारण किसी महिला में इस बीमारी के जोखिम की व्याख्या करें।

उन्होंने आगे कहा, इन कैमिकल से बचना एक अलग बात हो सकती है, लेकिन जोर देकर इस बात की सलाह नहीं दी जा सकती कि वे किसी कैमिकल का इस्तेमाल छोड़ दें। हालांकि, इन्हें छोड़ना ब्रैस्ट कैंसर के एक खतरे को कम जरूर कर सकता है।

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