कंप्यूटर विजन सिंड्रोम - Computer vision syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

October 19, 2020

December 24, 2020

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम

कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे उपकरणों पर लगातार घंटों समय बिताने के कारण व्यक्ति की आंखों के साथ ही पूरे दृष्टि तंत्र (विजुअल सिस्टम) पर दबाव बढ़ने लगता है। लंबे समय तक बिना ब्रेक लिए इन डिजिटल स्क्रीन वाले उपकरणों का इस्तेमाल करने के कारण व्यक्ति की आंखों पर जोर पड़ता है, सिरदर्द होने लगता है, आंख और दृष्टि संबंधित कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं और इसे ही कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) कहा जाता है। 

मौजूदा समय में कोविड-19 महामारी की वजह से बड़ी संख्या में लोग घर से ही काम कर रहे हैं (वर्क फ्रॉर होम) और बच्चों की पढ़ाई भी घर से ही ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से हो रही है। ऐसे में छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी का स्क्रीन टाइम बढ़ने की वजह से उनकी आंखों की सेहत पर इसका बुरा असर पड़ रहा है और कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। आईकेयर हॉस्पिटल और पीजी इंस्टीट्यूट के एचओडी डॉ सौरभ चौधरी कहते हैं, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम एक नई तरह की बीमारी है जो अब ज्यादा सामने आने लगी है जब ज्यादा से ज्यादा लोग कंप्यूटर के सामने बैठकर घर से ही काम कर रहे हैं। आंखों का लाल होना, आंखों में खुजली, जलन, फोकस करने में दिक्कत होना आदि कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के कुछ लक्षण हैं। 

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एक्सपर्ट्स की सलाह है कि कंप्यूटर विजन सिंड्रोम जैसी समस्याओं से बचने के लिए बेहद जरूरी है कि लगातार और लंबे समय तक स्क्रीन के सामने काम करने वाले लोग 20-20-20 एक्सरसाइज के जरिए आंखों को रिलैक्स करने की कोशिश करें। इसमें हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर मौजूद किसी चीज पर फोकस करने की कोशिश करनी है। ऐसा करने से आंखों में खून का संचार बेहतर होता है। इसके अलावा कोविड-19 महामारी की वजह से बहुत से मरीज अपनी आंखों का चेकअप करवाने या आंखों की सर्जरी करवाने के लिए भी नहीं जा रहे हैं। इस कारण भी आंखों से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। 

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तो आखिर कंप्यूटर विजन सिंड्रोम है क्या, इसके कारण, लक्षण, और इलाज क्या हैं, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम क्या है? - What is Computer vision syndrome in Hindi?

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) उन लक्षणों के समूह का वर्णन करता है जो डिजिटल स्क्रीन वाले उपकरणों के लंबे समय तक उपयोग के बाद होते हैं। इसमें निम्नलिखित उपकरण शामिल हैं:

  • पर्सनल कम्प्यूटर
  • लैपटॉप
  • टैबलेट
  • स्मार्टफोन्स

हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि डिजिटल स्क्रीन पर कितनी देर तक देखने की वजह से किसी व्यक्ति को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या विकसित हो सकती है। लेकिन अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन (एओए) के अनुसार, लंबे समय तक स्क्रीन का इस्तेमाल करना और उच्च स्तर पर आंखों में समस्या और असहजता महसूस होने के बीच सहसंबंध (कोरिलेशन) है।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कोई एक विशिष्ट समस्या नहीं है। इसकी बजाय, इसमें आंखों के तनाव और असुविधा से जुड़ी एक पूरी श्रृंखला शामिल है। रिसर्च से पता चलता है कि कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने वाले 50 प्रतिशत से लेकर करीब 90 प्रतिशत लोगों में इस सिंड्रोम के कम से कम एक-दो लक्षण जरूर नजर आते हैं।

