कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया (त्वचा का विकार) - Congenital Erythropoietic Porphyria (CEP) in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

December 20, 2019

March 06, 2020

कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया
कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया

कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया क्या है?

कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया (सीईपी) को गंथर डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहले इस बीमारी की पहचान 1911 में की गई थी। यह जेनेटिक कारणों से होने वाली बीमारी है। कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाईरिया (सीईपी) दुर्लभ प्रकार का पोरफाइरिया है, जोकि आमतौर पर शिशुओं को प्रभावित करता है। इस बीमारी में स्किन पर गंभीर फोटोसेंसिटिविटी (रोशनी के प्रति संवेदनशीलता) होने लगती है जिसके कारण चेहरे व हाथों के पीछे फफोले और अधिक बाल आने लग सकते हैं। फोटोसेंसिटिविटी और संक्रमण के कारण उंगलियां व चेहरा भी प्रभावित हो सकता है।

कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया के लक्षण

सीईपी के लक्षण सामान्य से गंभीर हो सकते हैं और इसमें पूरे शरीर पर अत्यधिक बाल आना, दांतों का रंग बदलना, खून की कमी और लाल रंग का पेशाब आना शामिल है। इसके अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • आमतौर पर नवजात शिशुओं में लाल रंग का पेशाब आना सीईपी का सबसे पहला संकेत माना जाता है। ऐसा तब होता है जब पोर्फिरिन अत्यधिक मात्रा में पेशाब के जरिए निकलने लगता है। पेशाब का लाल रंग दिन ब दिन बढ़ने लगता है।
  • सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर कुछ लोगों की त्वचा का रंग काला पड़ सकता है।
  • पोर्फिरिन की वजह से दांत लाल-भूरे रंग के दिखाई देना (खासकर दूध के दांत)
  • सीईपी के कारण कभी-कभी ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का रोग, जिसमें हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है) का खतरा हो सकता है। 

कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया के कारण

सीईपी में यूरोपॉर्फिरिनोजेन III सिंथेज नामक एंजाइम की कमी हो जाती है, जो सामान्य रूप से पोरफाइरोजेन को यूरोपोर्फिरिनोजेन III में परिवर्तित करने में मदद करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए अहम है। इस एंजाइम की कमी के कारण, पोरफाइरोजेन का स्तर खून में बढ़ने लगता है। इसके बाद जैसे-जैसे खून त्वचा से गुजरता है वैसे-वैसे पोरफाइरोजेन सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा को अवशोषित करने लगता है और यह एक रसायनिक प्रतिक्रिया देता है, जिससे आसपास के ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है।

कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया का बचाव व इलाज

  • कपड़े:
    त्वचा पर दाग-धब्बों को रोकने के लिए सीधे सूर्य के संपर्क में आने से बचें। इसके लिए दस्ताने का उपयोग, सिर को चारों तरफ से ढकने वाली टोपी, स्कार्फ, कॉलर व लंबी आस्तीन वाली शर्ट या टी-शर्ट और लंबी पैन्ट्स पहनें। इसके अलावा आंखों पर चश्मा लगाकर उन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है।
     
  • सनस्क्रीन:
    आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली सनस्क्रीन, जिसे सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाने के लिए तैयार किया जाता है, वे ऐसी स्थिति में प्रभावी नहीं होती हैं।
     
  • ऑपरेशन:
    सर्जरी के दौरान, ऑपरेशन थिएटर की तेज रोशनी के संपर्क में आने पर सीईपी से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा एवं आंतरिक अंग जल सकते हैं।

सीईपी एक दुर्लभ विकार है, इसलिए इस बीमारी से प्रभावित लोगों की सही संख्या के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं है। यह अनुमान है कि प्रत्येक 20 से 30 लाख लोगों में से कोई एक व्यक्ति सीईपी से प्रभावित होता है। सीईपी पुरुषों, महिलाओं व किसी भी जातीय समूह को समान रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए सूरज के संपर्क में आने से यदि त्वचा को नुकसान पहुंचता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर, निदान करने के लिए खून, पेशाब और मल में पोर्फिरिन के स्तर की जांच कर सकते हैं। इसके अलावा जीन में परिवर्तन के बारे में जानने के लिए ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है।



कंजेनाइटल एरिथ्रोपोएटिक पोरफाइरिया (त्वचा का विकार) के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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