नया कोरोना वायरस 'सार्स-सीओवी-2' अब लगभग सभी देशों में फैल चुका है। ताजा अंतरराष्ट्रीय अपडेट्स के मुताबिक, दुनिया के 192 देशों में इस जानलेवा वायरस की पुष्टि हो चुकी है। इस वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 ने पूरे विश्व में करीब साढ़े तीन लाख लोगों को अपना शिकार बनाया है। इनमें 14,700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस संकट को दूर करने में सबसे विकसित और ताकतवर देश भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। हालांकि कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने की कोशिशें जारी हैं। विश्व की सभी जानी-मानी स्वास्थ्य संस्थाएं और संगठन वैज्ञानिकों की मदद से कोविड-19 का इलाज खोजने में लगे हुए हैं। हाल में इस संबंध में कुछ नए कदम उठाए गए हैं और कुछ आशाएं जगी हैं।

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कोविड-19 की पहचान करना होगा आसान और तेज
कोरोना संकट के बीच अमेरिका ने अपने यहां एक ऐसे डायग्नोसिस्ट परीक्षण को मंजूरी दी है, जिसकी मदद अब किसी व्यक्ति में कोविड-19 की पहचान जल्दी हो सकेगी। स्थानीय खबरों के मुताबिक, अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने इस डायग्नोसिस परीक्षण को स्वीकृति दी है। बताया गया है कि इस परीक्षण से महज 45 मिनट में किसी व्यक्ति में कोविड-19 का पता लगाएगा जा सकेगा। दरअसल, अभी तक किसी संदिग्ध में कोरोना वायरस के संक्रमण की पहचान करने में कई दिनों का वक्त लगता है। ऐसे में बीमारी का जल्दी पता लगाने के लिए अमेरिका नए और अलग तरह के डायग्नोस्टिक टेस्ट पर काम किया है। इस टेस्ट को तैयार करने वाली कंपनी का कहना है कि बीते शनिवार को इस परीक्षण को एफडीए के सामने अंजाम दिया गया था। इसके बाद इसे मंजूरी मिली। कंपनी के मुताबिक, उसकी योजना है कि अगले हफ्ते तक टेस्ट मशीनों को अस्पतालों में भेज दिया जाए।

कोरोना वायरस की दवा बनाने में जुटा चीन
दूसरी ओर, चीन ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए एक वैक्सीन तैयार की है, जिसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है। चीनी मीडिया के मुताबिक, फिलहाल यह दवा अपने ट्रायल के पहले चरण में है। बताया गया है कि चीन ने बीते 16 मार्च को इस वैक्सीन पर काम करना शुरू किया था। इसी दिन अमेरिका ने भी नए कोरोना वायरस के इलाज के लिए दवा बनाने की घोषणा की थी। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि साल के अंत तक कोविड-19 के इलाज में कोई न कोई कारगर दवा तैयार कर ली जाएगी।

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चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि उनके देश में बनी दवा के पहले ट्रायल में 108 प्रतिभागियों को शामिल किया गया है। इसमें 18 साल से लेकर 60 साल तक की उम्र को लोग शामिल हैं। पहले चरण के तहत सभी लोगों को तीन अलग हिस्सों में बांटा जाएगा और इसके बाद उन्हें अलग-अलग खुराक दी जाएगी। बता दें कि ट्रायल में शामिल सभी प्रतिभागी चीन के वुहान शहर से हैं, जहां से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला है।

फ्रांस में पहला 'सफल' ट्रायल
यूरोपीय देश फ्रांस में भी कोरोना वायरस का खासा असर देखने को मिला है। यहां सार्स-सीओवी-2 से संक्रमितों का आंकड़ा 16,000 के पार पहुंच चुका है जबकि 700 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच, फ्रांसीसी वैज्ञानिक कोविड-19 की दवा तैयार करने में भी लगे हुए हैं। खबर है कि उनके प्रयास को कुछ सफलता भी मिली है। फ्रांस के एक शोधकर्ता के हवाले से यूरोपीय मीडिया में बताया गया है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए तैयार की गई एक दवा का पहला ट्रायल सफल रहा है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, फ्रांस के संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डिडिएर राउल्ट ने फ्रांसीसी सरकार को नए कोरोना वायरस से जुड़े संभावित उपचार की जानकारी दी है। प्रोफेसर राउल्ट ने बताया कि कोविड-19 से पीड़ित एक मरीज को क्लोरोक्वीन नाम की एक ड्रग दी गई थी, जिसके बाद मरीज के शरीर में इंफेक्शन कम होता देखा गया है। इससे उसके स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिला है।

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क्या है क्लोरोक्वीन ड्रग?
बता दें कि क्लोरोक्वीन ड्रग को आम तौर पर मलेरिया की बीमारी की रोकथाम और उसके उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों की मानें तो फ्रांस में अब तक कोरोना वायरस के 24 मरीजों का इलाज इस ड्रग के द्वारा किया गया है। ये सभी फ्रांस के दक्षिण-पूर्व में सबसे पहले कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। इलाज के दौरान इन मरीजों को 10 दिनों तक रोजाना क्लोरोक्वीन की 600 माइक्रोग्राम खुराक दी गई थी। प्रोफेसर राउल्ट ने कहा कि इससे मरीजों की हालत में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। हालांकि प्रोफेसर ने साफ किया कि इस ड्रग के अन्य दवाओं के संपर्क में आने से कुछ मामलों में गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

40 अलग-अलग दवाओं पर चल रहा काम
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि नए कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने के लिए इस समय दुनियाभर में 40 अलग-अलग वैक्सीनों पर काम चल रहा है। इनमें चीन में तैयार की गई साइनोवाक नामक वैक्सीन भी शामिल है, जिसे एक केमिकल की मदद से कोविड-19 के वायरस को मारने के लिए तैयार किया जा रहा है। वहीं, अमेरिकी कंपनी कोडाजेनिक्स भारत के पुणे जिला स्थित एक मेडिकल संस्थान के साथ मिल कर वैक्सीन तैयार करने में लगी है। इनके अलावा और कई अलग-अलग माध्यमों (डीएनए, आरएनए, वायरल वेक्टर या प्रोटीन प्लेटफॉर्म) में कोविड-19 की दवा तैयार करने में लगे हैं।

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संदर्भ

  1. Cascella M, Rajnik M, Cuomo A, et al. Features, Evaluation and Treatment Coronavirus (COVID-19) [Updated 2020 Mar 20]. In: StatPearls [Internet].
  2. Arturo Casadevall et al. The convalescent sera option for containing COVID-19 The Journal of Clinical Investigation. American Society for Clinical Investigation. March 13, 2020.
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