भारत में मौजूद सभी गैर-संक्रामक बीमारियों में से एक कैंसर भी है। हृदय रोगों के बाद सबसे अधिक मामले कैंसर के देखे जाते हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फाॅर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने 2014 से 2018 के बीच "ग्लोबोकैन 2018" के नाम से एक रिसर्च की थी। इस रिसर्च के अनुसार भारत में लगभग 2.5 करोड़ लोग कैंसर का शिकार थे।

सिर्फ 2018 में ही भारत में कैंसर के 11.57 लाख नए मामले सामने आए थे। देशभर में कैंसर के रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और महिलाओं पर खासकर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। हाल ही की रिपोर्ट के अनुसार देश में कैंसर पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं को प्रभावित करता है। हालांकि, पुरुषों से ज्‍यादा महिलाएं इस बीमारी से लड़कर ठीक होती हैं। 2018 में कैंसर के कुल 11.57 लाख मरीजों में 5.87 लाख महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित थीं जो कि भारत में कैंसर के कुल मामलों का 50.7 फीसदी है। यहां यह बात ध्यान में रखना जरूरी है कि देश की आबादी में पुरुषों की संख्या थोड़ी ज्यादा है जो कि 51.8 फीसदी है। जब हम कुल आबादी पर विचार करते हैं तो कैंसर से पीड़ित महिला मरीजों की संख्या, यहां बताई गई संख्या से ज्यादा पाते हैं।

आने वाले पांच सालों में कैंसर से ग्रस्त महिलाओं की संख्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है। उस समय देश के कुल कैंसर से पीड़ित मरीजों में 55 फीसदी महिलाएं शामिल होंगी।

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कैंसर महिलाओं को कैसे प्रभावित करता है?

ग्लोबोकैन 2018 के अनुसार, महिलाएं सबसे ज्यादा स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर, ओवेरियन कैंसर, होंठ/ओरल कैविटी और कोलोरेक्टल कैंसर का शिकार होती हैं। महिलाओं में कैंसर के सभी मामलों में 27.7 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर के ही मामले होते हैं। इसके बाद गर्भाशय ग्रीवा (16.5 फीसदी) और ओवरियन कैंसर (6.2 फीसदी) है।

पश्चिमी देशों में 60 साल की उम्र में महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर का खतरा होता है जबकि भारत में ये बीमारियां महिलाओं को 45 से 50 साल की उम्र में अपना शिकार बनाने लगी हैं।आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों को कैंसर की इस प्रवृत्ति के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है एवं यह खतरा उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना रहता है।

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भारत में हाई फैट डाइट और मोटापे जैसे जोखिम कारकों की वजह से भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। वर्ष 2018 में लगभग 97,000 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से प्रभावित थीं। ग्रामीण इलाकों की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का जोखिम शहरी महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है क्योंकि वहां चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं और इलाज का खर्च भी ज्यादा है।

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क्यों है फर्क

अब तक शोध भी भारत में महिलाओं में कैंसर की दर ज्यादा होने के कारण का पता नहीं लगा पाए हैं। समूचे विश्व में कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है। जबकि भारत में यह प्रभाव उल्टा है। अध्ययनों के अनुसार कैंसर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है, लेकिन इस बीमारी से लड़ने में महिलाएं ज्यादा सक्षम होती हैं।

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शोधों के अनुसार कैंसर महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकता है जिसमें कार्सिनोजेन्स (जीवित ऊतकों में कैंसर पैदा करने वाले तत्व) और जीवनशैली से संबंधित कारक शामिल हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुष धूम्रपान, शराब और अधिक वसा वाला खाना ज्यादा खाते हैं जिसकी वजह से कैंसर से लड़ने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।

इसके अलावा महिलाएं गर्भावस्था, प्रसव, बच्चे के पालन-पोषण के संबंध में नियमित मेडिकल चेकअप करवाती रहती हैं लेकिन पुरुष बहुत कम ही डाॅक्टर के पास चेकअप करवाने जाते हैं। इस वजह से उन्हें शरीर में पनप रही बीमारियों के बारे में पता नहीं चल पाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ पुरुषों को यह सलाह देते हैं उन्हें भी नियमित डाॅक्टर के पास जाना चाहिए। इसके साथ ही महिलाएं ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों से संबंधित जांच के बारे में पूरी जानकारी रखती हैं।

इसका यह मतलब नहीं है कि पुरुष डाॅक्टर के पास चेकअप करवाने नहीं जाते लेकिन सच तो यह है कि किसी समस्या के गंभीर रूप लेने पर ही पुरुष डाॅक्टर के पास जाना जरूरी नहीं समझते।

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कैंसर के मामले में भारत बनाम विश्व

विश्व के ज्यादातर देशों में कैंसर के मामले बढ़ते नजर आ रहे हैं। यह वृद्धि संभवतः विश्व की बढ़ती उम्र की जनसंख्या और वृद्ध आबादी की वजह से हो रही है और सामाजिक तथा आर्थिक विकास जैसे कारक भी कैंसर के जोखिम में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं।

दुनियाभर में कैंसर के लगभग आधे मामले अकेले एशिया में देखे जाते हैं क्योंकि यहां चिकित्सकीय सुविधाएं काफी सीमित हैं। तेजी से आर्थिक रूप से विकास कर रहे देशों में गरीबी और संक्रमण से पैदा होने वाली बीमारियों की जगह जीवनशैली से संबंधित बीमारियां होने लगी हैं। विकसित अर्थव्यवस्था जैसे यू.एस से तुलना करें तो भारत पर कैंसर का बोझ कम है। कैंसर की वृद्धि का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है और भारत एक युवा देश है इसलिए विकसित देशों की तुलना में भारत में कैंसर का प्रकोप कम है।

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