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ऐसा नहीं है कि केवल कामकाजी वयस्क ही इस समस्या से प्रभावित हो रहे हैं। स्कूल में टैबलेट या कंप्यूटर का उपयोग करने या स्कूल का होमवर्क या असाइनमेंट करने की वजह से या फिर गेम या विडियोज देखने के लिए स्क्रीन वाले उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले बच्चों में भी कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्याएं हो सकती हैं। खासकर तब जब रोशनी की स्थिति और बच्चे की बैठने की मुद्रा (पॉस्चर) सही न हो।

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कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण - Computer vision syndrome Symptoms in Hindi

वैसे तो अब तक इस बात के कोई पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है कि कंप्यूटर, लैपटॉप या इस तरह के स्क्रीन वाले उपकरणों का उपयोग आंखों को होने वाली किसी दीर्घकालिक नुकसान का कारण बनता है। लेकिन इन उपकरणों के नियमित उपयोग से आंखों में खिंचाव, तनाव और बेचैनी की समस्या हो सकती है। यही कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन की कैटिगरी में आता है और इसके कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

अगर आप इन समस्याओं को सामान्य समझकर कोई इलाज नहीं करवाते हैं तो यह आपकी आंखों के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। साथ ही साथ इस समस्या की वजह से आपके काम के प्रदर्शन में भी समस्या आ सकती है।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के कारण - Computer vision syndrome Causes in Hindi

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम लंबे समय तक डिजिटल स्क्रीन के उपयोग के परिणामस्वरूप होता है इसलिए इसे डिजिटल आई स्ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है। डिजिटल स्क्रीन के अधिक इस्तेमाल के कारण व्यक्ति की आंखों को सामान्य से ज्यादा मुश्किल काम करना पड़ता है। ऐसे में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • स्क्रीन का कॉन्टेंट अगर कम शार्प या कम कम फोक्स्ड हो
  • अगर बैकग्राउंड के हिसाब से स्क्रीन का कॉन्ट्रास्ट सही न हो
  • स्क्रीन पर अगर कोई रिफ्लेक्शन या चमक दिख रही हो
  • कम रोशनी या अंधेरे कमरे में स्क्रीन को देखना
  • स्क्रीन को बहुत करीब से या फिर बहुत ज्यादा दूर से देखना
  • कंप्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन के स्क्रीन को ऐसे ऐंगल पर रखना जो आंखों पर तनाव और दबाव का कारण बने
  • स्क्रीन के आगे से जितना जरूरी है उतना ब्रेक न लेना

ये सारे कारण या कारक मिलकर आंखों की चीजों को देखने और फोकस करने की क्षमता पर और ज्यादा प्रेशर डालते हैं और वैसे लोग जिनमें छोटी सी भी दृष्टि संबंधित समस्याएं पहले से मौजूद हैं उनमें तो आंखों पर प्रेशर और ज्यादा बढ़ जाता है। यदि दृष्टि प्रणाली (विजन सिस्टम) पर पड़ने वाला यह अतिरिक्त दबाव लंबे समय तक बना रहे तो व्यक्ति को सीवीएस यानी कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का निदान - Diagnosis of Computer vision syndrome in Hindi

कोई व्यक्ति 20/20 नेत्र परीक्षण पास कर सकता है और फिर भी उसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या अन्य अनिर्धारित दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम को किसी आई स्पेशलिस्ट के द्वारा केवल एक व्यापक नेत्र परीक्षण के माध्यम से ही डायग्नोज किया जा सकता है। स्पेशल आई और विजन टेस्टिंग, किसी व्यक्ति के दृष्टि कार्यों का आकलन करता है कि किसी निश्चित दूरी से कंप्यूटर या अन्य डिजिटल डिवाइस पर काम करने के दौरान व्यक्ति का फोकस कैसा है। इस व्यापक नेत्र परीक्षण (आई टेस्ट) में किसी भी अनिर्धारित या अनुपचारित दृष्टि समस्याओं की भी जांच की जाती है जो कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या को बढ़ा सकता है या फिर जिसे गलती से सीवीएस समझा जा सकता है।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का उपचार - Computer vision syndrome Treatment in Hindi

