बारिश का मौसम शुरू हो चुका है और इस मौसम में मच्छरों से होने वाले संक्रमण जैसे- मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मामले भी काफी तेजी से बढ़ने लगते हैं। ऐसे में इन बीमारियों से बचने का एक मात्र तरीका यही है कि आप मच्छरों के काटने से बचें। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने चिकनगुनिया को कंट्रोल करने का एक और तरीका खोज निकाला है। अमेरिका के सेंट लुईस स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं ने एक नई स्टडी में यह पाया है कि हमारी आंत में मौजूद गट बैक्टीरिया में चिकनगुनिया वायरस इंफेक्शन को कंट्रोल करने की क्षमता है।  

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हेल्दी माइक्रोबायोम गंभीर बीमारी की आशंका को कम करते हैं
यह रिसर्च चूहों पर की गई थी, जिसमें यह बात सामने आयी कि आंत (गट) के दोषपूर्ण माइक्रोबायोम (सूक्ष्मजीव) चिकनगुनिया बीमारी की गंभीरता को बढ़ाते हैं, जबकी स्वस्थ माइक्रोबायोम गंभीर चिकनगुनिया रोग की आशंका को कम करते हैं। इतना ही नहीं संभवतः मच्छरों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस के ट्रांसमिशन को बाधित करके बीमारी के समुदाय में फैलने के खतरे को भी कम करते हैं।

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इसमें चूहों को बैक्टीरिया की एक ही प्रजाति - या उस प्रजाति द्वारा निर्मित एक रासायनिक यौगिक - दिया गया जिससे चूहों का इम्यून रिस्पॉन्स यानी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार हुआ, उनके खून में वायरस के लेवल में कमी आयी और इस बात की आशंका भी कम हो गई कि जिस मच्छर ने संक्रमित चूहे का खून पीया वह वायरस को प्राप्त कर पाएगा। इस स्टडी के नतीजों को जर्नल सेल में प्रकाशित किया गया है।

50 फीसद लोगों में नहीं दिखते लक्षण, 30 फीसद में गठिया का खतरा
चिकनगुनिया बीमारी की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इस वायरस से संक्रमित सभी लोगों में से लगभग 50 प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जिनमें कभी भी बीमारी के लक्षण नहीं दिखते। तो वहीं कुछ लोगों में बुखार और जोड़ों में तेज दर्द महसूस होता है जो लगभग एक सप्ताह तक बना रहता है और 10 से 30 प्रतिशत के करीब लोग ऐसे होते हैं जिनमें चिकनगुनिया की वजह से दुर्बल करने वाला गठिया (आर्थराइटिस) विकसित हो जाता है जो महीनों या सालों तक बना रहता है।

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गट माइक्रोबायोम का हेल्दी रहना है बेहद जरूरी
इस स्टडी के सीनियर ऑथर माइकल एस डायमंड कहते हैं, 'कई वायरल बीमारियों में संक्रमित होने वाले लोगों में से लोगों का एक छोटा सा उपवर्ग होता है जिसमें बीमारी के लक्षण दिखते हैं यानी वे सिम्प्टोमैटिक होते हैं, लेकिन इसका कारण क्या है हमें नहीं पता। हमारे जीवनकाल में ऐसी कई चीजें हो सकती हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को आकार देती हैं। उन्हें प्रभावित करती हैं कि क्या आप संक्रमण को जल्दी रोक सकते हैं। आपमें बेहद कम लक्षण होंगे या संक्रमण को रोकने में विफल होते हैं और गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते हैं। हमने अपनी स्टडी में पाया कि जब चूहों में हेल्दी गट माइक्रोबायोम नहीं होता है, तो न केवल वे खुद बीमार होते हैं, बल्कि जो मच्छर उनका खून पीता है उसके भी संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में हेल्दी गट माइक्रोबायोम को बढ़ावा देना न केवल उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो संक्रमित हो सकता है, बल्कि पूरे समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है ताकि बीमारी के ट्रांसमिशन के साइकल को तोड़ा या कम किया जा सके।' 

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गट माइक्रोबायोम बैक्टीरिया का समुदाय है जो आंतों में रहता है। गट बैक्टीरिया, पाचन तंत्र के माध्यम से आने वाली कुछ सामग्रियों को रासायनिक रूप से परिवर्तित करने के साथ मेटाबोलाइज करता है, जिससे विटामिन्स और दूसरे तत्व बायप्रोडक्ट के रूप में उत्पन्न होते हैं, जिन्हें कोशिकाएं या दूसरे रोगाणु अवशोषित कर लेते हैं और साथ ही शरीर के इन्फ्लेमेशन और संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को नियमित करने में मदद करते हैं।

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