खांसीजुकाम सहित तमाम छोटी-बड़ी बीमारियों के उपचार के लिए अक्सर लोग हर्बल उत्पादों को महत्व देते हैं। इन उत्पादों से उम्मीद होती है कि जल्द से जल्द राहत देंगे। इसके अलावा घरेलू उपचार जैसे- अदरक या अन्य प्रकार का काढ़ा बनाकर भी उपचार की कोशिश की जाती है, लेकिन क्या हर्बल इलाज कैंसर जैसी बड़ी बीमारी में उपयुक्त है। इसका जवाब होगा... नहीं। डॉक्टरों का मानना है कि हर्बल दवाएं कैंसर के इलाज में रुकावट पैदा करती हैं, जिससे इलाज प्रभावित होता है।

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कैंसर के इलाज को प्रभावित करते हैं हर्बल उत्पाद?
अगर कोई कैंसर का रोगी हर्बल उत्पादों का सेवन कर रहा है, तो उसे जरूर अपने डॉक्टर को बताना चाहिए। क्योंकि, हर्बल उत्पादों में मौजूद कुछ तत्व कैंसर के इलाज को बाधित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप लहसुन, अदरक और जिन्कगो की गोलियां ले रहे हैं तो ये ठीक नहीं है। क्योंकि, स्तन कैंसर की स्थिति में इन गोलियों के सेवन से स्किन के घाव को भरने में समय लग सकता है।

हर्बल उत्पाद क्या होते हैं?
हर्बल उत्पाद पौधों के पत्ते, फूल या जड़ से बनते हैं। पौधे के प्रत्येक भाग से अलग-अलग तरह के उत्पाद बन सकते हैं। अधिकत्तर लोग हर्बल दवा बनाने के लिए पौधे की ताजा पत्तियां और सूखे पौधों का इस्तेमाल करते हैं।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पुर्तगाल के लिस्बन में चम्पालिमॉ कैंसर सेंटर में हेड ब्रेस्ट सर्जन प्रोफेसर कार्डसो का कहना है कि डॉक्टरों को अपने मरीजों से यह पूछने में अधिक सक्रिय या एक्टिव होने की जरूरत है कि वो कैंसर का इलाज करने के लिए क्या ले रहे हैं।

कार्डसो ने बताया कि यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण था कि मरीज हमेशा कैंसर के लिए दूसरी थेरेपी लेने से पहले स्किन में फैल रहे कैंसर के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। स्तन कैंसर के पांच में से एक मामले में ऐसा होता है, जब मरीज पारंपरिक थेरेपी अपनाते हैं। जबकि अन्य तरह के कैंसर के मामले में ऐसा नहीं होता।

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कैंसर के इलाज में हर्बल उत्पादों से खतरा
खतरा यह है कि कुछ हार्मोन, थेरेपी या कीमोथेरेपी उपचार में हस्तक्षेप या रुकावट पैदा कर सकते हैं और कुछ खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को लम्बा खींचते हैं। जिसके कारण घाव भरने में अधिक समय लग सकता है और त्वचा पर अधिक निशान छोड़ सकते हैं।

सर्जन कार्डसो ने उदाहरण के लिए कई हर्बल उत्पादों के बारे बताया, जो खून के थक्के को धीमा बनाते हैं। जो कि इस प्रकार हैं -

  • ग्रीन चिरेटा (ये एक वनस्पति पौधा है)
  • फीवरफ्यू (एक तरह का पौधा, जो बुखार, सिर दर्द और अन्य बीमारी के इलाज में काम आता है।)
  • लहसुन
  • जिन्कगो (जिन्कगो को मैदेन्हायर पेड़ के रूप में भी जाना जाता है और ये जिंकगोफाइटा की एक प्रजाति है।)
  • जिनसेंग (ये पौधे की एक प्रजाति है, जिसकी जड़ जिनसेंग का मूल स्रोत है)
  • हौथोर्न या नागफनी (यह एक पौधा है। इसकी पत्तियां, जामुन और फूलों का उपयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है)
  • हॉर्स चेस्टनट (यह एक बड़ा सिन्कोसियस पेड़ है, जिसे आमतौर पर होर्स-चेस्टनट या शंकु वृक्ष के रूप में जाना जाता है।)
  • हल्दी

सर्जन कार्डसो ने कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि रोगी और उसके परिवार वाले वैकल्पिक उपचार की बात करते हैं, लेकिन ये इलाज को प्रभावित या उसमें बाधा बन सकता है। लोगों को पता होना चाहिए कि कैंसर के इलाज में हर्बल उत्पाद फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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वैकल्पिक इलाज से प्रभावित होता है उपचार
कैंसर रिसर्च यूके में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर के इलाज के दौरान दूसरे या वैकल्पिक इलाज को बेहद घातक बताया गया है। रिपोर्ट बताती है कि वैकल्पिक थेरेपी इलाज को प्रभावित ही नहीं करती, बल्कि इलाज को पूरी तरह से बाधित कर सकती है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट बताती है कि कैंसर के उपचार के दौरान कई तरह के खाद्य और पेय पदार्थ जैसे अंगूर और संतरे के सेवन से परहेज करना चाहिए। क्योंकि, ये शरीर में कैंसर की दवाओं के घुलने में बाधा उत्पन्न करती हैं।

  • कैंसर रिसर्च यूके की रिपोर्ट बताती है कि अगर आप कैंसर के इलाज के दौरान उपचार की दूसरी प्रक्रिया या थेरेपी लेने की सोच रहे हैं तो इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
  • ऐसी किसी उपचार थेरेपी को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताएं। विशेषतौर पर जब आप इलाज की प्रकिया के बीच में हों।

कुल मिलाकर रिपोर्ट का निष्कर्ष ये बताता है कि अगर किसी व्यक्ति को कैंसर है और उसका इलाज चल रहा है तो उसे अन्य दूसरे इलाज की जरूरत नहीं है। खासतौर पर हर्बल इलाज के विकल्प से तो दूर ही रहना ठीक होगा। क्योंकि, पहले से चल रहे कैंसर के इलाज में हर्बल उत्पाद बाधा पैदा करते हैं और इससे मरीज को हानि पहुंच सकती है।

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