अगर आप अपने स्क्रीन टाइम के इस्तेमाल से नियमित रूप से पर्याप्त ब्रेक लेने लगें तो कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) के लक्षण आमतौर पर चले जाएंगे। हालांकि, जिन लोगों को आंख या दृष्टि से संबंधित कोई अंतर्निहित समस्या हो उन्हें सीवीएस का उचित इलाज करवाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं दोबारा न हों। इसके अलावा आप अपने स्क्रीन के इस्तेमाल और जिस तरह से आप काम करते हैं उसमें कुछ बदलाव करके भी सीवीएस के लक्षणों और नई समस्याओं को उभरने से रोक सकते हैं। हम आपको यहां कुछ संभावित उपचार विकल्पों के बारे में बता रहे हैं :

1. नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं
जो लोग नियमित रूप से नेत्र चिकित्सक से मिलने नहीं जाते और अपनी आंखों की जांच नहीं करवाते हैं उन्हें लंबे समय तक स्क्रीन के उपयोग के परिणामस्वरूप दृष्टि से जुड़ी विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लंबे समय से ऐसे प्रिस्क्रिप्शन चश्मा या लेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं जो अब पुराना या आउटडेटेड हो चुका है और इसलिए वह चश्मा या लेंस अब उनकी दृष्टि समस्याओं को ठीक करने में प्रभावी नहीं है। इसलिए नियमित रूप से नेत्र चिकित्सक के पास जाकर आंखों की जांच करवाने से सीवीएस और अन्य दृष्टि समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।

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2. विजन थेरेपी
विजन थेरेपी का उद्देश्य किसी व्यक्ति की दृष्टि को विकसित करना या बेहतर बनाना है। इसमें आंखों से जुड़ी कई तरह की एक्सरसाइज शामिल है ताकि आंखों की गतिविधि और फोकस करने की क्षमता को बढ़ाया जा सके। विजन थेरेपी उन लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है जो चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने के बावजूद सीवीएस और अन्य दृष्टि संबंधित समस्याओं का अनुभव कर रहे हों।

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3. लेजर आई सर्जरी
वैसे लोग जिन्हें पहले से ही कोई अंतर्निहित दृष्टि समस्या हो उनके लिए लेजर आई सर्जरी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस प्रक्रिया में लेजर की मदद से आंख की सतह को फिर से आकार दिया जाता है ताकि यह अधिक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित कर सके।

4. चमक या चकाचौंध को कम करें
आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर किसी भी तरह की रोशनी रिफ्लेक्ट न हो इसके लिए अपने चारों तरफ की रोशनी को बदलें। अगर पास की खिड़की से प्रकाश स्क्रीन पर चमक ला रहा हो तो अपने मॉनिटर स्क्रीन की जगह बदल दें या खिड़की में पर्दे लगा दें। अगर सिर के ऊपर लगी रोशनी बहुत ज्यादा ब्राइट हो तो डिमर स्विच का इस्तेमाल करें या फिर डेस्क लैंप का इस्तेमाल करें जो पूरी डेस्क पर समान रूप से प्रकाश डालता हो। आप चाहें तो अपनी स्क्रीन पर चमक या ग्लेयर फिल्टर भी लगा सकते हैं। इसके अलावा अपने मॉनिटर या लैपटॉप स्क्रीन को अपने चेहरे से 20 से 28 इंचर दूर और आंखों के लेवल से थोड़ा सा नीचे रखना ही बेहतर माना जाता है।

5. आंखों को आराम दें
20-20-20 नियम का पालन करें। हर 20 मिनट में स्क्रीन से नजरें हटाएं और लगभग 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखें। आंखों में सूखापन यानी ड्राइनेस की समस्या न हो इसके लिए अपनी आंखों को नम रखने के लिए अक्सर पलकें झपकाएं। अगर आंखों में सूखापन महसूस हो तो आप डॉक्टर से पूछकर आई ड्रॉप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।



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