कोरडोमा - Chordoma in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

February 14, 2020

March 06, 2020

कोरडोमा
कोरडोमा

कोरडोमा एक तरह का कैंसर है, जो किसी व्यक्ति की रीढ़ और खोपड़ी की हड्डी में विकसित होता है। यह दुर्लभ बीमारी करीब दस लाख लोगों में से किसी एक को होने का खतरा होता है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है, यहां तक कि बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। ज्यादातर कोरडोमा का निदान 40 से 70 वर्ष की उम्र में होता है। इस बीमारी का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है।

कोरडोमा किसी व्यक्ति के पीठ, गले या खोपड़ी में कहीं भी विकसित हो सकता है। ज्यादातर यह रीढ़ या खोपड़ी के निचले हिस्से में होता है। यहां से कोरडोमा शरीर के अन्य अंगों जैसे फेफड़ों में भी फैल सकता है। यह बीमारी धीरे-धीरे फैलती है।

चूंकि यह बीमारी शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से जैसे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के ​हिस्सों को प्रभावित करती है, इसलिए इसका इलाज बेहद सावधानी से करने की जरूरत होती है।

कोरडोमा के लक्षण - Symptoms of Chordoma in Hindi

कोरडोमा की वजह से रीढ़ या मस्तिष्क में नसों पर दबा पड़ सकता है। इससे दर्द, सुन्न होना या कमजोरी जैसी समस्या हो सकती है। बीमारी के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कैंसर कहां है और यह कितना बड़ा है।

खोपड़ी में कोरडोमा के कारणों में शामिल हो सकते हैं :

रीढ़ की हड्डी में कोरडोमा के कारणों में शामिल हो सकते हैं :

  • आंतों का सही से कार्य न करना
  • पीठ के निचले हिस्से में गांठ
  • स्तब्ध हो जाना, झुनझुनी या बाहों या पैरों में कमजोरी
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द
  • मूत्राशय को नियंत्रित करने में समस्या

मस्तिष्क में कोरडोमा होने से कभी-कभी मस्तिष्क और रीढ़ में द्रव का प्रवाह ब्लॉक हो सकता है। इससे तरल पदार्थ जमने लगता है और मस्तिष्क पर दबाव पड़ने लगता है। इसे हाइड्रोसेफलस कहा जाता है।

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कोरडोमा का कारण - - Causes of Chordoma in Hindi

डॉक्टरों का मानना है कि यह स्थिति टीबीएक्सटी नामक जीन में गड़बड़ी से जुड़ी हो सकती है। कुछ परिवारों में टीबीएक्सटी जीन की अतिरिक्त कॉपी बनने लगती हैं, जिसे 'जीन डुप्लीकेशन' कहा जाता है। 

जिन परिवारों में ऐसे जीन की पहचान की गई है, उनमें कोरडोमा के विकसित होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा ऐसे परिवार जिनमें इस बीमारी का कोई इतिहास नहीं था, उनमें भी टीबीएक्सटी जीन की क्रियाओं में वृद्धि पाई गई है। इन व्यक्तियों में, यह बदलाव केवल ट्यूमर कोशिकाओं में होते हैं और यह परिवार के अन्य सदस्यों में पारित नहीं होते हैं।

कोरडोमा का निदान - Diagnosis of Chordoma in Hindi

डॉक्टर निदान के लिए इमेजिंग टेस्ट कर सकते हैं। इससे यह जानने में मदद मिल सकती है कि शरीर के अंदर कैंसर कहां है और यह कितना बड़ा है। इसमें शामिल है:

  • एक्स-रे
    मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी की तस्वीरों को बनाने के लिए रेडिएशन की मदद से प्रभावित हिस्से का एक्स-रे किया जाता है।
     
  • सीटी स्कैन
    सीटी स्कैन में एक्स-रे कई अलग-अलग एंगल से किया जाता है और प्रभावित हिस्से की विस्तृत तस्वीर बनकर तैयार होती है।
     
  • एमआरआई
    मैग्नेट और रेडियो तरंगों का उपयोग करके आंतरिक अंगों और अन्य संरचनाओं के चित्र तैयार करने के लिए एमआरआई का प्रयोग किया जाता है।

इसके अलावा बायोप्सी के जरिये भी इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि कोरडोमा कहां है। इसके लिए डॉक्टर ट्यूमर से कोशिकाओं का एक छोटा नमूना लेते हैं और फिर लैब में विशेषज्ञ माइक्रोस्कोप की मदद से जांच करते हैं। यह ट्यूमर फैला है अथवा नहीं इस बात को पता करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट, फेफड़ों या हड्डियों का सीटी स्कैन भी कर सकते हैं।

कोरडोमा का उपचार - Chordoma Treatment in Hindi

इस बीमारी का इलाज ट्यूमर के आकार और उसके स्थान पर निर्भर करता है।

स्पाइन ट्यूमर के लिए उपचार

  • सर्जरी
    स्पाइन ट्यूमर के लिए की जाने वाली सर्जरी में ट्यूमर को निकालने की कोशिश की जाती है। हालांकि, यह सर्जरी मुश्किल हो सकती है क्योंकि यह ट्यूमर रीढ़ की हड्डी में महत्वपूर्ण संरचनाओं के पास होता है।
     
  • रेडिएशन थेरेपी
    इसमें एक्स-रे या प्रोटांस का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की कोशिश की जाती है। रेडिएशन थेरेपी के दौरान मरीज को एक ऐसी मेज पर लिटाया जाता है जिसके चारों ओर एक मशीन घूमती है। फिलहाल रेडिएशन थेरेपी का उपयोग सर्जरी से पहले या बाद में किया जा सकता है।

खोपड़ी में ट्यूमर के लिए उपचार

आमतौर पर इसमें रेडिएशन थेरेपी के बाद सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी का लक्ष्य आस-पास के स्वस्थ ऊतकों को बिना नुकसान पहुंचाए ट्यूमर को निकालना है। यदि ट्यूमर किसी जटिल संरचना जैसे कैरोटिड धमनी (गर्दन की प्रमुख रक्त वाहिकाएं) के पास है तो इसे पूरी तरह से हटाना आसान नहीं होगा।

ऐसे में ज्यादा से ज्यादा ट्यूमर को हटाने के लिए एंडोस्कोपिक सर्जरी या इसके साथ रेडिएशन थेरेपी की जरूरत भी पड़ सकती है। 

आमतौर पर कैंसर कोशिकाओं को मारने और उन्हें दोबारा विकसित होने से रोकने के लिए सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी की मदद ली जा सकती है।

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